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गर्भावस्था में बीपी को ऐसे करेंगे कंट्रोल तो बच्चा होगा सुंदर और गोल मटोल - Tips to control BP during pregnancy

अक्सर गर्भावस्था में महिलाओं को ब्लड प्रेशर की समस्या होती है. कई बार ये गर्भावस्था में खतरनाक साबित हो जाता है. ऐसे में गर्भावस्था में बीपी को कैसे कंट्रोल करना है? जानने के लिए आगे पढ़ें.

TIPS TO CONTROL BP DURING PREGNANCY
गर्भावस्था में बीपी को ऐसे करें कंट्रोल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 8, 2024, 7:45 PM IST

Updated : Jul 8, 2024, 10:06 PM IST

बीपी को ऐसे करें कंट्रोल (ETV Bharat)

रायपुर: आमतौर पर गर्भावस्था में गर्भवती महिलाओं को बीपी की समस्या देखने को मिलती है. बीपी की समस्या क्या है? गर्भावस्था में महिला को अगर बीपी की समस्या होती है, तो इसका गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु पर किस तरह का असर पड़ता है? प्रेगनेंसी में बीपी की समस्या से कैसे बचा जाए? कौन से इलाज है? जिससे बीपी की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है? गर्भवती महिला और और गर्भस्थ शिशु पर कौन-कौन से लक्षण दिखाई पड़ते हैं, जिससे इसका इलाज समय रहते किया जा सकता है? आईए जानते हैं. इन सब सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ से बातचीत की.

जानिए क्या कहती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ: बातचीत के दौरान रायपुर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने कहा, "बीपी की समस्या दो प्रकार की होती है, जिसमें गर्भावस्था के पहले होने वाली बीपी क्रॉनिक हेपेटेंशन कहा जाता है. गर्भधारण के पांच माह बाद बीपी की समस्या होती है, तो उसे प्रेगनेंसी इंड्यूस्ड हेपेटेंशन कहा जाता है. यदि महिला के गर्भवती होने के पहले बीपी की समस्या होती है, तो गर्भावस्था के दौरान उसमें भी कॉम्प्लिकेशन आ सकते हैं. बीपी की समस्या होती है तो गर्भवती महिला के पैरों में सूजन आने लगती है. इसका किडनी पर भी असर पड़ सकता है. कई बार पेशाब में प्रोटीन भी निकलने लगता है. हाथ और पैरों में सूजन जैसी समस्या भी देखने को मिलती है. बीपी की समस्या होने पर गर्भवती महिला के फेफड़ों में पानी भी भर सकता है. शरीर में कहीं भी रक्त स्राव हो सकता है. गर्भवती महिला के छोटे से छोटे कॉम्प्लिकेशन के साथ बड़े से बड़े कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं."

गर्भावस्था में बीपी की समस्या से होगी ये परेशानी:

  • बीपी की समस्या के कारण प्लेसेंटल फंक्शन प्रॉपर नहीं होता है.
  • बच्चों को न्यूट्रिशन पहुंचने वाला फूल अगर ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो इस कंडीशन में इस तरह की बीपी की समस्या होती है.
  • इसका सीधा असर गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है.
  • गर्भस्थ शिशु को ठीक से खून नहीं पहुंच पाता.
  • बच्चे की ग्रोथ में कमी आ सकती है.
  • बच्चा कमजोर हो सकता है.
  • इसके साथ ही जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम हो सकता है.
  • एकदम से महिला का बीपी हाई होता है, तो फूल अपनी जगह से हट जाता है.
  • ऐसी स्थिति में गर्भस्थ शिशु के पेट के अंदर मौत सकती है.
  • ऐसी स्थिति में गर्भस्थ शिशु का जन्म होने के बाद ही इस तरह की बीपी की समस्या दूर होती है.
  • ऐसे में समय से पूर्व डिलीवरी करानी पड़ सकती है.
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बीपी को ऐसे करें कंट्रोल (ETV Bharat)

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जानिए क्या कहती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ: बातचीत के दौरान रायपुर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने कहा, "बीपी की समस्या दो प्रकार की होती है, जिसमें गर्भावस्था के पहले होने वाली बीपी क्रॉनिक हेपेटेंशन कहा जाता है. गर्भधारण के पांच माह बाद बीपी की समस्या होती है, तो उसे प्रेगनेंसी इंड्यूस्ड हेपेटेंशन कहा जाता है. यदि महिला के गर्भवती होने के पहले बीपी की समस्या होती है, तो गर्भावस्था के दौरान उसमें भी कॉम्प्लिकेशन आ सकते हैं. बीपी की समस्या होती है तो गर्भवती महिला के पैरों में सूजन आने लगती है. इसका किडनी पर भी असर पड़ सकता है. कई बार पेशाब में प्रोटीन भी निकलने लगता है. हाथ और पैरों में सूजन जैसी समस्या भी देखने को मिलती है. बीपी की समस्या होने पर गर्भवती महिला के फेफड़ों में पानी भी भर सकता है. शरीर में कहीं भी रक्त स्राव हो सकता है. गर्भवती महिला के छोटे से छोटे कॉम्प्लिकेशन के साथ बड़े से बड़े कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं."

गर्भावस्था में बीपी की समस्या से होगी ये परेशानी:

  • बीपी की समस्या के कारण प्लेसेंटल फंक्शन प्रॉपर नहीं होता है.
  • बच्चों को न्यूट्रिशन पहुंचने वाला फूल अगर ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो इस कंडीशन में इस तरह की बीपी की समस्या होती है.
  • इसका सीधा असर गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है.
  • गर्भस्थ शिशु को ठीक से खून नहीं पहुंच पाता.
  • बच्चे की ग्रोथ में कमी आ सकती है.
  • बच्चा कमजोर हो सकता है.
  • इसके साथ ही जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम हो सकता है.
  • एकदम से महिला का बीपी हाई होता है, तो फूल अपनी जगह से हट जाता है.
  • ऐसी स्थिति में गर्भस्थ शिशु के पेट के अंदर मौत सकती है.
  • ऐसी स्थिति में गर्भस्थ शिशु का जन्म होने के बाद ही इस तरह की बीपी की समस्या दूर होती है.
  • ऐसे में समय से पूर्व डिलीवरी करानी पड़ सकती है.
गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है वैक्सीन, जानिए कौन सा टीका है आपके लिए खास - Vaccines for pregnant women
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प्रेगनेंसी में थायराइड कितना है खतरनाक ? गर्भ में शिशु को कैसे कर सकता है प्रभावित, जानिए - thyroid during pregnancy
Last Updated : Jul 8, 2024, 10:06 PM IST
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