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दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 साल पुराने मर्डर केस में 2 आरोपियों को किया बरी, पुलिस की जांच में विसंगतियां - 2 Accused Release after 27 years - 2 ACCUSED RELEASE AFTER 27 YEARS

2 Accused Release after 27 years: साल 1997 के एक मर्डर केस में गिरफ्तार हुए विदेशी कुमार और रामनाथ को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी अंतिम बार मृतक के साथ देखे गए हैं, दोषी साबित करने के लिए ये पर्याप्त नहीं है. कोर्ट ने पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए.

दिल्ली हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 18, 2024, 12:16 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के 27 साल पुराने मामले में दोषी करार दिए गए दो लोगों को बरी कर दिया है. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केवल लास्ट सीन (अंतिम बार देखा गया) को मुख्य साक्ष्य मानकर दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.

कोर्ट ने 1997 में गिरफ्तार हुए विदेशी कुमार और रामनाथ को बरी करने का आदेश दिया. दोनों को ट्रायल कोर्ट ने 2001 में दोषी करार दिया था. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष का केवल ये कहना कि आरोपी अंतिम बार मृतक के साथ देखे गए हैं, दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपियों को अंतिम बार मृतक के साथ देखे जाने का साक्ष्य भी संदेह से परे नहीं है. मृतक और आरोपी एक साथ काम करते थे , इसलिए अंतिम बार साथ देखा जाना कोई असाधारण तथ्य नहीं है. दोनों आरोपियों के पास से खून से सने कपड़े बरामद होने पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य पेश किया है.

कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने घटना से संबंधित साईट प्लान भी नहीं बनाया और ये भी नहीं बताया कि दोनों आरोपी मृतक के साथ कहां और कब देखे गए थे. पुलिस हत्या की मंशा भी साबित करने में नाकाम रही है.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी रामनाथ इस मामले में छह साल तक जेल में रहा. दूसरा आरोपी विदेशी कुमार को जमानत मिलने के बाद भी आठ साल तक जेल में रहा क्योंकि वो बेल बांड नहीं भर सका था. दोनों की माली हालत ऐसी नहीं थी कि वे वकील रख सकें. जिसके बाद उन्हें विधिक सेवा प्राधिकार से वकील मुहैया कराया गया. हाईकोर्ट ने साफ किया कि दिल्ली पुलिस की जांच में कई विसंगतियां हैं जिसका जवाब वो नहीं दे सके.

ये भी पढ़ें- प्यार में असफल होने पर प्रेमी के सुसाइड के लिए प्रेमिका दोषी नहीं, जानिये हाईकोर्ट को क्यों सुनाना पड़ा ऐसा फैसला

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के 27 साल पुराने मामले में दोषी करार दिए गए दो लोगों को बरी कर दिया है. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केवल लास्ट सीन (अंतिम बार देखा गया) को मुख्य साक्ष्य मानकर दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.

कोर्ट ने 1997 में गिरफ्तार हुए विदेशी कुमार और रामनाथ को बरी करने का आदेश दिया. दोनों को ट्रायल कोर्ट ने 2001 में दोषी करार दिया था. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष का केवल ये कहना कि आरोपी अंतिम बार मृतक के साथ देखे गए हैं, दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपियों को अंतिम बार मृतक के साथ देखे जाने का साक्ष्य भी संदेह से परे नहीं है. मृतक और आरोपी एक साथ काम करते थे , इसलिए अंतिम बार साथ देखा जाना कोई असाधारण तथ्य नहीं है. दोनों आरोपियों के पास से खून से सने कपड़े बरामद होने पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य पेश किया है.

कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने घटना से संबंधित साईट प्लान भी नहीं बनाया और ये भी नहीं बताया कि दोनों आरोपी मृतक के साथ कहां और कब देखे गए थे. पुलिस हत्या की मंशा भी साबित करने में नाकाम रही है.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी रामनाथ इस मामले में छह साल तक जेल में रहा. दूसरा आरोपी विदेशी कुमार को जमानत मिलने के बाद भी आठ साल तक जेल में रहा क्योंकि वो बेल बांड नहीं भर सका था. दोनों की माली हालत ऐसी नहीं थी कि वे वकील रख सकें. जिसके बाद उन्हें विधिक सेवा प्राधिकार से वकील मुहैया कराया गया. हाईकोर्ट ने साफ किया कि दिल्ली पुलिस की जांच में कई विसंगतियां हैं जिसका जवाब वो नहीं दे सके.

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