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उत्तराखंड के इन जिलों के प्राइवेट अस्पतालों में नहीं चलेगा आयुष्मान कार्ड, जानें कारण - Uttarakhand Health System

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 11, 2024, 6:47 PM IST

Updated : May 11, 2024, 6:56 PM IST

Ayushman Yojana, Uttarakhand Health System उत्तराखंड के 5 जिलों के निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं मिल रहा है. इन जिलों के कई निजी अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के तहत पंजीकरण नहीं कराया है. नतीजा मरीजों को ऋषिकेश, देहरादून और दिल्ली जाना पड़ता है.

Ayushman Yojana
उत्तराखंड में पांच जिलों के प्राइवेट अस्पताल में आयुष्मान योजना से इलाज नहीं (PHOTO- ETV BHARAT FILE PHOTO)
उत्तराखंड के इन जिलों के प्राइवेट अस्पतालों में नहीं चलेगा आयुष्मान कार्ड (VIDEO_ ईटीवी भारत)

देहरादूनः उत्तराखंड की जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं. प्रदेश के खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का बड़ा अभाव है. जिस कारण मरीज को इलाज और उपचार के लिए देहरादून, ऋषिकेश और दिल्ली की ओर रुख करना पड़ता है. इसकी सिर्फ एक वजह ही नहीं है. दरअसल कई राजकीय चिकित्सालयों में पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं है. जबकि प्रदेश के कई पर्तवीय जिले ऐसे हैं जहां आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज ही नहीं हो रहा है.

उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रदेश की, खासकर पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करना सरकार के लिए शुरू से ही एक बड़ी चुनौती रही है. क्योंकि शुरू से ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पहाड़ चढ़ने से कतराते रहे हैं, जिसके चलते पर्वतीय क्षेत्रों पर हमेशा ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी होती रही है. यही नहीं, कई जगहों पर पैरामेडिकल स्टाफ है तो डॉक्टर्स नहीं है. कहीं डॉक्टर हैं तो पैरामेडिकल स्टाफ नहीं है. इसके अलावा कई राजकीय चिकित्सालय ऐसे भी हैं. जहां एक्स-रे मशीन तो है लेकिन एक्स-रे टेक्नीशियन नहीं है.

यही कारण है कि पर्वतीय क्षेत्रों में मरीज को निजी अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ता है. हालांकि, जो इलाज खर्च को उठा सकते हैं वो तो निजी अस्पतालों में इलाज करवा लेते हैं. लेकिन जिनके पास निजी अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए पैसे नहीं होते हैं. वो देहरादून की तरफ रुख करते हैं. ताकि देहरादून स्थित जिला अस्पताल या दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज करा सके. इसके अलावा, देहरादून के निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड के जरिए आसानी से इलाज हो जाता है.

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड के पांच पर्वतीय जिले ऐसे हैं, जहां पर आयुष्मान योजना के तहत एक भी निजी अस्पताल पंजीकृत नहीं है. जिसमें उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और बागेश्वर जिला शामिल है. ऐसे में इन जिलों के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार राज्य की चिकित्सालय में इलाज न मिलने पर मरीज फिर सीधे देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और दिल्ली की ओर करता है. ताकि अटल आयुष्मान कार्ड के जरिए मरीज का निशुल्क उपचार किया जा सके.

प्रदेश की इन पांच जिलों में मौजूद निजी अस्पतालों का आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत ना होने के सवाल पर, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के क्लेम मैनेजमेंट निदेशक वीएस टोलिया ने बताया कि पांच जिले ऐसे हैं, जहां मौजूद निजी अस्पताल, आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत नहीं है. जिसकी मुख्य वजह यही है कि निजी अस्पतालों के संचालकों की ओर से आवेदन ही नहीं किया गया है. जबकि मैदानी जिलों के सापेक्ष पर्वतीय जिलों में मौजूद निजी अस्पतालों को अटल आयुष्मान के जरिए इलाज पर अधिक धनराशि दी जाती है.

ये भी पढ़ेंः आयुष्मान योजना पर सरकार खर्च कर चुकी 2170 करोड़, 53 निजी अस्पतालों पर की कार्रवाई, जानें क्या कह रहे जिम्मेदार

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में आयुष्मान योजना का 10 लाख मरीज उठा चुके हैं लाभ, 54 लाख लोगों के बने कार्ड

उत्तराखंड के इन जिलों के प्राइवेट अस्पतालों में नहीं चलेगा आयुष्मान कार्ड (VIDEO_ ईटीवी भारत)

देहरादूनः उत्तराखंड की जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं. प्रदेश के खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का बड़ा अभाव है. जिस कारण मरीज को इलाज और उपचार के लिए देहरादून, ऋषिकेश और दिल्ली की ओर रुख करना पड़ता है. इसकी सिर्फ एक वजह ही नहीं है. दरअसल कई राजकीय चिकित्सालयों में पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं है. जबकि प्रदेश के कई पर्तवीय जिले ऐसे हैं जहां आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज ही नहीं हो रहा है.

उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रदेश की, खासकर पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करना सरकार के लिए शुरू से ही एक बड़ी चुनौती रही है. क्योंकि शुरू से ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पहाड़ चढ़ने से कतराते रहे हैं, जिसके चलते पर्वतीय क्षेत्रों पर हमेशा ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी होती रही है. यही नहीं, कई जगहों पर पैरामेडिकल स्टाफ है तो डॉक्टर्स नहीं है. कहीं डॉक्टर हैं तो पैरामेडिकल स्टाफ नहीं है. इसके अलावा कई राजकीय चिकित्सालय ऐसे भी हैं. जहां एक्स-रे मशीन तो है लेकिन एक्स-रे टेक्नीशियन नहीं है.

यही कारण है कि पर्वतीय क्षेत्रों में मरीज को निजी अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ता है. हालांकि, जो इलाज खर्च को उठा सकते हैं वो तो निजी अस्पतालों में इलाज करवा लेते हैं. लेकिन जिनके पास निजी अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए पैसे नहीं होते हैं. वो देहरादून की तरफ रुख करते हैं. ताकि देहरादून स्थित जिला अस्पताल या दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज करा सके. इसके अलावा, देहरादून के निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड के जरिए आसानी से इलाज हो जाता है.

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड के पांच पर्वतीय जिले ऐसे हैं, जहां पर आयुष्मान योजना के तहत एक भी निजी अस्पताल पंजीकृत नहीं है. जिसमें उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और बागेश्वर जिला शामिल है. ऐसे में इन जिलों के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार राज्य की चिकित्सालय में इलाज न मिलने पर मरीज फिर सीधे देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और दिल्ली की ओर करता है. ताकि अटल आयुष्मान कार्ड के जरिए मरीज का निशुल्क उपचार किया जा सके.

प्रदेश की इन पांच जिलों में मौजूद निजी अस्पतालों का आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत ना होने के सवाल पर, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के क्लेम मैनेजमेंट निदेशक वीएस टोलिया ने बताया कि पांच जिले ऐसे हैं, जहां मौजूद निजी अस्पताल, आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत नहीं है. जिसकी मुख्य वजह यही है कि निजी अस्पतालों के संचालकों की ओर से आवेदन ही नहीं किया गया है. जबकि मैदानी जिलों के सापेक्ष पर्वतीय जिलों में मौजूद निजी अस्पतालों को अटल आयुष्मान के जरिए इलाज पर अधिक धनराशि दी जाती है.

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Last Updated : May 11, 2024, 6:56 PM IST
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