नई दिल्ली : दिल्ली में इन दिनों कोहरे का भारी प्रकोप देखा जा रहा है.जिसके चलते आम जन जीवन तो प्रभावित है ही लेकिन सबसे ज्यादा परेशान ट्रेन में सफर करने वाले लोग है. क्योंकि कोहरे की वजह से ट्रेन कई घंटे की देरी से चल रही है और साथ ही ट्रेन रद्द भी की जा रही है. बुधवार को यानी 24 जनवरी को भी ट्रेनों का संचालन प्रभावित चल रहा है. देश के विभिन्न राज्यों से दिल्ली आने वाली 24 ट्रेनें 6:30 घंटे तक की देरी से चल रही हैं.
ट्रेन का नाम कितने घंटे लेट |
अगरतला- आनंद विहार राजधानी एक्सप्रेस 45 मिनट |
हावड़ा- नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस 1 घंटे 40 मिनट |
राजेंद्र नगर- नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस 3 घंटे |
सियालदह- नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस 1 घंटे |
डिब्रूगढ़- नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस 1 घंटे 45 मिनट |
बेंगलुरु- निजामुद्दीन राजधानी एक्सप्रेस 1 घंटे |
भुवनेश्वर- नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस 6:30 घंटे |
पुरी- नई दिल्ली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस 6 घंटे |
कानपुर- नई दिल्ली श्रम शक्ति एक्सप्रेस 2.15 घंटे |
ट्रेन का नाम कितने घंटे लेट | ||
सहरसा- नई दिल्ली वैशाली एक्सप्रेस 2 घंटे 15 मिनट | ||
कटिहार- अमृतसर एक्सप्रेस 6 घंटे | ||
रीवा- आनंद विहार एक्सप्रेस 6 घंटे | ||
प्रयागराज- नई दिल्ली एक्सप्रेस 3 घंटे 30 मिनट | ||
आजमगढ़- दिल्ली जन कैफियत एक्सप्रेस 6 घंटे 45 मिनट | ||
भागलपुर- आनंद विहार एक्सप्रेस 2 घंटे 30 मिनट | ||
राजेंद्र नगर- नई दिल्ली एक्सप्रेस 2 घंटे | ||
बनारस- नई दिल्ली एक्सप्रेस 1 घंटे 30 मिनट |
ट्रेन का नाम | देरी से चलने वाली ट्रेनें | |
चेन्नई नई दिल्ली एक्सप्रेस | 1 घंटे 30 मिनट | |
हैदराबाद नई दिल्ली एक्सप्रेस | 4 घंटे | |
कामाख्या दिल्ली जंक्शन ब्रह्मपुत्र मेल | 4 घंटे | |
मानिकपुर निजामुद्दीन एक्सप्रेस | 3 घंटे |
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ट्रेनों के देरी से चलने के कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जो ट्रेन बहुत ज्यादा देरी से गंतव्य पर पहुंचती है उसकी वापसी में संचालन भी देरी से हो रही है जिससे यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है . ट्रेन के लिए यात्रियों को घंटों तक इंतजार करना पड़ता है. इसके अतिरिक्त अन्य कोई ट्रेनें भी प्रभावित चल रही हैं.
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार के मुताबिक कोहरे में दृश्यता बहुत कम है. जिससे ट्रेन के लोको पायलट को सिग्नल नहीं दिखाई दे रहे हैं. ट्रेन सिग्नल के अनुसार ही चलना होता है, जिससे ट्रेन हादसा ना हो. लोको पायलट सिग्नल देख सके इसके लिए ट्रेन की रफ्तार धीमी रखते हैं. इससे ट्रेन लेट हो जाती है. वहीं ट्रेन के गंतव्य पर पहुंचने के बाद उसे मेंटेनेंस के लिए भेजा जाता है. जहां पर ट्रेन की सफाई धुलाई के साथ पहियों और अन्य तकनीकी खामियों की जांच की जाती है. जिससे सामान्य तरीके से संचालन हो सके और कोई हादसा ना हो. इस काम में 2 से 6 घंटे का वक्त लगता है. इस कारण से वापसी में ट्रेनों का संचालन विलंब हो जाता है.
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