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रेलवे के DME सहित दो को पांच- पांच साल की सजा, 16 लाख रुपये का किया था गबन - Railway defrauded 16 lakh

Lucknow लखनऊ में सीबीआई के विशेष जज ने रेलवे के डीएमई सहित दो को पांच पांच साल की सजा (Two including DME sentenced to five years) सुनाई है. दोनों पर धोखाधड़ी कर फर्जी बिल तैयार करने का आरोप था. वहीं लखनऊ के ही एक कानूनगो की जमानत याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

Two including DME sentenced in fraud of 16 lakh
16 लाख के धोखाधड़ी में डीएमई सहित दो को सजा
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 5, 2024, 10:57 PM IST

लखनऊ: रेलवे विभाग में गाड़ियों की मरम्मत के नाम पर फर्जी बिल बनाने के आरोपी डीएमई सहित दो को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विजेश कुमार सिंह ने पांच पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. सीनियर डीएमई पीके दत्ता पर 60 हजार रुपये और मेसर्स विन्टेक इंजीनियरिंग के रिप्रजेंटेटिव विनय कुमार सिंह को 45 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

गाड़ियों के मेंटेनेंस के नाम पर करीब 16 लाख की धोखाधड़ी: सीबीआई के मुताबिक, सूचना मिली थी कि एनई रेलवे के डीएमई पीके दत्ता डीएमई ने वाराणसी डीआरएम कार्यालय में कार्य करने के दौरान साल 2004 से 2006 के बीच ये धोखाधड़ी की थी. इस दौरान उन्होंने वरिष्ठ अनुभाग अधिकारी सुरेंद्र शरन, अकाउंट असिस्टेंट मोहम्मद असलम सिद्दीकी और तीन प्राइवेट पार्टियों मेसर्स विंटेज इंजीनियरिंग, मेसर्स न्यू टेक इंटरप्राइजेज और सरदार मोटर सर्विस स्टेशन के साथ मिलकर साजिश की. जिसमें सरकारी गाड़ियों की मरम्मत के बिल धोखाधड़ी से तैयार किए. बताया जा रहा है कि इस धोखाधड़ी के कारण आरोपियों ने रेलवे विभाग को 15 लाख 97 हजार 239 रुपए का चूना लगया था.

घूस लेते पकड़ाए कानूनगो को नहीं मिली जमानत: लखनऊ में नाप जोख के नाम पर दस हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार राजस्व निरीक्षक और कानूनगो विवेक तिवारी को जमानत नहीं मिली. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया है. बताया जा रहा है कि अमर सिंह कुशवाहा ने 15 दिसंबर 2023 को भ्रष्टाचार निवारण संगठन से शिकायत की थी कि आरोपी विवेक तिवारी ने पैमाइश के लिए दस हजार रुपये की मांग की थी. जिसकी शिकायत पर भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने जांच करने के बाद 24 जनवरी 2024 को आरोपी और उसके साथी उमाशंकर प्रजापति को घूस के रुपए लेने के आरोप में मौके पर गिरफ्तार किया था. इस मामले की रिपोर्ट थाना मऊ दरवाजा जनपद फतेहगढ़ में दर्ज कराई गई थी.

लखनऊ: रेलवे विभाग में गाड़ियों की मरम्मत के नाम पर फर्जी बिल बनाने के आरोपी डीएमई सहित दो को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विजेश कुमार सिंह ने पांच पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. सीनियर डीएमई पीके दत्ता पर 60 हजार रुपये और मेसर्स विन्टेक इंजीनियरिंग के रिप्रजेंटेटिव विनय कुमार सिंह को 45 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

गाड़ियों के मेंटेनेंस के नाम पर करीब 16 लाख की धोखाधड़ी: सीबीआई के मुताबिक, सूचना मिली थी कि एनई रेलवे के डीएमई पीके दत्ता डीएमई ने वाराणसी डीआरएम कार्यालय में कार्य करने के दौरान साल 2004 से 2006 के बीच ये धोखाधड़ी की थी. इस दौरान उन्होंने वरिष्ठ अनुभाग अधिकारी सुरेंद्र शरन, अकाउंट असिस्टेंट मोहम्मद असलम सिद्दीकी और तीन प्राइवेट पार्टियों मेसर्स विंटेज इंजीनियरिंग, मेसर्स न्यू टेक इंटरप्राइजेज और सरदार मोटर सर्विस स्टेशन के साथ मिलकर साजिश की. जिसमें सरकारी गाड़ियों की मरम्मत के बिल धोखाधड़ी से तैयार किए. बताया जा रहा है कि इस धोखाधड़ी के कारण आरोपियों ने रेलवे विभाग को 15 लाख 97 हजार 239 रुपए का चूना लगया था.

घूस लेते पकड़ाए कानूनगो को नहीं मिली जमानत: लखनऊ में नाप जोख के नाम पर दस हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार राजस्व निरीक्षक और कानूनगो विवेक तिवारी को जमानत नहीं मिली. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया है. बताया जा रहा है कि अमर सिंह कुशवाहा ने 15 दिसंबर 2023 को भ्रष्टाचार निवारण संगठन से शिकायत की थी कि आरोपी विवेक तिवारी ने पैमाइश के लिए दस हजार रुपये की मांग की थी. जिसकी शिकायत पर भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने जांच करने के बाद 24 जनवरी 2024 को आरोपी और उसके साथी उमाशंकर प्रजापति को घूस के रुपए लेने के आरोप में मौके पर गिरफ्तार किया था. इस मामले की रिपोर्ट थाना मऊ दरवाजा जनपद फतेहगढ़ में दर्ज कराई गई थी.

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