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बीमारी की शुरुआत में फाइलेरिया इलाज संभव, इन बातों का रखें विशेष ध्यान... - Filariasis treatment - FILARIASIS TREATMENT

हर साल अप्रैल के दूसरे सप्ताह में विश्व फाइलेरिया दिवस मनाया जाता है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल फाइलेरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 15, 2024, 11:01 PM IST

लखनऊ: हर साल अप्रैल के दूसरे सप्ताह में विश्व फाइलेरिया दिवस मनाया जाता है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल फाइलेरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. जिसको लेकर यूपी सरकार अपने स्तर पर फाइलेरिया मुक्त प्रदेश बनाने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रही है. एक हफ्ते तक स्वास्थ्य विभाग ने पूरे प्रदेश में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का प्रोग्राम बनाया है.

फाइलेरिया दुनिया भर में विकलांगता और विरूपता बढ़ाने वाला सबसे बड़ा रोग है (इसे एक संक्रमण के रूप में भी देखा जाता है). यह एक पैरासाइट डिजिट है जो कि धागे के समान दिखाई देने वाले निमेटोड कीड़ों (Nematode Worms) के शरीर में प्रवेश करने की वजह से होती है.

सिविल अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि, फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए. जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है. फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं. लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है. इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है. इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है.

उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में फाइलेरिया का इलाज सर्जरी से भी किया जा सकता है. अगर समस्या ज्यादा बढ़ गई है और गंभीर रूप ले चुकी है, तो इन मामलों में डॉक्टर सर्जरी कर सकते हैं. सर्जरी से काफी हद तक सुधार हो सकता है, लेकिन सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा भी हो सकता है इसलिए, बेहतर है कि शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देकर डॉक्टर से सलाह जरूर लें. फाइलेरिया के इलाज के साथ उचित आहार लेना भी जरूरी है.

उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो अगर एक बार किसी मरीज को हो जाता है तो फिर वह पूरी तरह से खत्म नहीं होता. फिर इसका रोकथाम ही इलाज के नाम पर बच पाता है. इसके लिए जरूरी है कि लोग सावधान रहें और अपने सेहत का ख्याल रखें. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा अहम बात है कि प्रदेश के ऐसे जिले जो तराई क्षेत्र के अंदर आते हैं जहां पर खेती अधिक होती है वहां के लोगों को फाइलेरिया का संकट अधिक रहता है. क्योंकि जहां पर पानी होता है वहां पर यह मच्छर पनपते हैं.

प्रदेश सरकार भी इसके लिए फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम आयोजित कर रही है. जिसके जरिए प्रदेश भर के लोगों को इसकी जानकारी दी जा रही है. आशा बहुएं गांव गांव जाकर जागरूकता अभियान कर रही हैं. आम जनता को भी यह बात समझनी होगी कि इस समय हमारा मौसम बदल रहा है. ऐसे में मच्छर बहुत ज्यादा हो रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें. मच्छरदानी एकमात्र ऐसा उपाय है, जिससे मच्छरों को रोका जा सकता है. वैसे तो बहुत सारी क्रीम आती हैं या लोग सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं लेकिन सबसे अच्छा उपाय है कि आप मच्छरदानी लगाकर सोएं.

फाइलेरिया के लक्षण
- बार-बार बुखार आना
- त्वचा का एक्सफोलिएट होना
- हाथों और पैरों में सूजन

फाइलेरिया से बचाव का उपाय

- फाइलेरिया से बचाव के लिए जरूरी है मच्छरों से बचाव किया जाए. इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें.

- पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें.

- पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें.

- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.

- हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें. साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें.

लखनऊ: हर साल अप्रैल के दूसरे सप्ताह में विश्व फाइलेरिया दिवस मनाया जाता है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल फाइलेरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. जिसको लेकर यूपी सरकार अपने स्तर पर फाइलेरिया मुक्त प्रदेश बनाने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रही है. एक हफ्ते तक स्वास्थ्य विभाग ने पूरे प्रदेश में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का प्रोग्राम बनाया है.

फाइलेरिया दुनिया भर में विकलांगता और विरूपता बढ़ाने वाला सबसे बड़ा रोग है (इसे एक संक्रमण के रूप में भी देखा जाता है). यह एक पैरासाइट डिजिट है जो कि धागे के समान दिखाई देने वाले निमेटोड कीड़ों (Nematode Worms) के शरीर में प्रवेश करने की वजह से होती है.

सिविल अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि, फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के जरिए. जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है. फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं. लेकिन ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चल पाता है. इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है. इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है.

उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में फाइलेरिया का इलाज सर्जरी से भी किया जा सकता है. अगर समस्या ज्यादा बढ़ गई है और गंभीर रूप ले चुकी है, तो इन मामलों में डॉक्टर सर्जरी कर सकते हैं. सर्जरी से काफी हद तक सुधार हो सकता है, लेकिन सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा भी हो सकता है इसलिए, बेहतर है कि शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देकर डॉक्टर से सलाह जरूर लें. फाइलेरिया के इलाज के साथ उचित आहार लेना भी जरूरी है.

उन्होंने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो अगर एक बार किसी मरीज को हो जाता है तो फिर वह पूरी तरह से खत्म नहीं होता. फिर इसका रोकथाम ही इलाज के नाम पर बच पाता है. इसके लिए जरूरी है कि लोग सावधान रहें और अपने सेहत का ख्याल रखें. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा अहम बात है कि प्रदेश के ऐसे जिले जो तराई क्षेत्र के अंदर आते हैं जहां पर खेती अधिक होती है वहां के लोगों को फाइलेरिया का संकट अधिक रहता है. क्योंकि जहां पर पानी होता है वहां पर यह मच्छर पनपते हैं.

प्रदेश सरकार भी इसके लिए फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम आयोजित कर रही है. जिसके जरिए प्रदेश भर के लोगों को इसकी जानकारी दी जा रही है. आशा बहुएं गांव गांव जाकर जागरूकता अभियान कर रही हैं. आम जनता को भी यह बात समझनी होगी कि इस समय हमारा मौसम बदल रहा है. ऐसे में मच्छर बहुत ज्यादा हो रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें. मच्छरदानी एकमात्र ऐसा उपाय है, जिससे मच्छरों को रोका जा सकता है. वैसे तो बहुत सारी क्रीम आती हैं या लोग सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं लेकिन सबसे अच्छा उपाय है कि आप मच्छरदानी लगाकर सोएं.

फाइलेरिया के लक्षण
- बार-बार बुखार आना
- त्वचा का एक्सफोलिएट होना
- हाथों और पैरों में सूजन

फाइलेरिया से बचाव का उपाय

- फाइलेरिया से बचाव के लिए जरूरी है मच्छरों से बचाव किया जाए. इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें.

- पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें.

- पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें.

- सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.

- हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें. साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवाई लगा लें.

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