कुचामनसिटी. ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग बिना अखबार और टीवी के मौसम का पूर्वानुमान लगाने का दावा करते हैं. ग्रामीण बुजुर्गों का मानना है कि ऐसी कई विधि है, जिससे मौसम का पता चल जाता है. टिटहरी के अंडों को देखकर बुजुर्गों के अनुसार लोग मौसम का अनुमान लगाते हैं. इस बार भी टिटहरी के चार अंडे दिखाई दिए हैं. ऐसे में अच्छे मानसून की उम्मीद की जा रही है.
किसान परसाराम बुगालिया ने बताया कि बुजुर्गों के अनुसार टिटहरी जितने अंडे देती है, उतने महीने बारिश होती है. टिटहरी अगर दो अंडे देती है तो माना जाता है कि मानसून की अवधि दो माह रहेगी. टिटहरी ने इस वर्ष चार अंडे दिए हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार बरसात का मौसम चार महीने रहेगा. यह अच्छे मानसून रहने के संकेत हैं. मान्यता ये भी है कि किसी नदी की धारा या पानी के बहाव क्षेत्र में अगर टिटहरी अपने अंडे रख देती है और जब तक अपने अंडों को नहीं तोड़ती है तब तक अच्छी और पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होती.
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यह वैज्ञानिक शोध का विषय है : किसान परसाराम बुगालिया और छिगनाराम बुगालिया का कहना है कि बुजुर्ग किसानों के अनुसार यह भी माना जाता है कि अगर टिटहरी निचले स्थान पर अंडे देती है तो उस साल बारिश कम होगी. अगर यह अंडे जमीन के ऊंचे स्थान पर या खेतों की मेड़ पर देती है तो उस साल भरपूर बरसात होने की संभावना होती है. यह वैज्ञानिक शोध का विषय भी है. टिटहरी सहित कुछ पक्षियों में मौसम का पूर्वानुमान लगाने की अद्भुत क्षमता होती है. किसान टिटहरी के अंडों को देखकर जमाने से मानसून का पूर्वानुमान लगाते आ रहे हैं. खेत की जुताई करते समय यदि किसान को टिटहरी के अंडे दिख जाएं तो वह उस जगह की जुताई नहीं करते. किसान टिटहरी के अंडों को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाते हैं.
क्या कहते हैं वेद पुराण : वेद पुराणों के जानकार कर्सन गोपाल तिवाड़ी बताते हैं कि जिस दिन अंडा दिख जाता है, इस दिन कोई भी शुभ काम बिना पंचांग देखे किया जा सकता है. इसी दिन किसान खरीफ की खेती का काम भी शुरू करते हैं. किसान इस दिन हुई वर्षा से जमीन और उस पर बने मिट्टी के ढेले गीले होने के आधार पर पता लगा लेते हैं कि इस वर्ष कौनसे माह में कितनी वर्षा होगी. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान वराह धरती माता को ऊपर लेकर आए थे. अक्षय तृतीया के दिन किसान मिट्टी की चार ढेले अपने खेतों से लाते हैं और सभी मिट्टी के ढेलों का महीनों के हिसाब से नामकरण करते हैं. इसमें आषाढ़, सावन, भादों और कुआर. चारों महीने की मिट्टी के टीले में जो जिस तरीके से गीला होता है, उस हिसाब से किसान मान लेते हैं कि कितनी बारिश किस महीने में संभावित है. अक्षय तृतीया को भगवान श्रीपरशुराम का अवतरण दिवस है, उस दृष्टी से भी इस दिन किए हुए सारे काम शुभ माने जाते हैं.