रामनगरः विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का सबसे चर्चित पर्यटन जोन ढिकाला पर्यटकों के लिए फिर से खुल गया है. हर साल ढिकाला जोन में सफारी और रात्रि विश्राम के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक कॉर्बेट पार्क पहुंचते हैं. ढिकाला के जंगल, प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवों का दीदार पर्यटकों को रोमांचित करता है.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 15 नवंबर से पार्क के सभी जोनों में रात्रि विश्राम की सुविधा शुरू हो चुकी है. ढिकाला जोन में भी पर्यटक ढिकाला क्षेत्र से सटकर बहने वाली रामगंगा नदी का दीदार कर रोमांचित हो रहे हैं. वहीं ढिकाला में बने रात्रि विश्राम कक्ष भी बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए किसी आकर्षण का केंद्र से कम नहीं होते.
देसी के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी ढिकाला में रात्रि विश्राम का लुत्फ उठा रहे हैं. पर्यटकों का कहना है कि यहां का प्राकृतिक सौंदर्य शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. उसके साथ ही पॉल्यूशन फ्री हवाएं उनको तरोताजा कर रही हैं.
कॉर्बेट पार्क में आने वाले पर्यटक कॉर्बेट पार्क के अलग-अलग ढिकाला, सर्पदुली, गैरल, सुल्तान के साथ ही बिजरानी, झिरना, गर्जिया, सोना नदी, दुर्गा देवी, पाखरो और मुंडिया पानी जोन में डे सफारी व नाइट स्टे के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की वेबसाइट https://corbettgov.org के जरिए डे सफारी और नाइट स्टे की ऑनलाइन बुकिंग कराते हैं.
बता दें कि कॉर्बेट पार्क के ढिकाला जोन में 30 रूम की सुविधा है. इसमें 12 डॉरमेट्री की सुविधा है. इसके अलावा ढिकाला के ही गैरल में 6 कक्ष और 8 बेड की डॉरमेट्री है. सुल्तान में 2 कक्ष, मलानी में 2 कक्ष, बिजरानी जोन में 7 रूम की सुविधा है. ढेला पर्यटन जोन में 2 रूम की सुविधा है. झिरना जोन में 4 रूम की सुविधा है. पाखरो जोन में 2 रूम की सुविधा है. सोना नदी में 2 रूम की सुविधा है.
पक्षी गणना का कार्य शुरू: प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ी 15 संस्थाओं की संयुक्त पहल पर 16 नवंबर से उत्तराखंड स्तर पर दो दिवसीय पक्षी गणना का कार्य शुरू हो गया है. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला रेंज में नेचर साइंस इनिशिएटिव फॉर स्कूल्स के साथ मिलकर राजकीय इंटर कॉलेज ढेला के 30 बच्चों ने इस कार्यक्रम में भागीदारी किया. प्रतिभागी बच्चों ने उनकी गणना करते हुए पक्षी अवलोकन का भरपूर आनंद लेने के साथ उनके बारे में जाना.
कॉर्बेट में पक्षियों की 600 प्रजाति: पक्षी विशेषज्ञ मनोज शर्मा ने बच्चों को बताया कि कॉर्बेट क्षेत्र में पक्षियों की करीब 600 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें 350 के आसपास स्थानीय हैं. और 250 प्रवासी पक्षी हैं. मनोज शर्मा ने बच्चों को बताया कि पक्षी विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में हजारों किलोमीटर की यात्रा कर यहां पहुंचते हैं. गर्मी की शुरुआत होते ही वह अपने गृह क्षेत्रों को चले जाते हैं. प्रवासी पक्षियों में साइबेरियन पक्षी, एशियन पैराडाइज, स्कारलेट मिनिवेट, स्विफ्ट हैं. यह स्थानीय परिवेश के इतने अनुकूल हो चुके हैं कि यह अब स्थायी रूप से यहीं रहने लगी है.
उन्होंने बताया कॉर्बेट की भौगोलिक सुधार के चलते समाप्त हो चुके गिद्ध फिर से दिखाई देने लगे हैं. वर्तमान में ढेला रेंज में ही 150 से अधिक गिद्ध पाए जाते हैं. पार्क के अलग-अलग क्षेत्रों में 3 अन्य दुर्लभ पक्षी दिखे हैं. जिसमें साइबेरिया रूबी थ्रोट, सिल्वर एयर मलेशिया पक्षी, चाइनीज रूबी थ्रोट पक्षी हैं. जो लेह लद्दाख में पाई जाती हैं. यहां मुनिया, ग्रीन वार्बलर, ग्रीन बी ईटर, फ्लाई कैचर भी पाई जाती हैं.
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