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Rajasthan: जैसलमेर से बंगाली सैलानियों का मोह भंग, नहीं पहुंचे टूरिस्ट, जानिए वजह

जैसलमेर में अब तक उम्मीद के मुताबिक पर्यटक नहीं आने से पर्यटन व्यवसायी मायूस हैं. स्वर्णनगरी में पर्यटन सीजन की शुरुआत बंगाली सैलानी करते हैं.

JAISALMER TOURIST
जैसलमेर से बंगाली सैलानियों को हुआ मोहभंग (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 20, 2024, 7:42 PM IST

Updated : Oct 20, 2024, 9:26 PM IST

जैसलमेर : स्वर्णनगरी को पर्यटन नगरी के रूप में विख्यात करने में बंगाली सैलानियों की सबसे बड़ी भूमिका है. ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले बंगाली सैलानियों के ही जैसलमेर आने से यहां पर्यटन की शुरूआत हुई थी. इसके बाद पूरे देश और उसके बाद विदेशों में भी जैसलमेर की पहचान स्थापित हो गई. इतना ही नहीं, हर साल नवरात्र में बंगाली सैलानियों की आवक के साथ ही पर्यटन सीजन की शुरूआत होती थी, लेकिन कोरोना के बाद से ही बंगाली सैलानियों का जैसलमेर से मोह भंग हो गया है. इस साल भी नवरात्र में बंगाली सैलानियों से जैसलमेर के गुलजार रहने की उम्मीद थी, लेकिन पूरा नवरात्र बीतने के बावजूद बंगाली सैलानियों की आवक बहुत कम हुई.

पर्यटन व्यवसायी लव जोशी और योगेश बिस्सा ने बताया कि हर साल नवरात्र शुरू होने के साथ ही बंगाली सैलानी जैसलमेर पहुंच कर सीजन की शुरुआत कर देते थे. इसके बाद नवरात्र खत्म होने पर वे वापस बंगाल लौट जाते थे. पश्चिम बंगाल में नवमी पूजा का विशेष महत्व है. इसी के चलते नवमी की पूजा बंगाली अपने घरों में करते हैं, लेकिन इस साल पूरा नवरात्र बीत गया. इसके बावजूद बंगाली सैलानी जैसलमेर में दिखाई नहीं दिए.

इसे भी पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस : झीलों की नगरी में दिवाली मनाने के लिए अभी से 50% से ज्यादा होटल और रिसॉर्ट बुक - World Tourism Day 2024

बंगाली सैलानी करते थे सीजन की शुरुआत : जैसलमेर में यह ट्रेंड बन गया कि नवरात्र शुरू होने के साथ ही बंगाली सैलानी जैसलमेर पहुंचने शुरू हो जाते थे. इसके बाद पूरे नवरात्र बंगाल के पर्यटकों से गुलजार रहता था. नवरात्र खत्म होने के साथ ही बंगाली सैलानी वापस लौट जाते थे. ऐसे में दीपावली से करीब एक महीना पहले पर्यटन सीजन की शुरुआत हो जाती थी. इसके बाद सैलानियों की रेलमपेल जारी रहती थी, लेकिन इस साल अब तक बंगाली सैलानियों के जैसलमेर नहीं आने से पर्यटन सीजन शुरू ही नहीं हो पाया है.

स्वर्णनगरी में नहीं पहुंचे उम्मीद के मुताबिक पर्यटक (ETV Bharat Jaisalmer)

अब नॉर्थ इंडिया से पर्यटकों की उम्मीद : नवरात्र खत्म होने के बाद जैसलमेर में नॉर्थ इंडिया से सैलानी जैसलमेर पहुंचते हैं. इनमें भी खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली के आस-पास के सैलानी जैसलमेर पहुंचते हैं. उम्मीद है कि अब नॉर्थ इंडिया के सैलानी जैसलमेर को गुलजार करेंगे. हालांकि, इक्का-दुक्का सैलानी जैसलमेर के पर्यटन स्थलों पर दिखते हैं, लेकिन इस बार पर्यटकों के समूहों का बूम नहीं होने से पर्यटन व्यवसायी काफी मायूस हैं.

इसे भी पढ़ें- सैलानियों के मौसम पर खुशगवार पर्यटन कारोबारी , राजस्थान में टूरिज्म के नए मौकों पर जोर

ट्रेन बंद होने का खामियाजा : पर्यटन व्यवसायियों का यह भी कहना है कि जैसलमेर से हावड़ा के लिए सीधी चलने वाली ट्रेन के बंद होने का खामियाजा भी जैसलमेर के पर्यटन व्यवसाय को भुगतना पड़ रहा है. पर्यटन व्यवसायी लव जोशी ने बताया कि जैसलमेर आने वाली यह साप्ताहिक ट्रेन जैसलमेर को कोलकता से सीधे जोड़ती थी. इससे बंगाल के पर्यटक सीधे जैसलमेर भ्रमण पर आते थे, लेकिन इस ट्रेन के कोरोना काल के दौरान बंद होने के बाद से महामारी का असर समाप्त होने के बाद भी इसे फिर से शुरू नहीं किया गया है, जिससे पश्चिम बंगाल के सैलानी जैसलमेर भ्रमण पर नहीं पहुंच पा रहे हैं.

सैलानियों के जैसलमेर नहीं आने के यह भी दो मुख्य कारण :

1. धोखाधड़ी : जैसलमेर आने वाले सैलानियों के साथ आए दिन धोखाधड़ी व फर्जीवाड़ा को लेकर भी नकारात्मक असर पड़ा है. ऐसी घटनाओं से जैसलमेर की पर्यटन छवि को नुकसान हुआ है.

2. लपकागिरी : जैसलमेर में बढ़ रही लपकागिरी भी पर्यटन व्यवसाय को नुकसान पहुंचा रही है. सैलानियों के जैसलमेर पहुंचने के साथ ही लपकों द्वारा पर्यटकों को परेशान करना शुरू कर दिया जाता है, जिससे भी सैलानियों का जैसलमेर से मोह भंग हो गया है.

जैसलमेर : स्वर्णनगरी को पर्यटन नगरी के रूप में विख्यात करने में बंगाली सैलानियों की सबसे बड़ी भूमिका है. ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले बंगाली सैलानियों के ही जैसलमेर आने से यहां पर्यटन की शुरूआत हुई थी. इसके बाद पूरे देश और उसके बाद विदेशों में भी जैसलमेर की पहचान स्थापित हो गई. इतना ही नहीं, हर साल नवरात्र में बंगाली सैलानियों की आवक के साथ ही पर्यटन सीजन की शुरूआत होती थी, लेकिन कोरोना के बाद से ही बंगाली सैलानियों का जैसलमेर से मोह भंग हो गया है. इस साल भी नवरात्र में बंगाली सैलानियों से जैसलमेर के गुलजार रहने की उम्मीद थी, लेकिन पूरा नवरात्र बीतने के बावजूद बंगाली सैलानियों की आवक बहुत कम हुई.

पर्यटन व्यवसायी लव जोशी और योगेश बिस्सा ने बताया कि हर साल नवरात्र शुरू होने के साथ ही बंगाली सैलानी जैसलमेर पहुंच कर सीजन की शुरुआत कर देते थे. इसके बाद नवरात्र खत्म होने पर वे वापस बंगाल लौट जाते थे. पश्चिम बंगाल में नवमी पूजा का विशेष महत्व है. इसी के चलते नवमी की पूजा बंगाली अपने घरों में करते हैं, लेकिन इस साल पूरा नवरात्र बीत गया. इसके बावजूद बंगाली सैलानी जैसलमेर में दिखाई नहीं दिए.

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बंगाली सैलानी करते थे सीजन की शुरुआत : जैसलमेर में यह ट्रेंड बन गया कि नवरात्र शुरू होने के साथ ही बंगाली सैलानी जैसलमेर पहुंचने शुरू हो जाते थे. इसके बाद पूरे नवरात्र बंगाल के पर्यटकों से गुलजार रहता था. नवरात्र खत्म होने के साथ ही बंगाली सैलानी वापस लौट जाते थे. ऐसे में दीपावली से करीब एक महीना पहले पर्यटन सीजन की शुरुआत हो जाती थी. इसके बाद सैलानियों की रेलमपेल जारी रहती थी, लेकिन इस साल अब तक बंगाली सैलानियों के जैसलमेर नहीं आने से पर्यटन सीजन शुरू ही नहीं हो पाया है.

स्वर्णनगरी में नहीं पहुंचे उम्मीद के मुताबिक पर्यटक (ETV Bharat Jaisalmer)

अब नॉर्थ इंडिया से पर्यटकों की उम्मीद : नवरात्र खत्म होने के बाद जैसलमेर में नॉर्थ इंडिया से सैलानी जैसलमेर पहुंचते हैं. इनमें भी खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली के आस-पास के सैलानी जैसलमेर पहुंचते हैं. उम्मीद है कि अब नॉर्थ इंडिया के सैलानी जैसलमेर को गुलजार करेंगे. हालांकि, इक्का-दुक्का सैलानी जैसलमेर के पर्यटन स्थलों पर दिखते हैं, लेकिन इस बार पर्यटकों के समूहों का बूम नहीं होने से पर्यटन व्यवसायी काफी मायूस हैं.

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ट्रेन बंद होने का खामियाजा : पर्यटन व्यवसायियों का यह भी कहना है कि जैसलमेर से हावड़ा के लिए सीधी चलने वाली ट्रेन के बंद होने का खामियाजा भी जैसलमेर के पर्यटन व्यवसाय को भुगतना पड़ रहा है. पर्यटन व्यवसायी लव जोशी ने बताया कि जैसलमेर आने वाली यह साप्ताहिक ट्रेन जैसलमेर को कोलकता से सीधे जोड़ती थी. इससे बंगाल के पर्यटक सीधे जैसलमेर भ्रमण पर आते थे, लेकिन इस ट्रेन के कोरोना काल के दौरान बंद होने के बाद से महामारी का असर समाप्त होने के बाद भी इसे फिर से शुरू नहीं किया गया है, जिससे पश्चिम बंगाल के सैलानी जैसलमेर भ्रमण पर नहीं पहुंच पा रहे हैं.

सैलानियों के जैसलमेर नहीं आने के यह भी दो मुख्य कारण :

1. धोखाधड़ी : जैसलमेर आने वाले सैलानियों के साथ आए दिन धोखाधड़ी व फर्जीवाड़ा को लेकर भी नकारात्मक असर पड़ा है. ऐसी घटनाओं से जैसलमेर की पर्यटन छवि को नुकसान हुआ है.

2. लपकागिरी : जैसलमेर में बढ़ रही लपकागिरी भी पर्यटन व्यवसाय को नुकसान पहुंचा रही है. सैलानियों के जैसलमेर पहुंचने के साथ ही लपकों द्वारा पर्यटकों को परेशान करना शुरू कर दिया जाता है, जिससे भी सैलानियों का जैसलमेर से मोह भंग हो गया है.

Last Updated : Oct 20, 2024, 9:26 PM IST
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