नई दिल्ली:अपने मुद्दों के लिए आवाज़ उठाना सभी का लोकतांत्रिक अधिकार है किंतु आवाज़ उठाने वालों का यह भी कर्तव्य है कि उनके आवाज़ उठाने के तरीक़े से किसी और के लोकतांत्रिक अधिकार का हनन न हो. इस संदर्भ में कनफ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स(कैट) ने कहा कि जिस प्रकार किसान आंदोलन को लेकर जिस प्रकार के बयान आ रहे हैं उससे दिल्ली के व्यापारी चिंतित है. लेकिन सरकार पर भरोसा है कि वो इस आंदोलन के कारण दिल्ली के व्यापार को प्रभावित नहीं होने देगी.
कैट ने दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से आग्रह किया है कि दिल्ली में माल की आवाजाही निर्बाध रूप से चलती रहे. इसको सुनिश्चित किया जाये. इस कार्य में दिल्ली के व्यापारी सरकार का सहयोग करने के लिए तत्पर हैं. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि किसान आंदोलन के कारण दिल्ली में आने वाले अथवा दिल्ली से बाहर जाने वाले माल की आवाजाही में कोई व्यवधान न आए.
इसके लिए सरकार आवश्यक व्यवस्था करे और किसान की भी ज़िम्मेदारी है कि वो भी इस बात को सुनिश्चित करें. खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली न तो कृषि राज्य है और ना ही औद्योगिक राज्य बल्कि दिल्ली देश का सबसे बड़ा व्यापारिक वितरण केंद्र है जहां देश के विभिन्न राज्यों से दिल्ली में माल आता है और दिल्ली से देश के समस्त राज्यों में माल जाता है. यदि सप्लाई चेन में किसी भी प्रकार का व्यवधान आता है तो उसका विपरीत असर दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के व्यापार पर पड़ेगा.
खंडेलवाल ने कहा कि हर किसानी मुद्दे से अनेक वर्ग जुड़े होते हैं जिनमें न केवल उपभोक्ता बल्कि कृषि खाद्यान्नों का व्यापार करने वाले व्यापारी, खाद्य प्रसंस्करण में लगे उद्योग एवं व्यापार , बीज एवं कीटनाशक बनाने वाली उद्योग, खाद एवं अन्य उपजाऊ उत्पाद बनाने वाले लोग, थोक एवं खुदरा विक्रेता,आढ़ती एवं कृषि से सम्बंधित बड़े उद्योग सहित अनेक वर्गों के लोग प्रभावित होते हैं.
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इसलिए इस आंदोलन से सभी का अपने व्यापार को लेकर चिंतित होना स्वाभाविक है. किसान आंदोलन के कारण दिल्ली में धारा 144 लगने के कारण से और क़ानून एवं व्यवस्था में सहयोग देने की दृष्टि से कैट ने 14 फ़रवरी को निकालने वाली विकसित भारत यात्रा को फ़िलहाल स्थगित कर दिया है और नई तारीख़ शीघ्र ही तय करने की बात कही है.
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