झांसी : जिले के वीरांगना लक्ष्मीबाई स्टेशन से कई ट्रेनों का संचालन रद्द होने के कारण अचानक यात्रियों ने मजबूरन बसों की तरफ रुख कर लिया है. आलम ये है कि रेल की बजाय बसों का सफर करने को मजबूर लोगों को एक-एक सीट पाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. आसपास की दूरी के यात्री घर या अन्य स्थानों तक पहुंचने के लिए दोगुना किराया देने तक को तैयार हैं. इसके बाद भी सीट न मिलने पर जान जोखिम में डालकर बेबस यात्री बस के ऊपर बैठकर सफर कर रहे हैं.
झांसी के इकलौते बस स्टैंड पर सफर के लिए दिन में भारी भीड़ उमड़ रही है. दो दिनों से यही सिलसिला जारी है. रेलवे द्वारा तकनीकि सुधार कार्य के चलते कुछ ट्रेनों के संचालन को रोक दिया गया है. ये वे ट्रेनें हैं जो आसपास के क्षेत्रों में रूकती हैं. उन ट्रेनों के यात्रियों का दबाव सीधे तौर पर अब बसों पर पड़ा है. आलम यह है कि कुल 52 सीट की बसों में सौ से सवा सौ यात्री सफर कर रहे हैं. कई यात्री बसों की छत पर बैठकर भी सफर कर रहे हैं. सुरक्षा को ताक पर रखकर बस संचालक भी बड़ी तादाद में यात्रियों को एक साथ ले जाने के लिए सुरक्षा के सारे मानकों को ताक पर रख रहे हैं. कई बसों में छत पर बैठकर सफर पूरा करने के लिए लोग दोगुना किराया देने के लिए तैयार दिखे.
ऐसा नजारा एक बस का नहीं था, झांसी से सौ और डेढ़ सौ किलोमीटर के दायरे में चलने वाली हर बस में ऐसी भीड़ रविवार और सोमवार को देखी गई. यह पहला मौका नहीं है जब लोग बसों की छतों पर बैठकर सफर करने के लिए मजबूर हैं. लोग अपनी जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं. कई साल पहले झांसी चिरगांव के बीच एक बड़ा हादसा हो चुका है जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा था. इस मामले में जितनी जवाबदेही यात्री और बस ऑपरेटर की बनती है, कहीं न कहीं झांसी आरटीओ विभाग की भी बनती है.
आरटीओ प्रवर्तन अधिकारी प्रभात पांडे का कहना है कि ट्रेनों के निरस्त होने से बस पर सवारियों का लोड बढ़ा है. ओवर लोड सवारियों को ले जाने की जानकारी नहीं है. टीम को भेजकर जांच करवा रहे हैं. यदि किसी बस में मानक से ज्यादा सवारियां मिलती हैं और यात्रियों की सुरक्षा से भी कहीं खिलवाड़ होता पाया गया. उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
यह भी पढ़ें : राजस्थान : मालगाड़ी के दो डिब्बे पटरी से उतरे, 8 ट्रेनों का संचालन रद्द