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यातायात प्रबंधक देवता जो करते हैं दशहरे की भीड़ को कंट्रोल, गलती होने पर खुद चल पड़ता है देवता का रथ

कुल्लू के देवता नाग धुंबल के बिना अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव पूरा होने की कल्पना नहीं की जा सकती है. उन्हें यातायात प्रबंधक कहा जाता है.

Traffic Manager Devta Nag Dhumbal
यातायात प्रबंधक देवता नाग धुंबल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 11, 2024, 1:32 PM IST

Updated : Oct 11, 2024, 2:20 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर मैदान में 13 अक्टूबर से अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का शुभारंभ होगा. इस देव महाकुंभ में भाग लेने के लिए जिला कुल्लू के देवी-देवता भी अपने-अपने मंदिरों से रवाना हो चुके हैं. अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में कई देवी-देवता अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. जिनके बिना दशहरा उत्सव के पूरा होने की कल्पना नहीं की जा सकती है. ऐसे ही जिला कुल्लू के एक देवता दशहरा उत्सव में रथ यात्रा के दौरान हजारों लोगों की भीड़ को नियंत्रित करते हैं.

कुल्लू के यातायात प्रबंधक देवता

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में एक देवता ऐसे हैं, जिन्हें यातायात प्रबंधक कहा जाता है. दशहरा उत्सव में पुलिस जवान नहीं, बल्कि देवता भीड़ को नियंत्रित करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि देवता नाग धुंबल दशहरा उत्सव में यातायात व्यवस्था बनाते हैं. इन्हें यातायात प्रबंधक भी कहा जाता है. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में जहां लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सैकड़ों पुलिस जवान तैनात होते हैं. इस दौरान भगवान रघुनाथ जी की रथ यात्रा के शुरू होने पर देवता नाग धुंबल अकेले ही पूरी भीड़ को नियंत्रित करते हैं. कुल्लू दशहरा उत्सव के शुरू होने पर भगवान रघुनाथ के रथ के सामने लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस दौरान देवता नाग धुंबल स्वयं भगवान रघुनाथ के लिए रास्ता बनाते हैं.

Traffic Manager Devta Nag Dhumbal
देवता नाग धुंबल (ETV Bharat)

नियम टूटने पर अपने-आप चलने लगता है देवता का रथ

देवता के गुर गुप्त राम ने बताया कि जब कोई व्यक्ति मंदिर के आसपास गंदगी फैलाता है या फिर कोई भी नियम टूट जाते हैं, तो देवता नाग धुंबल का देवरथ अपने आप ही अपने स्थान से चलने लगता है. इस कारण देवता के देवरथ को बांध कर भी रखा जाता था. अब जब से देवता के लिए नए आसन की व्यवस्था की गई है, तब से उन्होंने देवता के रथ को बांधना छोड़ दिया है, लेकिन अभी भी कई बार देवता का रथ अपने स्थान से स्वयं चलने लगता है.

आधे रास्ते पहुंचकर वापस ढालपुर आए थे देवता

देवता के गुर गुप्त राम ने बताया कि साल 2019 के दशहरा उत्सव की समाप्ति पर कुछ लोगों ने देवस्थलों पर दुकानें लगा दी थी. देवता नाग धुंबल जब वापस घर आ रहे थे तो वह डोहलूनाला पहुंचकर कुल्लू जाने की जिद पर अड़ गए. करीब 35 किमी का सफर तय कर देवता देर रात भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर में वापस पहुंच गए. इसके बाद लोगों ने देवता से माफी मांगी और आश्वासन दिया कि देवताओं के स्थान को साफ सुथरा रखा जाएगा.

कोरोना काल में देवता को नहीं दिया था निमंत्रण

गुप्त राम ने बताया कि साल 2020 में कोरोना के चलते बहुत कम देवताओं को कुल्लू दशहरा उत्सव के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन हलाण-दो के देवता नाग धुंबल सहित चार देवता प्रशासन के बुलावे के बिना ही ढालपुर मैदान पहुंच गए थे. देवता ने कुल्लू पहुंच कर देवताओं को न बुलाने पर आपत्ति भी दर्ज की थी.

देवता नाग धुंबल के कारदार जवाहर लाल ने बताया, "कुल्लू दशहरा उत्सव के दौरान जहां पर काफी भीड़ होती है. वहां पर जाकर देवता उस भीड़ को हटाते हैं. देवता के रथ में इतनी शक्ति है कि अगर देवता की इच्छा के बगैर कोई धार्मिक कार्य किया जाता है या गंदगी फैलाई जाती है तो देवता का रथ स्वयं जमीन पर चलने लगता है."

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कुल्लू के यातायात प्रबंधक देवता

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में एक देवता ऐसे हैं, जिन्हें यातायात प्रबंधक कहा जाता है. दशहरा उत्सव में पुलिस जवान नहीं, बल्कि देवता भीड़ को नियंत्रित करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि देवता नाग धुंबल दशहरा उत्सव में यातायात व्यवस्था बनाते हैं. इन्हें यातायात प्रबंधक भी कहा जाता है. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में जहां लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सैकड़ों पुलिस जवान तैनात होते हैं. इस दौरान भगवान रघुनाथ जी की रथ यात्रा के शुरू होने पर देवता नाग धुंबल अकेले ही पूरी भीड़ को नियंत्रित करते हैं. कुल्लू दशहरा उत्सव के शुरू होने पर भगवान रघुनाथ के रथ के सामने लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस दौरान देवता नाग धुंबल स्वयं भगवान रघुनाथ के लिए रास्ता बनाते हैं.

Traffic Manager Devta Nag Dhumbal
देवता नाग धुंबल (ETV Bharat)

नियम टूटने पर अपने-आप चलने लगता है देवता का रथ

देवता के गुर गुप्त राम ने बताया कि जब कोई व्यक्ति मंदिर के आसपास गंदगी फैलाता है या फिर कोई भी नियम टूट जाते हैं, तो देवता नाग धुंबल का देवरथ अपने आप ही अपने स्थान से चलने लगता है. इस कारण देवता के देवरथ को बांध कर भी रखा जाता था. अब जब से देवता के लिए नए आसन की व्यवस्था की गई है, तब से उन्होंने देवता के रथ को बांधना छोड़ दिया है, लेकिन अभी भी कई बार देवता का रथ अपने स्थान से स्वयं चलने लगता है.

आधे रास्ते पहुंचकर वापस ढालपुर आए थे देवता

देवता के गुर गुप्त राम ने बताया कि साल 2019 के दशहरा उत्सव की समाप्ति पर कुछ लोगों ने देवस्थलों पर दुकानें लगा दी थी. देवता नाग धुंबल जब वापस घर आ रहे थे तो वह डोहलूनाला पहुंचकर कुल्लू जाने की जिद पर अड़ गए. करीब 35 किमी का सफर तय कर देवता देर रात भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर में वापस पहुंच गए. इसके बाद लोगों ने देवता से माफी मांगी और आश्वासन दिया कि देवताओं के स्थान को साफ सुथरा रखा जाएगा.

कोरोना काल में देवता को नहीं दिया था निमंत्रण

गुप्त राम ने बताया कि साल 2020 में कोरोना के चलते बहुत कम देवताओं को कुल्लू दशहरा उत्सव के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन हलाण-दो के देवता नाग धुंबल सहित चार देवता प्रशासन के बुलावे के बिना ही ढालपुर मैदान पहुंच गए थे. देवता ने कुल्लू पहुंच कर देवताओं को न बुलाने पर आपत्ति भी दर्ज की थी.

देवता नाग धुंबल के कारदार जवाहर लाल ने बताया, "कुल्लू दशहरा उत्सव के दौरान जहां पर काफी भीड़ होती है. वहां पर जाकर देवता उस भीड़ को हटाते हैं. देवता के रथ में इतनी शक्ति है कि अगर देवता की इच्छा के बगैर कोई धार्मिक कार्य किया जाता है या गंदगी फैलाई जाती है तो देवता का रथ स्वयं जमीन पर चलने लगता है."

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Last Updated : Oct 11, 2024, 2:20 PM IST
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