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लोकसभा चुनाव के बाद राजस्थान में लागू होगी तबादला नीति, सरकार ने मांगे सभी विभागों से प्रस्ताव - Transfer Policy in Rajasthan - TRANSFER POLICY IN RAJASTHAN

Transfer Policy Will Be Implemented in Rajasthan, राजस्थान में भजनलाल सरकार तबादला नीति लाने जा रही है. इसको लेकर विभागीय स्तर पर तैयारी शुरू कर दी गई है. लोकसभा चुनाव के बाद इसे लागू किया जाएगा. साथ ही सरकार ने सभी विभागों से स्थानांतरण संबंधी प्रस्ताव भी मांगे हैं.

Transfer Policy Will Be Implemented in Rajasthan
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 11, 2024, 5:31 PM IST

जयपुर. राजस्थान में लंबे समय से तबादला नीति को लेकर चल रही अटकलें पर अब विराम लगने जा रहा है. प्रदेश की भजनलाल सरकार जल्द ही तबादला नीति लागू करने जा रही है. सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के साथ ही प्रदेश में तबादला नीति लागू हो जाएगी. मुख्य सचिव सुधांश पंत की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद सभी विभाग अपने-अपने स्तर पर तबादला नीति को अंतिम रूप देने की तैयारी में जुट गए हैं. इसको लेकर सरकार ने सभी विभागों को एसओपी जारी कर एक महीने में सक्षम स्तर के अनुमोदन के साथ प्रस्ताव देने के निर्देश दिए हैं.

केंद्र की तर्ज पर राजस्थान में तबादला नीति : प्रदेश की नई भजनलाल सरकार कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए केंद्र की तर्ज पर तबादला नीति बनाने जा रही है. इसको लेकर सरकार ने सभी विभागों के लिए एसओपी जारी की है. इस एसओपी में कहा गया है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 4 अप्रैल को हुई बैठक के निर्देशानुसार सभी विभागों, उपक्रमों, बोर्ड, निगम और अन्य समस्त स्वायत्तशासी संस्थानों में कार्यरत कार्मिकों के स्थानांतरण प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और एक रूप में लाने के लिए तबादला नीति तैयार की जा रही है. इस तबादला नीति के लिए सभी विभाग आवश्यकता के अनुसार स्वयं के स्तर पर स्टेक होल्डर्स, लाभार्थियों, कर्मचारियों के मुख्य प्रतिनिधियों से चर्चा कर एक माह में विभाग को स्थानांतरण नीति के दिशा-निर्देश तैयार करके भेजेंगे.

इसे भी पढ़ें - शिक्षक तबादलों के पहले चरण में ऑनलाइन आवेदन की आज अंतिम तिथि, त्रुटि सुधार की मांग

3 साल से पहले नहीं होगा तबादला : बताया जा रहा है कि सरकार के स्तर लर तैयार की जा रही तबादला नीति में किसी कर्मचारी का 3 साल से पहले तबादला नहीं होगा. साथ ही हर कर्मचारी को सर्विस में दो साल ग्रामीण क्षेत्र में रहना होगा. कॉमन एसओपी के अनुसार कर्मचारियों के ट्रांसफर से पहले सभी विभागों से ऑनलाइन आवेदन मांगे जाएंगे. अधिकारी-कर्मचारी इच्छानुसार खाली पद के लिए ट्रांसफर आवेदन कर सकेंगे. संबंधित विभाग की टीम उनकी काउंसलिंग करेगी. काउंसलिंग में दिव्यांग, विधवा, भूतपूर्व सैनिक, उत्कृष्ट खिलाड़ी, एकल महिला, पति-पत्नी प्रकरण, असाध्य रोग से पीड़ित, शहीद के आश्रित सदस्य और दूरस्थ इलाकों में तीन साल से कार्यरत कर्मचारियों को प्राथमिकता मिलेगी.

हालांकि, राजस्थान की SOP राजभवन, विधानसभा सचिवालय और राज्य निर्वाचन आयोग में लागू नहीं होगी. शेष सभी विभागों में इसी के आधार पर तबदले किए जाएंगे. जिस डिपार्टमेंट में दो हजार से कम कर्मचारी हैं, वहां एसओपी ऐसे ही लागू की जाएगी, लेकिन 2 हजार से ज्यादा कर्मचारी वाले विभागों में सुविधा अनुसार पॉलिसी प्रस्ताव तैयार कर सक्षम स्तर के अनुमोदन के साथ प्रशासनिक सुधार व समन्वयक विभाग को भेजनी होगी.

इसे भी पढ़ें - कांग्रेस ने देश में भ्रष्टाचार को जन्म देने और झूठ-लूट की दुकान खोलने का काम किया-भजनलाल शर्मा - Bhajan Lal Sharma Targets Congress

क्यों है तबादला नीति की जरूरत : बता दें कि नई सरकार बनने के बाद फरवरी में तबादलों से शिक्षा विभाग को छोड़ कमोबेश सभी विभागों से कर्मचारियों की लंबी लिस्ट जारी की गई. तबादला नीति नहीं होने से कई अलग-अलग तबादला सूची पर विवाद भी हुए. कुछ कर्मचारी ट्रांसफर के खिलाफ कोर्ट चले गए. इसी तरह के विवाद को देखते हुए सरकार ने अब तबादला नीति लाने पर जोर दिया है, ताकि आने कोई विवाद न हो और न ही कोई आरोप प्रत्यारोप लगे.

जयपुर. राजस्थान में लंबे समय से तबादला नीति को लेकर चल रही अटकलें पर अब विराम लगने जा रहा है. प्रदेश की भजनलाल सरकार जल्द ही तबादला नीति लागू करने जा रही है. सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के साथ ही प्रदेश में तबादला नीति लागू हो जाएगी. मुख्य सचिव सुधांश पंत की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद सभी विभाग अपने-अपने स्तर पर तबादला नीति को अंतिम रूप देने की तैयारी में जुट गए हैं. इसको लेकर सरकार ने सभी विभागों को एसओपी जारी कर एक महीने में सक्षम स्तर के अनुमोदन के साथ प्रस्ताव देने के निर्देश दिए हैं.

केंद्र की तर्ज पर राजस्थान में तबादला नीति : प्रदेश की नई भजनलाल सरकार कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए केंद्र की तर्ज पर तबादला नीति बनाने जा रही है. इसको लेकर सरकार ने सभी विभागों के लिए एसओपी जारी की है. इस एसओपी में कहा गया है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 4 अप्रैल को हुई बैठक के निर्देशानुसार सभी विभागों, उपक्रमों, बोर्ड, निगम और अन्य समस्त स्वायत्तशासी संस्थानों में कार्यरत कार्मिकों के स्थानांतरण प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और एक रूप में लाने के लिए तबादला नीति तैयार की जा रही है. इस तबादला नीति के लिए सभी विभाग आवश्यकता के अनुसार स्वयं के स्तर पर स्टेक होल्डर्स, लाभार्थियों, कर्मचारियों के मुख्य प्रतिनिधियों से चर्चा कर एक माह में विभाग को स्थानांतरण नीति के दिशा-निर्देश तैयार करके भेजेंगे.

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3 साल से पहले नहीं होगा तबादला : बताया जा रहा है कि सरकार के स्तर लर तैयार की जा रही तबादला नीति में किसी कर्मचारी का 3 साल से पहले तबादला नहीं होगा. साथ ही हर कर्मचारी को सर्विस में दो साल ग्रामीण क्षेत्र में रहना होगा. कॉमन एसओपी के अनुसार कर्मचारियों के ट्रांसफर से पहले सभी विभागों से ऑनलाइन आवेदन मांगे जाएंगे. अधिकारी-कर्मचारी इच्छानुसार खाली पद के लिए ट्रांसफर आवेदन कर सकेंगे. संबंधित विभाग की टीम उनकी काउंसलिंग करेगी. काउंसलिंग में दिव्यांग, विधवा, भूतपूर्व सैनिक, उत्कृष्ट खिलाड़ी, एकल महिला, पति-पत्नी प्रकरण, असाध्य रोग से पीड़ित, शहीद के आश्रित सदस्य और दूरस्थ इलाकों में तीन साल से कार्यरत कर्मचारियों को प्राथमिकता मिलेगी.

हालांकि, राजस्थान की SOP राजभवन, विधानसभा सचिवालय और राज्य निर्वाचन आयोग में लागू नहीं होगी. शेष सभी विभागों में इसी के आधार पर तबदले किए जाएंगे. जिस डिपार्टमेंट में दो हजार से कम कर्मचारी हैं, वहां एसओपी ऐसे ही लागू की जाएगी, लेकिन 2 हजार से ज्यादा कर्मचारी वाले विभागों में सुविधा अनुसार पॉलिसी प्रस्ताव तैयार कर सक्षम स्तर के अनुमोदन के साथ प्रशासनिक सुधार व समन्वयक विभाग को भेजनी होगी.

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क्यों है तबादला नीति की जरूरत : बता दें कि नई सरकार बनने के बाद फरवरी में तबादलों से शिक्षा विभाग को छोड़ कमोबेश सभी विभागों से कर्मचारियों की लंबी लिस्ट जारी की गई. तबादला नीति नहीं होने से कई अलग-अलग तबादला सूची पर विवाद भी हुए. कुछ कर्मचारी ट्रांसफर के खिलाफ कोर्ट चले गए. इसी तरह के विवाद को देखते हुए सरकार ने अब तबादला नीति लाने पर जोर दिया है, ताकि आने कोई विवाद न हो और न ही कोई आरोप प्रत्यारोप लगे.

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