बस्तर: नक्सल प्रभावित बस्तर लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को मतदान होना है. बस्तर लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला है. पर चुनावी मैदान में कुछ ऐसे भी महारथी उतरे हैं जो बस्तर की सियासी बिसात को बदलना चाहते हैं. बस्तर लोकसभा सीट से इस बार एक डॉक्टर भी चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. डॉक्टर प्रकाश कुमार गोटा युवा होने के साथ साथ स्थानीय आदिवासी भी हैं. प्रकाश कुमार गोटा का कहना है कि बस्तर में शासन और प्रशासन दोनो ने उनका उत्पीड़न किया है. नक्सलियों ने भी उनके परिवार के लोगों की हत्या की है. इन दोनों कारणों को लेकर वो इस बार चुनावी समर में कूदे हैं.
बस्तर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी हैं डॉक्टर प्रकाश कुमार गोटा: स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे गोटा का कहना है कि उनके मेरे बड़े भाई और पिता की हत्या नक्सलियों ने कर दी. पूर्व में उके दादा का भी हत्या माओवादियों ने की थी. डॉक्टर गोटा के एक और भाई हैं जो इस वक्त कोमा में जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं. गोटा कहते हैं कि नक्सल समस्या के चलते बस्तर का विकास रुक गया है. बस्तर का विकास तभी होगा जब शासन और प्रशासन नक्सलियों के बातचीत करेगी.
बस्तर में गोलबारी आज आम दिन की घटना है. मैं स्वतंत्र रुप से चुनाव मैदान में उतरा हूं. हम जीवत रहने के लिए यहां रोज संघर्ष कर रहे हैं. मेरे पिता मेरे भाई मेरे दादा तीनों की हत्या नक्सल हिंसा में हुई. मेरा एक भाई कोमा में है. मैं चाहता हूं नक्सल हिंसा खत्म हो. जबतक गंभीर रुप से बातचीत नहीं होगी इस समस्या का समाधान नहीं निकलेगा. मै परिस्थितियों का शिकार होकर चुनाव मैदान में उतरा हूं. - प्रकाश कुमार गोटा, युवा आदिवासी डॉक्टर
बस्तर सीट से 10 लोगों ने भरा है नामांकन: डॉक्टर प्रकाश कुमार गोटा को मिलाकर बस्तर लोकसभा सीट से कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं. बेशक कांग्रेस और बीजेपी के बीच यहां मुकाबला है. पर प्रकाश कुमार गोटा के मैदान में उतरने से इतना साफ है कि अब बस्तर के विकास और हिंसा के खात्मे के लिए लोग आवाज उठाने लगे हैं.