अलवर. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने लोकसभा परिणाम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस बार का चुनाव परिणाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तानाशाही पर लोकतंत्र की जीत है. साथ ही उन्होंने कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में जनता की ओर से किए गए मतदान पर आभार जताया. जूली ने कहा कि अबकी बार लोकसभा चुनाव में 400 पार व मोदी की गारंटी का नारा फेल हो गया है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि उनका 400 पार का सपना टूट गया है. वे देश में झूठ बेचने निकले थे, लेकिन जनता ने उनके संविधान बदलने के मंसूबों पर पानी फेर दिया.
टूट गया मोदी सपना : लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया है. जूली ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकारों को तानाशाही और धन बल पर गिराकर लोकतंत्र का अपमान किया. उन्होंने संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया. चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को मिल रहे जनसमर्थन से घबराकर उन्होंने अंतिम अस्त्र के रूप में देश और प्रदेश में झूठ का सहारा लेकर अनर्गल प्रलाप किया. वे कांग्रेस के घोषणापत्र के तथ्यों को तोड़ मरोड़कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन जनता उनके बहकावे में नहीं आई और लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन अपने निर्णय पर अंतिम मोहर लगाकर भाजपा के कुशासन को उखाड़ फेंकने के लिए इंडिया गठबंधन के पक्ष में मतदान किया.
एक्जिट पोल के जरिए मित्रों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की : नेता प्रतिपक्ष जूली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतिम प्रयास के रूप में एक्जिट पोल का भ्रमजाल फैलाकर शेयरों के भाव बढ़ाकर अपने मित्रों को लाभ पहुंचाने की अंतिम रस्म अदायगी की. एक्जिट पोल का भ्रमजाल फैलाकर देश में असमंजसता का माहौल बनाने का प्रयास किया, लेकिन सच्चाई और लोकतंत्र की जीत हुई और देश की जनता ने धर्म, झूठ और जुमलों पर विश्वास नहीं कर मुद्दों और विकास के नाम पर वोट किया. इस बार जनता ने लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी को सबक सिखाने की ठान ली थी, यह चुनाव परिणाम उसी की परिणति है.
भाजपा की अकर्मण्यता के प्रति जनाक्रोश : जूली ने राजस्थान में कांग्रेस को मिली सफलता को प्रदेश की भाजपा सरकार की अकर्मण्यता, विफलता और निष्क्रियता के प्रति जन आक्रोश बताया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 10 साल बाद कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को जनसमर्थन मिला है. कांग्रेस की नीतियों के प्रति जन विश्वास और कार्यकर्ताओं की अकथनीय सहयोग और समर्पण का यह फल है. राजस्थान में 25 सीटों का दावा करने वाले लोग 14 पर ही सिमट गए.