पलामू: अक्सर यह चर्चा होती है कि हार्ट अटैक आने के बाद व्यक्ति को कैसे कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देना है. लेकिन बेहद ही कम लोगों को जानकारी है कि बच्चों को सीपीआर कैसे दिया जाता है. पलामू जिला प्रशासन एक पहल करते हुए पूरे जिले में सीपीआर देने की ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन कर रहा है.
इस ट्रेनिंग में लायन्स क्लब और डॉक्टरों की टीम जिला प्रशासन का सहयोग कर रही है. पलामू जिला प्रशासन इस ट्रेनिंग को पीएचसी स्तर पर देगी. इस पूरे प्रशिक्षण के कार्यक्रम का डीसी शशिरंजन खुद से मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इस दौरान सीपीआर के तरीकों की जानकारी डॉक्टर की टीम दे रही है. हार्ट अटैक आने की स्थिति में व्यस्क व्यक्ति को सीपीआर दिया जाता है. वहीं खाने के दौरान गला में कुछ फंस जाने के बाद बच्चों को सीपीआर देने की जरूरत होती है.
पलामू के मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में तैनात चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर अभय कुमार बच्चों को सीपीआर देने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. इस दौरान डॉक्टर अभय कुमार बच्चों को सीपीआर देने के दौरान बरती जाने वाले सावधानी समेत कई बिंदुओं पर ट्रेनिंग दे रहे हैं. डॉक्टर अभय कुमार का कहना है कि खाने के दौरान बच्चों के गले में कुछ फंस जाता है तो इस स्थिति में बच्चा कुछ बोल नहीं पता है और उसकी आवाज नहीं निकाल पाती है. इस हालत में सीपीआर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे बच्चों को बचाया जा सकता है. सीपीआर बच्चों को तत्काल राहत देती है और उसकी जान बच सकती है.
बच्चों को सीपीआर देने का क्या है तरीका ?
डॉक्टर अभय कुमार बताते है कि यह देखना होता है कि बच्चे में कोई गति या मूवमेंट है कि नहीं. बच्चे के मूवमेंट नहीं होने पर सीपीआर की जरूरत महसूस होती है. बच्चों को सीपीआर देने में दो उंगली मेथड की भूमिका होती है. डॉ अभय कुमार बताते हैं कि सभी तरीका सेम है लेकिन दो अंगुली की भूमिका महत्वपूर्ण होती, दो उंगली से ही बच्चे को छाती को कंप्रेस किया जाता है. करीब 30 बार कंप्रेस करना है और दो बार सांस दिया जाना. इसी तरह गला में फंसने पर बच्चे को उल्टा कर उसके सिर के गर्दन के पास थपकी देनी है. यह प्रक्रिया तब तक देना है जब तक बच्चों के गले में फंसा हुआ चीज बाहर ना निकल जाए, इस दौरान भी बच्चों को सीपीआर दिया जा सकता है.
ये भी पढ़ें-
झारखंड हृदय समागम: दिल की बंद हो चुकी धड़कन को दोबारा शुरू करने की तकनीक सीख रहे हैं पुलिस के जवान