नई दिल्ली: खाना हमारे जीवन का सबसे अहम हिस्सा है, जिससे हम न सिर्फ अपना पेट भरते हैं, बल्कि स्वस्थ जीवन भी जीते हैं. हर साल 16 अक्टूबर को भूख से पीड़ित लोगों के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 'वर्ल्ड फूड डे' मनाया जाता है. साथ ही लोगों को खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी जाती है. खाने का पौष्टिक होना बहुत जरूरी है, लेकिन आजकल फास्ट फूड के चलन से लोग लगातार बीमारियों की जद में आ रहे हैं.
हालात ये हैं कि बच्चे, युवा सभी फास्ट फूड का सेवन करते हैं, लेकिन यही उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है. इसके लिए जरूरी है कि खाने में हानिकारक चीजों की जगह पौष्टिक चीजों को स्थान दें जैसे मिलेट्स यानी मोटा अनाज. आजकल बाजार में भी ऐसी फास्ट फूड तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें मिलेट्स का प्रयोग किया जा रहा है. इसका सेवन किस तरह और कितना करें, इस बारे में ईटीवी भारत ने डायटिशियन प्रियंका जायसवाल से विस्तार से बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या बताया.
मिलेट्स से बनाएं फास्ट फूड: उन्होंने बताया कि सभी को अपने भोजन में मिलेट्स भोजन में जरूर शामिल करना चाहिए. वहीं अगर बच्चों के फास्ट फूड्स में मिलेट्स का इस्तेमाल किया जाए तो वे इसे आसानी से खा सकेंगे. बाजार में मिलेट्स से बनी ब्रेड व अन्य चीजें मौजूद है. जैसे बर्गर आदि के लिए इससे बने ब्रेड के इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही ऐसे व्यंजन में ज्यादा से ज्यादा सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए, जिससे अन्य जरूरी विटामिन्स भी बच्चों को मिल सकते हैं. वहीं बाजार में मिलने वाले मियोनिज, सॉस और चीज की जगह घर पर तैयार चटनी का इस्तेमाल करना चाहिए.
मिलेट्स के फायदे
- शरीर में कैल्शियम की पूर्ति का अच्छा स्त्रोत
- पाचन क्रिया होती है मजबूत
- वजन नियंत्रित करने में सहायक
- रक्त की कमी होने की समस्या कम करने में मददगार
- डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद
- हार्ट के लिए बहुत लाभदायक
- हड्डियां होती हैं मजबूत.
ये अनाज हैं मिलेट्स: प्रियंका ने बताया कि जंक फूड में मौजूद मैदा पेट में कई दिनों तक रह जाता है. इसलिए अगर आप खुद को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो सप्ताह में एक बार ही जंक फूड का सेवन करें और बाकि छह दिन पौष्टिक आहार ही खाएं, जैसे मिलेट्स के बने आहार, डेरी प्रोडक्ट्स, फल, हरी सब्जियां आदि. ऐसा करने से फास्ट फूड का प्रभाव शरीर पर बहुत कम पड़ता है. मिलेट्स के अंतर्गत ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), कंगनी, कुटकी, कोदो, सांवा और जौ जैसे अनाज आते हैं. इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन आदि भरपूर मात्रा में मौजूद होतें हैं.
मिलेट्स को करें शामिल: कहते हैं कि खाना स्वादिष्ट होने के साथ आकर्षक भी होना चाहिए. इस मामले में बच्चे सबसे ज्यादा चूजी होते है. वहीं बच्चों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए उनकी डाइट में मोटे अनाज को जरूर शामिल करना चाहिए. मिलेट्स से भी कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जा सकते हैं, जिससे बच्चों का मन जंक फ़ूड की तरफ नहीं जाएगा और उनको पोशक आहार भी मिलेगा.
कितना करें मिलेट्स: किसी भी चीज का ज्यादा सेवन नुकसानदेह भी हो सकता है. लेकिन, मिलेट्स ऐसी खाद्य सामग्री है, जिसे खाने के केवल फायदे ही फायदे हैं. 0 से 5 साल तक के बच्चों का पाचन तंत्र कमजोर होता है, इसलिए उन्हें मिलेट्स न के बराबर देना चाहिए. वहीं पांच वर्ष से लेकर बुजुर्गों तक को मिलेट्स से बने व्यंजन दिए जा सकते हैं.
'दिल' का रखेगा खयाल: प्रियंका ने आगे बताया कि मिलेट्स खाने के कई फायदे हैं. इनका नियमित सेवन करने से ह्रदय संबंधी बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है. यह ह्रदय के लिए बेहद फायदेमंद होता है, जो धमनियों को स्वस्थ रखने के साथ फेफड़े को भी मजबूत बनाता है. साथ ही हार्ट अटैक से भी बचाता है. यदि आप अस्थमा या सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं, तो भी इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं.
पाचन को रखता है दुरुस्त: उन्होंने बताया, कई रिसर्च में पाया गया है कि फास्ट फूड के सेवन से वजन बढ़ता है. ऐसे में मिलेट्स खाना बेहद मददगार साबित होता है. जो लोग नियमित और सही मात्रा में मिलेट्स का सेवन करते हैं उनका वजन नियंत्रित रहता है. मिलेट्स में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे पाचन तंत्र ठीक रहता है, तो वजन कम करने के लिए सबसे जरूरी फैक्टर है. वर्ष 2023 को "अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स इयर" घोषित किया गया था.
- भारत में मोटे अनाज की पैदावार सबसे ज्यादा राजस्थान और महाराष्ट्र में होती है.
- भारत 139 देशों को मोटे अनाज का निर्यात करता है.
- देश में प्रतिवर्ष 17.96 मिलियन मीट्रिक टन मोटे अनाजों का उत्पादन किया जाता है.
- मोटे अनाज को 'श्री अन्न' के नाम से भी जाना जाता है.
इसका उद्देश्य: गौरतलब है कि हर साल 16 अक्टूबर को वर्ल्ड फूड डे यानी विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है. खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की ओर से वैश्विक खाद्य चुनौतियों को दर्शाने के लिए हर साल एक थीम जारी की जाती है. इस साल की थीम 'बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए खाने का अधिकार' रखी गई है. इसका उद्देश्य लोगों को भुखमरी और पौष्टिक आहार के प्रकोप के प्रति जागरूक करना है.
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लोगों को किया जा रहा प्रोत्साहित: संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन की ओर से इस दिन की शुरुआत 2014 में की गई थी. इस दिन की शुरुआत के बाद से ही खाद्य सुरक्षा पर जोर देने के साथ, कृषि के कई पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. साथ ही लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे खाने का महत्व समझते हुए भुखमरी की चपेट में आए लोगों की मदद के लिए आगे आ सकें.
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