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कोडरमा में स्थापित है पारदर्शी शिवलिंग, दीपक की रोशनी में दिखता है आर-पार, दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग - Transparent Shivlinga in Koderma

Transparent Shivlinga in Koderma. कोडरमा के मसानोडीह में स्फटिक पत्थर से बना पारदर्शी शिवलिंग स्थापित है, दीपक की रोशनी में शिवलिंग के आर-पार दिखाई देता है, इससे जुड़ी हुई कई मान्यताएं भी हैं.

Transparent Shivlinga in Koderma
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 8, 2024, 10:10 AM IST

पारदर्शी शिवलिंग की कहानी

कोडरमा: जिले के डोमचांच प्रखंड के मसानोडीह में भगवान भोले का पारदर्शी शिवलिंग स्थापित है. स्फटिक पत्थर से बने इस शिवलिंग को करीब डेढ़ सौ साल पहले राजा महाराजा ने यहां स्थापित किया था. भगवान भोले के इस रूप को लोग निरंजन नाथ के नाम से जानते हैं.

कोडरमा के मसानोडीह में स्थापित शिवलिंग की खासियत के बारे में लोग बताते हैं कि अंधेरे में सिर्फ एक दीपक की रोशनी से ही शिवलिंग न सिर्फ आर-पार दिखाई देता है, बल्कि मान्यता है कि शिवलिंग के अंदर भगवान भोले की पांच आकृतियां दिखाई देती हैं. शिवरात्रि और सावन माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां मन्नत लेकर आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

दूर-दराज से पहुंचते हैं भक्त

भगवान भोले के इस पारदर्शी शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. करीब डेढ़ सौ साल पहले यहां के राजा को सपने में बाबा भोले के दर्शन हुए थे, जिसके बाद पूरी आस्था और भक्ति के साथ गाजे-बाजे के साथ प्राण-प्रतिष्ठा कर मंदिर का निर्माण कराया गया. यहां स्फटिक पत्थर से बने बाबा भोले के शिवलिंग को स्थापित किया गया. तब से यहां लगातार पूजा होती आ रही है.

स्थानीय लोगों के अनुसार बाबा भोले के इस शिवलिंग का अलौकिक रूप कहीं और देखने को नहीं मिलता है. यहीं पर एक पारदर्शी शिवलिंग स्थापित है, जो आर-पार दिखाई देता है और ध्यान से देखने पर भगवान भोले के पांच रूप भी नजर आते हैं.

काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर होती है पूजा

स्थानीय पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर पूजा की जाती है. यहां शिवलिंग को सिर्फ तीन पत्ती वाले बेलपत्र से नहीं बल्कि 6-7 पत्ती वाले बेलपत्र से सजाया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां लोग भगवान भोले को निरंजन नाथ के नाम से जानते हैं.

यह भी पढ़ें: 777 सीढ़ियां चढ़कर शिव भक्त करते हैं जलाभिषेक, जानिय ब्रम्हा से कैसे जुड़ी है यहां की कहानी

यह भी पढ़ें: यहां दिवाली के अगले दिन पत्थरबाजी की परंपरा, लहूलुहान होना माना जाता है सौभाग्य !, जाने इसके पीछे की कहानी

यह भी पढ़ें: Navratri 2023: हैदरनगर देवी धाम मंदिर का भूत मेला, पीपल के पेड़ की है रोचक कहानी!

पारदर्शी शिवलिंग की कहानी

कोडरमा: जिले के डोमचांच प्रखंड के मसानोडीह में भगवान भोले का पारदर्शी शिवलिंग स्थापित है. स्फटिक पत्थर से बने इस शिवलिंग को करीब डेढ़ सौ साल पहले राजा महाराजा ने यहां स्थापित किया था. भगवान भोले के इस रूप को लोग निरंजन नाथ के नाम से जानते हैं.

कोडरमा के मसानोडीह में स्थापित शिवलिंग की खासियत के बारे में लोग बताते हैं कि अंधेरे में सिर्फ एक दीपक की रोशनी से ही शिवलिंग न सिर्फ आर-पार दिखाई देता है, बल्कि मान्यता है कि शिवलिंग के अंदर भगवान भोले की पांच आकृतियां दिखाई देती हैं. शिवरात्रि और सावन माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां मन्नत लेकर आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

दूर-दराज से पहुंचते हैं भक्त

भगवान भोले के इस पारदर्शी शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. करीब डेढ़ सौ साल पहले यहां के राजा को सपने में बाबा भोले के दर्शन हुए थे, जिसके बाद पूरी आस्था और भक्ति के साथ गाजे-बाजे के साथ प्राण-प्रतिष्ठा कर मंदिर का निर्माण कराया गया. यहां स्फटिक पत्थर से बने बाबा भोले के शिवलिंग को स्थापित किया गया. तब से यहां लगातार पूजा होती आ रही है.

स्थानीय लोगों के अनुसार बाबा भोले के इस शिवलिंग का अलौकिक रूप कहीं और देखने को नहीं मिलता है. यहीं पर एक पारदर्शी शिवलिंग स्थापित है, जो आर-पार दिखाई देता है और ध्यान से देखने पर भगवान भोले के पांच रूप भी नजर आते हैं.

काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर होती है पूजा

स्थानीय पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर पूजा की जाती है. यहां शिवलिंग को सिर्फ तीन पत्ती वाले बेलपत्र से नहीं बल्कि 6-7 पत्ती वाले बेलपत्र से सजाया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां लोग भगवान भोले को निरंजन नाथ के नाम से जानते हैं.

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