नई दिल्ली: भारत में रामलीलाओं के मंचन का इतिहास का काफी रोचक है. पहले गांव के नुक्कड़, चौक-चौराहे, कस्बों में रामलीलाओं का मंचन होता था. मगर, जैसे-जैसे समय बदला, रामलीलाओं के मंचन और प्रस्तुति में तब्दीलियां आती गई. अब तो एक दिवसीय नृत्य और संगीतमय रामलीला का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इसमें रामायण को नृत्य और संगीत शैलियों के साथ प्रस्तुत किया जाता है. ये देखने में मनोरम और आकर्षक होती हैं. इन रामलीलाओं की प्रस्तुति 3 से 4 घंटे की होती है. इसमें राम जन्म से भरत मिलाप तक के सीन प्रस्तुत किए जाते हैं.
राजधानी दिल्ली में 3 अक्टूबर से रामलीला का मंचन शुरू हो रहा है. रामलीला की प्रस्तुति देने वाले कलाकारों ने तैयारियां तेज कर दी है. तमाम जगहों पर ऑडिटोरियम बुक हो रहे हैं. रिहर्सल लगातार जारी है. नृत्य संगीतमय रामलीला का निर्देशन करने वाले शशिधरण नायर ने बताया कि वो दिल्ली के नेताजी सुभाष प्लेस में आयोजित होने वाली ब्रॉडवे रामलीला का निर्देशन करते हैं. पिछले 10 वर्षों से इस रामलीला का आयोजन नृत्य संगीत शैली में किया जाता है.
इस रामलीला में 90 के करीब कुशल कलाकार हैं. ये नाट्य और नृत्य दोनों ही क्षेत्र के कलाकार हैं. इस रामलीला की विशेषता यह है कि इसमें कई शैलियों को एक साथ मिलाकर प्रस्तुति को तैयार किया जाता है. जैसे क्लासिकल डांस, फोक डांस, मार्शल आर्ट और ड्रामा आदि.
मंचन में म्यूजिकल स्पोर्ट सबसे ज्यादा मददगार: शशिधरण नायर ने बताया कि निर्देशन में निर्भर करता है कि किस आपके पास किस तरीके के कलाकार हैं. यदि कोई कुशल कलाकार मौजूद है, तो वह जल्दी हर चीज को सीख लेते हैं. वहीं अगर कोई नया कलाकार शामिल होता है, तो उसे ट्रेनिंग देने में समय लगता है. नृत्य संगीत रामलीला में जो कलाकार भाग लेते हैं, उनके लिए म्यूजिकल स्पोर्ट सबसे ज्यादा मददगार साबित होता है. संगीत से जिस तरह के भाव और प्रभाव आते हैं, वह कलाकारों के जहन में आसानी से बैठ जाते हैं. किसी भी कलाकार को तैयार करने में समय तो लगता है, लेकिन सफलता भी हासिल होती है.
बढ़ रहा है एकदिवसीय संपूर्ण रामलीला का चलन: भारत में रामलीलाओं का इतिहास काफी पुराना है. 10 दिनों तक लगातार छोटी-छोटी कथाओं के साथ रामलीला का मंचन किया जाता रहा है. वहीं, पिछले कुछ सालों में देखने को मिला है कि नृत्य संगीत में रामलीला के चलन में तेजी आई है. इसकी खासियत यह है कि ये 3-4 घंटे में पूर्ण हो जाती है.
शशिधरण ने बताया कि देश में पहले भी नाटक संगीत में रामलीलाओं का आयोजन किया जाता था, लेकिन बीच में इसका चलन बंद हो गया था. इसके पीछे दो मुख्य वजह हैं. पहली यह है कि भारत की सभ्यता धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है. पहनावे से लेकर भाषा तक हर चीज बदल रही है. अब हर कोई यह समझता है कि अगर वह अंग्रेजी में बात कर रहा है तो ज्यादा बुद्धिमान है. वहीं आज भी कुछ बुजुर्ग अभिभावक ऐसे हैं, जो यह चाहते हैं कि उनके बच्चों को भारतीय सभ्यता से जोड़ा जाए. यही वजह है जो नृत्य संगीत में रामलीला की वापसी हुई है.
शशिधरण ने बताया कि दूसरी मुख्य वजह यह है कि अन्य रामलीलाओं में लगातार 10 दिन जाना पड़ता है. वर्तमान की भागती दौड़ती जिंदगी में लोगों के पास इतना समय नहीं है कि वह 10 दिन तक लगातार जाकर रामलीला का मंचन देखें. इसीलिए वह विशेष एक दिन में ही पूरी रामलीला का मंचन अपने बच्चों को दिखा देते हैं. इससे उनका समय भी बचता है और बच्चों के अंदर सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान भी बढ़ता है.
श्रीराम का किरदार निभाएंगे राहुल: ब्रॉडवे रामलीला में श्रीराम का किरदार निभाने वाले राहुल ने बताया कि नृत्य संगीतमय कला शैली एक ऐतिहासिक शैली है. संगीत के माध्यम से जितनी आसानी से दर्शकों के जहन तक पहुंचा जा सकता है, ऐसा किसी और माध्यम से संभव नहीं है. वहीं, जब संगीत के साथ नृत्य को जोड़ दिया जाता है तो इससे भाव को समझाना काफी आसान हो जाता है. संपूर्ण रामलीलाओं की प्रस्तुति में संगीत और नृत्य के माध्यम से किस तरह कथा के भाव को दर्शकों के मन और दिमाग तक पहुंचाया जाए, इस पर ध्यान दिया जाता है.
सूर्पणखा का किरदार निभाएंगी स्वप्ना: ब्रॉडवे रामलीला में सूर्पणखा का किरदार निभाने वाली स्वप्ना ने बताया कि वह 16 सालों से कुचिपुड़ी नृत्य कर रही है. पिछले चार-पांच सालों से संपूर्ण रामायण में काम कर रही है. अब संपूर्ण रामलीलाओं का चलन काफी बढ़ गया है. इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि नए कलाकारों को कई सारी उपलब्धियां मिलने लगी है. वहीं, स्कूलों में भी अब नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंदर ड्रामा डांस और म्यूजिक में काफी उपलब्धियां मिलने लगी है. साथ ही नृत्य संगीतमय रामलीला से जुड़े कलाकारों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी होती जा रही है.
बता दें, ब्रॉडवे रामलीला का सर्वप्रथम 2015 में आयोजन किया गया था. इस बार 6 अक्टूबर 2024 से 11 अक्टूबर 2024 तक रोजाना शाम 7:00 बजे से नेताजी सुभाष प्लेस (एनडीएम 2 के सामने), पीतमपुरा, नई दिल्ली में हो इस रामलीला का आयोजन किया जाएगा.
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