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टेरिटरी की तलाश में बाघ लांघ रहे सरिस्का की दहलीज, वनकर्मियों की बढ़ी परेशानी - Tiger At Haryana Border

सरिस्का टाइगर रिजर्व से एक बार फिर टाइगर ST 2303 बाहर निकलकर हरियाणा के बॉर्डर तक पहुंच गया है. ये बाघ युवा अवस्था में पहुंचते ही नई टेरिटरी की तलाश में अपनी दहलीज लांघते हैं.

नई टैरिटरी की तलाश
नई टैरिटरी की तलाश (फोटो ईटीवी भारत अलवर)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 20, 2024, 12:01 PM IST

अलवर. सरिस्का टाइगर रिजर्व युवा बाघों के लिए देश भर में मशहूर रहा है. वर्तमान मे यहां 18 शावक हैं और इनमें से ज्यादातर अब युवा अवस्था में पहुंच रहे हैं. सरिस्का के अलवर बफर रेंज का बाघ एसटी- 2303 भी करीब तीन साल का हो चुका है और यही उम्र है, जब बाघ अपनी नई टेरिटरी बनाता है. यही कारण है बाघ एसटी 2303 इन दिनों सरिस्का की दहलीज लांघ कर हरियाणा के जंगलों में पहुंच गया है. इससे पूर्व भी कई बाघ टेरिटरी की तलाश में सरिस्का के बाहर जा चुके हैं.

सरिस्का की अलवर बफर रेंज में इन दिनों 7 बाघ हैं और इनमें पांच शावक हैं. इनमें बाघ एसटी- 2303 भी शामिल है. यह बाघ अब अपनी बाघिन मां से अलग होकर नई टेरिटरी तलाश रहा है. अलवर बफर रेंज में चार बाघ युवा और तीन शावक भी एक साल से ज्यादा उम्र के हो चुके हैं. यानी सात बाघों के लिए अलवर बफर रेंज का जंगल छोटा पड़ने लगा है. यही कारण है कि बाघ बार-बार अलवर बफर रेंज से बाहर निकल रहा है.

पढ़ें: सरिस्का से निकला बाघ ​हरियाणा बॉर्डर पर पहुंचा, भैंस चरा रहे किसान पर हमला कर किया जख्मी

करीब सात महीने पहले भी यह बाघ सरिस्का से बाहर निकल खैरथल, किशनगढ़बास, तिजारा, टपूकड़ा, भिवाड़ी होते हुए हरियाणा के रेवाड़ी के जंगल तक पहुंच गया था. उस दौरान भी वनकर्मियों ने बाघ को टैंक्युलाइज करने का खूब प्रयास किया. खेतों में जेसीबी पर बैठकर वनकर्मियों ने बाघ की तलाश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए और बाघ वापस उसी रास्ते से सरिस्का पहुंच गया. लेकिन सरिस्का में बाघ एसटी -2303 को टेरिटरी नहीं मिल पाई और वह पांच दिन पहले तिजारा, मुण्डावर होते हुए फिर हरियाणा के रेवाड़ी जिले में पहुंच वनकर्मियों की परेशानी बढ़ा रहा है.

सैंकड़ों किमी दूरी तय की, वनकर्मी नहीं ढूंढ पाए बाघ को : बाघ एसटी- 2303 सरिस्का से निकल सैंकड़ो किलोमीटर दूरी तय कर हरियाणा तक पहुंच गया, लेकिन सरिस्का की 10 टीमें भी उसे तलाश नहीं पाई. वनकर्मियों को नहीं मिल पाने का बड़ा कारण बाघ का रात के समय सफर तय करना है. यह बाघ रात को जंगलों में होकर आगे बढ़ता है और खेतों में कपास एवं अन्य फसल खड़ी होने के कारण उसे तलाश पाना मुश्किल हो जाता है.

पढ़ें: सावधान ! सरिस्का से फिर निकला ये बाघ, खैरथल में चार लोगों पर किया हमला, ग्रामीणों में फैली दहशत - Tiger attack in alwar

अबकी बार दूसरे रास्ते से गया बाघ : सरिस्का की अलवर बफर रेंज के रेंजर शंकरसिंह शेखावत ने बताया कि बाघ एसटी -2303 सात महीनों में दूसरी बार हरियाणा के रेवाड़ी जिले के जंगल में पहुंचा है. बाघ के पगमार्क हरियाणा में साबी नदी के पास मिले हैं. बाघ की तलाश में सरिस्का के करीब 25 वनकर्मियों की टीम जुटी है. इस बार यह बाघ दूसरे रास्ते से गया है. वन्यजीव चिकित्सक जयपुर डॉ. अरविंद माथुर ने बताया कि बाघ तेज गति से चल रहा है और रात में चलता है. दिन में यह बाघ जंगल व खेतों में छिपा रहता है. एनटीसीए की गाइडलाइन के अनुसार बाघ जब आरामदायक स्थिति में होगा, तब उसे टैंक्युलाइज किया जाएगा.

अलवर. सरिस्का टाइगर रिजर्व युवा बाघों के लिए देश भर में मशहूर रहा है. वर्तमान मे यहां 18 शावक हैं और इनमें से ज्यादातर अब युवा अवस्था में पहुंच रहे हैं. सरिस्का के अलवर बफर रेंज का बाघ एसटी- 2303 भी करीब तीन साल का हो चुका है और यही उम्र है, जब बाघ अपनी नई टेरिटरी बनाता है. यही कारण है बाघ एसटी 2303 इन दिनों सरिस्का की दहलीज लांघ कर हरियाणा के जंगलों में पहुंच गया है. इससे पूर्व भी कई बाघ टेरिटरी की तलाश में सरिस्का के बाहर जा चुके हैं.

सरिस्का की अलवर बफर रेंज में इन दिनों 7 बाघ हैं और इनमें पांच शावक हैं. इनमें बाघ एसटी- 2303 भी शामिल है. यह बाघ अब अपनी बाघिन मां से अलग होकर नई टेरिटरी तलाश रहा है. अलवर बफर रेंज में चार बाघ युवा और तीन शावक भी एक साल से ज्यादा उम्र के हो चुके हैं. यानी सात बाघों के लिए अलवर बफर रेंज का जंगल छोटा पड़ने लगा है. यही कारण है कि बाघ बार-बार अलवर बफर रेंज से बाहर निकल रहा है.

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करीब सात महीने पहले भी यह बाघ सरिस्का से बाहर निकल खैरथल, किशनगढ़बास, तिजारा, टपूकड़ा, भिवाड़ी होते हुए हरियाणा के रेवाड़ी के जंगल तक पहुंच गया था. उस दौरान भी वनकर्मियों ने बाघ को टैंक्युलाइज करने का खूब प्रयास किया. खेतों में जेसीबी पर बैठकर वनकर्मियों ने बाघ की तलाश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए और बाघ वापस उसी रास्ते से सरिस्का पहुंच गया. लेकिन सरिस्का में बाघ एसटी -2303 को टेरिटरी नहीं मिल पाई और वह पांच दिन पहले तिजारा, मुण्डावर होते हुए फिर हरियाणा के रेवाड़ी जिले में पहुंच वनकर्मियों की परेशानी बढ़ा रहा है.

सैंकड़ों किमी दूरी तय की, वनकर्मी नहीं ढूंढ पाए बाघ को : बाघ एसटी- 2303 सरिस्का से निकल सैंकड़ो किलोमीटर दूरी तय कर हरियाणा तक पहुंच गया, लेकिन सरिस्का की 10 टीमें भी उसे तलाश नहीं पाई. वनकर्मियों को नहीं मिल पाने का बड़ा कारण बाघ का रात के समय सफर तय करना है. यह बाघ रात को जंगलों में होकर आगे बढ़ता है और खेतों में कपास एवं अन्य फसल खड़ी होने के कारण उसे तलाश पाना मुश्किल हो जाता है.

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अबकी बार दूसरे रास्ते से गया बाघ : सरिस्का की अलवर बफर रेंज के रेंजर शंकरसिंह शेखावत ने बताया कि बाघ एसटी -2303 सात महीनों में दूसरी बार हरियाणा के रेवाड़ी जिले के जंगल में पहुंचा है. बाघ के पगमार्क हरियाणा में साबी नदी के पास मिले हैं. बाघ की तलाश में सरिस्का के करीब 25 वनकर्मियों की टीम जुटी है. इस बार यह बाघ दूसरे रास्ते से गया है. वन्यजीव चिकित्सक जयपुर डॉ. अरविंद माथुर ने बताया कि बाघ तेज गति से चल रहा है और रात में चलता है. दिन में यह बाघ जंगल व खेतों में छिपा रहता है. एनटीसीए की गाइडलाइन के अनुसार बाघ जब आरामदायक स्थिति में होगा, तब उसे टैंक्युलाइज किया जाएगा.

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