रायपुर: छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीट में से 4 अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है. इनमें बस्तर, सरगुजा, रायगढ़ और कांकेर सीट शामिल है. वर्तमान में इन चार सीटों में से 3 सीट सरगुजा, रायगढ़ और कांकेर पर भाजपा का कब्जा है. बस्तर सीट पर कांग्रेस का सांसद है.
32 फीसदी आदिवासी वोट के लिए पार्टियों की जोर आजमाइश: छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की संख्या लगभग 32 फीसदी है. यही वजह है कि आदिवासियों को साधने कांग्रेस, बीजेपी सहित दूसरे दल भी आदिवासी वोटों को अपने पाले में करने की कोशिश करते हैं. हालांकि लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला होता है, लेकिन इस बार आदिवासी समाज से जुड़े कुछ दलों ने भी ताल ठोकी है.
लोकसभा चुनाव में पहली बार आदिवासियों की हमर राज पार्टी: छत्तीसगढ़ की आरक्षित चार सीटों पर भाजपा, कांग्रेस के अलावा आदिवासी समाज की हमर राज पार्टी ने भी इस बार ताल ठोका है. हमर राज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद कुमार नागवंशी का दावा है कि आदिवासी न सिर्फ आरक्षित सीटों पर बल्कि अन्य सीटों पर भी प्रभाव डालते हैं. जिसमें सरगुजा, रायगढ़, बस्तर और कांकेर सीट के अलावा महासमुंद और राजनांदगांव लोकसभा सीट भी शामिल है. इन दो सीटों पर 25 प्रतिशत आदिवासी वोटर हैं.
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आदिवासी हमेशा जल जंगल जमीन की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. लोकसभा चुनाव ही ऐसा माध्यम है जहां सीधे शासन पर प्रश्न कर सकते हैं. चुनाव के माध्यम से जनता तक अपनी बातें रख सकते हैं. हमर राज पार्टी पूरे जोश के साथ चुनाव में उतरेगी और अपने मुद्दों के साथ जनता को बताएंगे कि पिछले 75 सालों में हमने क्या खोया और क्या पाया है. -विनोद कुमार नागवंशी, राष्ट्रीय महासचिव, हमर राज पार्टी
विधानसभा चुनाव में आदिवासियों ने भाजपा तो दलितों ने कांग्रेस पर जताया भरोसा: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 में 90 सीटों के नतीजों की बात की जाए तो दलितों ने कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा जताया. अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए आरक्षित 10 सीटों में से कांग्रेस को 6 और भाजपा को 4 सीटें मिली. अनुसूचित जनजाति (एसटी) यानी आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 29 सीटों में से भाजपा को 16, कांग्रेस 12 और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 1 सीट मिली.
आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण का बिल राज्यपाल के पास अटका: कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि "आदिवासी कांग्रेस के साथ है क्योंकि भाजपा ने आदिवासियों को ठगा है. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों के लिए 32 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करके विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित कर राज्यपाल के पास भेजा था लेकिन भाजपा में उसे पास नहीं होने दिया. अब तो केंद्र में डबल इंजन की सरकार है आदिवासी मुख्यमंत्री है.फिर भी आदिवासी आरक्षण में लेट क्यों हो रहा है.?
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छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार को साढ़े तीन महीने हो चुके हैं. अब तक आरक्षण बिल पर भाजपा मौन क्यों है. इसका जवाब प्रदेश के आदिवासी लोकसभा चुनाव में भाजपा से मांगेंगे.- सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग, कांग्रेस
भाजपा ने देश और प्रदेश को दिया आदिवासी राष्ट्रपति और सीएम: भाजपा ने आदिवासी समाज को उनका हक दिया है. उनके जीवन स्तर को उठाने का काम किया है, आज देश के राष्ट्रपति आदिवासी है छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री आदिवासी समाज से आते हैं. ये कहना है भाजपा मीडिया प्रमुख अमित चिमनानी का. भाजपा नेता ने बताया कि भाजपा सरकार लगातार आदिवासियों के लिए काम कर रही है. छत्तीसगढ़ के आदिवासी दिल्ली में जाकर पढ़ाई कर आईएएस और आईपीएस बन रहे हैं. आदिवासियों के पैर में कांटे ना गड़े इसके लिए चरण पादुका योजना लाई गई.आदिवासी परिवार के इंश्योरेंस की स्कीम देने का काम किया है ऐसी कई योजनाएं हैं जो भाजपा सरकार लेकर आई है.
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आदिवासी समाज भारतीय जनता पार्टी के साथ है. इस बार के लोकसभा चुनाव में आदिवासी प्रचंड मतों से भाजपा को ही वोट देकर जिताएंगे. -अमित चिमनानी, मीडिया प्रमुख, भाजपा
आदिवासी सीटों पर भाजपा का रहा हमेशा से कब्जा: राजनीति के जानकार ओर वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का कहना है "राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक सभी आदिवासी सीट भाजपा ही जीतती रही है. लोकसभा चुनाव 2019 में सिर्फ बस्तर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने बाजी मारी थी. इस बार भाजपा एक बड़ा आंकड़ा लेकर लोकसभा चुनाव में चल रही है. कांग्रेस भी इस पर नजर जमाए हुए हैं. इस बार इन दोनों ही राजनीतिक दलों की आदिवासी सीटों पर पैनी नजर है. दोनों ही दलों ने सोच समझकर चारों आदिवासी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं."
एक क्षेत्र तक सिमट गई आदिवासियों की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी: आदिवासी राज्य होने के बावजूद भी क्षेत्रीय आदिवासियों की पार्टी क्यों बेहतर परफॉर्मेंस विधानसभा लोकसभा चुनाव में नहीं दे पा रही है, इस पर अनिरुद्ध दुबे ने कहा "छत्तीसगढ़ में प्रमुख रूप से दो आदिवासी पार्टी है, पहला गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और दूसरा हमर राज पार्टी. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से है, लेकिन वह सिर्फ आदिवासी क्षेत्र तक ही सीमित कर रह गए."
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गोंडवाना गणतंत्र पार्टी छत्तीसगढ़ में एक विकल्प के रूप में भी पेश नहीं हो पाए. विधानसभा चुनाव में एक सीट जीतने में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी कामयाब रही है. ये पार्टी सरगुजा तक सिमट कर रह गई- -अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार
हमर राज पार्टी ने विधानसभा चुनाव पर डाला काफी प्रभाव: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान अरविंद नेताम ने हमर राज पार्टी बनाई. लेकिन उनका दायरा भी आदिवासी सीटों तक ही सीमित रह गया. वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने बताया कि अरविंद नेताम वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं, केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं लेकिन उनकी पार्टी भी एक क्षेत्र तक ही सीमित रह गई. हमर राज पार्टी को विधानसभा चुनाव में कोई सीट तो नहीं मिली लेकिन पार्टी ने वोटों को अपनी ओर खींचा जिससे सरगुजा और बस्तर में वोट समीकरण बदल गए."
सरगुजा में 14 की 14 सीट भाजपा के खाते में गई. बस्तर की 12 में से 8 सीट भाजपा के खाते में गई. जो 2018 के विधानसभा चुनाव में पूरा उलट था. 2018 के विधानसभा चुनाव में सरगुजा की 14 की 14 सीट और बस्तर की 12 में से 11 सीट कांग्रेस जीत कर आई थी.-अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार
बस्तर लोकसभा चुनाव 2024: 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बस्तर में चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव 2023 के बाद बस्तर की 9 में से 6 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है. इसलिए भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त दिख रही है. भाजपा ने बस्तर सीट पर महेश कश्यप को उतारा है. कांग्रेस ने कवासी लखमा को बस्तर लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बनाया है.