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यहां स्थापित है भगवान भोले का पारदर्शी शिवलिंग, दीपक की रोशनी में नजर आता है आर-पार - Transparent Shivalinga in Koderma

Transparent Shivalinga. 1850 में राजा महाराजा के द्वारा इस शिवलिंग को लाकर स्थापित किया गया था और पारदर्शी शिवलिंग होने की विशेषता के कारण ही यह मंदिर काफी विख्यात है. इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी हैं.

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पारदर्शी शिवलिंग की तस्वीर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 19, 2024, 5:59 PM IST

कोडरमा: आज सावन की पांचवी सोमवारी है. सावन के पूरे महीने में भगवान भोले के अलग-अलग स्वरूप देखने को मिलते हैं. आज हम आपको कोडरमा के मसनोडीह के एक मंदिर में विराजमान भगवान भोले के पारदर्शी स्वरूप का दर्शन कराएंगे. यहां भगवान भोले को लोग निरंजन दास के नाम से पूजते है. भगवान भोले को अनेकों नामों से जाना जाता है. कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के मसनोडीह के जिस मंदिर में भगवान भोले का शिवलिंग पूरी तरह से पारदर्शी है, वहां के लोग भगवान भोले को निरंजन दास के नाम से जानते हैं.

शिवलिंग के बारे में जानकारी देते लोग (ETV BHARAT)

इस मंदिर में 1850 में राजा महाराजा के द्वारा इस शिवलिंग को लाकर स्थापित किया गया था और पारदर्शी शिवलिंग होने की विशेषता के कारण ही यह मंदिर काफी विख्यात है. जानकार बताते हैं कि भगवान भोले सपने में दिखायी दिए थे, जिसके बाद यह शिवलिंग यहां स्थापित किया गया है और तब से यहां के लोगों के प्रति आस्था जुड़ी हुई है. 1850 में स्थापित इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी हैं. राजा महाराजा के शासनकाल में बने इस मंदिर पर अंग्रेजों की भी नजर थी. पारदर्शी पत्थर होने के कारण कई बार अंग्रेजों ने राजा से इस शिवलिंग को खरीदने की चेष्टा भी की लेकिन ऐसा हुआ नहीं. मंदिर की स्थापना के बाद से ही मसनोडीह गांव की खूब तरक्की हुई और लोगों के रहन-सहन में काफी बदलाव आया.

मंदिर के पुजारी रविंद्र पांडे बताते हैं कि मंदिर की स्थापना के बाद गांव की तरक्की से राजा महाराजा खुश थे और उसी वक्त से सभी तबके के लोगों का मंदिर में आना शुरू हुआ था. आज भी लोग श्रद्धा भक्ति के साथ इस मंदिर में आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है कि सच्चे मन से मांगने पर बाबा निरंजन दास हर किसी की मनोकामना पूरी करते हैं. बाबा भोले का ऐसा पारदर्शी स्वरूप शायद ही किसी मंदिर में हो. कपूर या दीपक की रोशनी में शिवलिंग पारदर्शी और भगवान शिव का स्वरूप भी नजर आता है.

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कोडरमा: आज सावन की पांचवी सोमवारी है. सावन के पूरे महीने में भगवान भोले के अलग-अलग स्वरूप देखने को मिलते हैं. आज हम आपको कोडरमा के मसनोडीह के एक मंदिर में विराजमान भगवान भोले के पारदर्शी स्वरूप का दर्शन कराएंगे. यहां भगवान भोले को लोग निरंजन दास के नाम से पूजते है. भगवान भोले को अनेकों नामों से जाना जाता है. कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के मसनोडीह के जिस मंदिर में भगवान भोले का शिवलिंग पूरी तरह से पारदर्शी है, वहां के लोग भगवान भोले को निरंजन दास के नाम से जानते हैं.

शिवलिंग के बारे में जानकारी देते लोग (ETV BHARAT)

इस मंदिर में 1850 में राजा महाराजा के द्वारा इस शिवलिंग को लाकर स्थापित किया गया था और पारदर्शी शिवलिंग होने की विशेषता के कारण ही यह मंदिर काफी विख्यात है. जानकार बताते हैं कि भगवान भोले सपने में दिखायी दिए थे, जिसके बाद यह शिवलिंग यहां स्थापित किया गया है और तब से यहां के लोगों के प्रति आस्था जुड़ी हुई है. 1850 में स्थापित इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी हैं. राजा महाराजा के शासनकाल में बने इस मंदिर पर अंग्रेजों की भी नजर थी. पारदर्शी पत्थर होने के कारण कई बार अंग्रेजों ने राजा से इस शिवलिंग को खरीदने की चेष्टा भी की लेकिन ऐसा हुआ नहीं. मंदिर की स्थापना के बाद से ही मसनोडीह गांव की खूब तरक्की हुई और लोगों के रहन-सहन में काफी बदलाव आया.

मंदिर के पुजारी रविंद्र पांडे बताते हैं कि मंदिर की स्थापना के बाद गांव की तरक्की से राजा महाराजा खुश थे और उसी वक्त से सभी तबके के लोगों का मंदिर में आना शुरू हुआ था. आज भी लोग श्रद्धा भक्ति के साथ इस मंदिर में आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है कि सच्चे मन से मांगने पर बाबा निरंजन दास हर किसी की मनोकामना पूरी करते हैं. बाबा भोले का ऐसा पारदर्शी स्वरूप शायद ही किसी मंदिर में हो. कपूर या दीपक की रोशनी में शिवलिंग पारदर्शी और भगवान शिव का स्वरूप भी नजर आता है.

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