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गौतम ऋषि की तपस्थली गंगभैवा बावड़ी मंदिर पहुंचे सतपाल महाराज, बोले- जल्द पर्यटन मानचित्र पर दिखेगा ये स्थान - Gangabhaiva Bawdi Temple - GANGABHAIVA BAWDI TEMPLE

Satpal Maharaj visit to Gangabhaiva Bawdi Temple in vikasnagar देहरादून जिले का विकासनगर नगर इलाका अनेक प्राचीन तीर्थस्थलों वाला स्थान है. उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज जब गंगा बावड़ी मंदिर पहुंचे तो यहां की कहानी सुनकर अचरज में पड़ गए. क्या है इस स्थान का महत्व और किस ऋषि से जुड़ा है यहां का तीर्थ, जानिए इस खबर में.

Satpal Maharaj visit to Gangabhaiva Bawdi Temple
विकासनगर समाचार (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 19, 2024, 7:39 AM IST

Updated : Aug 19, 2024, 12:00 PM IST

गंगभैवा बावड़ी मंदिर पहुंचे सतपाल महाराज (Video- ETV Bharat)

विकासनगर: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने विकासनगर के गौतम ऋषि तपस्थली गंगा बावड़ी मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की. उन्होंने प्रदेश की खुशहाली की कामना की. महाराज ने कहा कि यह स्थल जल्द ही पर्यटन मानचित्र पर होगा. कैबिनेट मंत्री ने भी कहा कि शीघ्र यहां पर छिपे धार्मिक स्थलों को पर्यटन के मानचित्र पर जोड़ा जाएगा.

गंगा बावड़ी मंदिर पहुंचे सतपाल महाराज: मान्यता है कि गौतम ऋषि की तपस्थली गंगभैवा बावड़ी मंदिर में स्वयं ही गंगा उत्पन्न होती हैं. इस पवित्र स्थान पर लोग दूर-दूर से आते हैं. गौतम ऋषि की तपस्थली महादेव गंगभैवा बावड़ी मंदिर पछुवादून की धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अपने आप में प्राचीन इतिहास को संजोये हुए है. प्राचीन धार्मिक ग्रंथों, वेद पुराणों, दर्शन शास्त्रों में भी इस धार्मिक स्थल के प्रमाण देखने को मिलते हैं. यहां यमुना, तमसा एवं सहायक नदियों का संगम भी देखने को मिलता है. कहा जाता है कि गौतम ऋषि इसी स्थान पर आश्रम बनाकर पूजा ध्यान किया करते थे. गौतम ऋषि नित्य प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर यहां से कोसों दूर पैदल चलकर हरिद्वार में गंगा स्नान करने के लिए जाया करते थे. गंगा माता उनकी तपस्या से खुश होकर उनके आश्रम में ही जलधारा के रूप में उत्पन्न हो गईं. इस कारण इस स्थान का महत्व हरिद्वार के समान ही माना जाता है.

प्राचीन तीर्थ देखकर खुश हुए पर्यटन मंत्री: उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि आज विकासनगर के टूरिज्म को आगे बढ़ाने के लिए और यहां के जो छिपे हुए हमारे धार्मिक स्थल हैं, उनका अवलोकन करने के लिए गंगभैवा बावड़ी आया हूं. यहां के इतिहास के बारे में पता चला कि गौतम ऋषि यहां पर रहते थे और साक्षात गंगा यहां प्रकट हुईं. ऐसा मुझे बताया गया है. निश्चित रूप में यह बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है और इसका विकास करेंगे. इसे पर्यटन के मानचित्र पर लाएंगे, ताकि और भी श्रद्धालु यहां पर यमुना के क्षेत्र में गंगा का दर्शन कर सकें. गंगा स्नान कर सकें. यहां पर श्रद्धा पिंड भी दिया जाता है. यहां पर मछलियों को भी लोग भोजन देते हैं, जिससे कि राहु केतु की शांति होती है.

गंगा बावड़ी मंदिर की बहुत पुरानी है मान्यता: ऐसा धार्मिक स्थल जहां पर अहिल्या माता और गौतम ऋषि की तपस्थली रही है, यह निश्चित रूप में ही दर्शनीय स्थल है. यहां पर बहुत से स्थल हैं जिनका मुझे दर्शन करने का मौका मिला. यहां के आचार्य ने मुझे परिसर दिखाया और बड़ी प्रसन्नता हुई. बाबा बालक नाथ जी का मंदिर देखकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि हमारे हिमाचल के जो प्रेमी हैं, यहां आकर के बाबा बालक नाथ जी का दर्शन कर सकते हैं.
ये भी देखें: विकासनगर में मकर संक्रांति की धूम, यमुना तीर्थ पर किया गया अनुष्ठान

गंगभैवा बावड़ी मंदिर पहुंचे सतपाल महाराज (Video- ETV Bharat)

विकासनगर: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने विकासनगर के गौतम ऋषि तपस्थली गंगा बावड़ी मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की. उन्होंने प्रदेश की खुशहाली की कामना की. महाराज ने कहा कि यह स्थल जल्द ही पर्यटन मानचित्र पर होगा. कैबिनेट मंत्री ने भी कहा कि शीघ्र यहां पर छिपे धार्मिक स्थलों को पर्यटन के मानचित्र पर जोड़ा जाएगा.

गंगा बावड़ी मंदिर पहुंचे सतपाल महाराज: मान्यता है कि गौतम ऋषि की तपस्थली गंगभैवा बावड़ी मंदिर में स्वयं ही गंगा उत्पन्न होती हैं. इस पवित्र स्थान पर लोग दूर-दूर से आते हैं. गौतम ऋषि की तपस्थली महादेव गंगभैवा बावड़ी मंदिर पछुवादून की धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अपने आप में प्राचीन इतिहास को संजोये हुए है. प्राचीन धार्मिक ग्रंथों, वेद पुराणों, दर्शन शास्त्रों में भी इस धार्मिक स्थल के प्रमाण देखने को मिलते हैं. यहां यमुना, तमसा एवं सहायक नदियों का संगम भी देखने को मिलता है. कहा जाता है कि गौतम ऋषि इसी स्थान पर आश्रम बनाकर पूजा ध्यान किया करते थे. गौतम ऋषि नित्य प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर यहां से कोसों दूर पैदल चलकर हरिद्वार में गंगा स्नान करने के लिए जाया करते थे. गंगा माता उनकी तपस्या से खुश होकर उनके आश्रम में ही जलधारा के रूप में उत्पन्न हो गईं. इस कारण इस स्थान का महत्व हरिद्वार के समान ही माना जाता है.

प्राचीन तीर्थ देखकर खुश हुए पर्यटन मंत्री: उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि आज विकासनगर के टूरिज्म को आगे बढ़ाने के लिए और यहां के जो छिपे हुए हमारे धार्मिक स्थल हैं, उनका अवलोकन करने के लिए गंगभैवा बावड़ी आया हूं. यहां के इतिहास के बारे में पता चला कि गौतम ऋषि यहां पर रहते थे और साक्षात गंगा यहां प्रकट हुईं. ऐसा मुझे बताया गया है. निश्चित रूप में यह बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है और इसका विकास करेंगे. इसे पर्यटन के मानचित्र पर लाएंगे, ताकि और भी श्रद्धालु यहां पर यमुना के क्षेत्र में गंगा का दर्शन कर सकें. गंगा स्नान कर सकें. यहां पर श्रद्धा पिंड भी दिया जाता है. यहां पर मछलियों को भी लोग भोजन देते हैं, जिससे कि राहु केतु की शांति होती है.

गंगा बावड़ी मंदिर की बहुत पुरानी है मान्यता: ऐसा धार्मिक स्थल जहां पर अहिल्या माता और गौतम ऋषि की तपस्थली रही है, यह निश्चित रूप में ही दर्शनीय स्थल है. यहां पर बहुत से स्थल हैं जिनका मुझे दर्शन करने का मौका मिला. यहां के आचार्य ने मुझे परिसर दिखाया और बड़ी प्रसन्नता हुई. बाबा बालक नाथ जी का मंदिर देखकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि हमारे हिमाचल के जो प्रेमी हैं, यहां आकर के बाबा बालक नाथ जी का दर्शन कर सकते हैं.
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Last Updated : Aug 19, 2024, 12:00 PM IST
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