छिंदवाड़ा। रोजमर की चीजों के दाम बढ़ने से आम जनता परेशान है. सब्जियों के दामों में अचानक वृद्धि होने से महिलाओं के घर का बजट बिगड़ गया है. आलू, प्याज, टमाटर समेत सभी सब्जियां महंगी हो गई हैं. इस बढ़ती महंगाई से आम जनता की कमर टूट रही है, लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है. वहीं महंगाई के मुद्दे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने X पर ट्वीट कर केंद्र और राज्य सरकार पर तंज कसा है.
महंगाई के मुद्दे पर सरकार जनता को भटका रही है
कमलनाथ ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि "महंगाई से आम जनता का जीवनयापन करना मुश्किल हो रहा है. दैनिक जरूरत की वस्तुओं से लेकर खाद्य सामग्री तक के दाम बेलगाम रफ्तार से बढ़ रहे हैं. वहीं सरकार जनता को महंगाई से राहत देने की बजाय उनका ध्यान भड़काने की नीयत से इमरजेंसी जैसे मुद्दों को उछालकर सुर्खियां बटोरने में लगी है."
महंगाई से आम जनता परेशान
चुनावी सर गर्मी खत्म होने के बाद अब महंगाई आम जनता का पसीना निकाल रही है. रोजमर्रा की चीजों के दामों में बढ़ोतरी होने के कारण आम जनता की जेब पर काफी भार पड़ रहा है. वहीं गृहणियों के घर का बजट भी बिगड़ चुका है.
प्याज के रेट से जनता के निकाल रहे आंसू
आलू, प्याज, टमाटर हर सब्जी को बनाने के लिए इस्तेमाल होता है. जो आलू ₹20 किलो में मिल रहा था उसी आलू के दाम मार्केट में अब 40 से 50 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. सिर्फ आलू ही नहीं बल्कि अन्य सब्जियों के दाम में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. जैसे कि टमाटर के दाम 35 से 45 रुपए तक हैं. वहीं बची कसर प्याज ने निकाल रखी है.
आवक काम और बारिश का असर
थोक सब्जी मंडी के व्यापारियों ने बताया कि "सब्जियों के दाम में काफी तेजी आ गई है. जिसका मुख्य कारण बारिश और अनुबंध खेती को बताया है." उन्होंने कहा कि जो आलू पहले स्थानीय स्तर पर मिल जाते थे. अब वह अनुबंध खेती करने वाले किसानों के कारण आलू मार्केट में नहीं आ पाते हैं. जितनी आपूर्ति की आवश्यकता है, उतनी मात्रा में सब्जी उपलब्ध नहीं हो पा रही है, जिस कारण सब्जियों के दाम बढ़ते जा रहे हैं.
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सरकारी योजनाओं के कारण भी बढ़ रही महंगाई
सब्जी के थोक विक्रेताओं ने कहा कि "निशुल्क योजनाओं का भी महंगाई पर असर पड़ रहा है. जिसके चलते खेतों में मजदूरी करने वाले मजदूर और हम्मालों के मजदूरी इतनी बढ़ गई हैं कि उनसे काम करवाना काफी मुश्किल हो रहा है. लोगों को मुफ्त में अनाज मिल जाता है. जिससे वे काम करने के लिए तैयार नहीं होते हैं. वहीं अब लाड़ली बहना योजना के कारण महिलाएं भी काम करने के लिए तैयार नहीं होती हैं."