रामनगर: उत्तराखंड का कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के संरक्षण और संवर्धन में अहम योगदान निभा रहा है. इसी कड़ी में बाघों के संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए अब स्कूलों को भी शामिल किया गया है. जिसके तहत 'बाघ रक्षक योजना' लॉन्च कर दी गयी है. इसमें कॉर्बेट के लैंडस्केप से सटे स्कूलों को 'बाघ रक्षक विद्यालय' बनाकर बच्चों को मुहिम में शामिल किया गया है. यानी यहां बच्चे मॉडर्न मोगली बनेंगे.
दरअसल, हाल में ही बाघों के संरक्षण को लेकर देहरादून में एक अहम बैठक हुई थी. बैठक में 'बाघ रक्षक योजना' को मंजूरी दी गई थी. इसकी मंजूरी वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में आयोजित टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन फॉर सीटीआर के शासी निकाय की 10वीं बैठक में दी गई थी. इसी कड़ी में आज मंगलवार को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने बाघ रक्षक कार्यक्रम को स्कूली बच्चों के मौजूदगी में लॉन्च कर दिया है.
बच्चों के लिए काफी फायदेमंद होगी योजना: राजकीय इंटर कॉलेज रामनगर के प्रवक्ता दिनेश चंद रावत ने कहा कि इस कार्यक्रम से बच्चों को काफी लाभ मिलेगा. क्योंकि, ये बच्चे उन क्षेत्रों के हैं, जो कॉर्बेट पार्क से सटे हुए हैं. जिनका अक्सर वन्यजीवों के साथ आमना-सामना भी होता है. ऐसे में इन कार्यक्रमों के जरिए ये बच्चे जागरूक होंगे. साथ ही उनके साथ जीना भी सीख जाएंगे. जिससे कहीं न कहीं टकराव है, वो भी कम होगा. बच्चे खुद जागरूक होकर अन्य लोगों को भी जागरूक कर पाएंगे.
पहले चरण में तीन स्कूल और एक महाविद्यालय को किया गया शामिल: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की ओर से बाघ रक्षक कार्यक्रम चलाया जा रहा है, उसमें तीन स्कूलों (ढिकुली, ढेला और कालागढ़) के साथ ही एक महाविद्यालय को भी शामिल किया गया है. बाघ रक्षक योजना के तहत कई चरणों में काम किया जाएगा.
शैक्षणिक संस्थानों में नेचर क्लब और बायोडायवर्सिटी वॉल बनाए जाएंगे: उन्होंने बताया कि इसके तहत छात्रों को कॉर्बेट पार्क की जैव विविधता और वन्यजीवों के संरक्षण के बारे में जागरूक करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जिसमें वन और वन्य जीवों के व्यवहार के साथ ही उनके संरक्षण एवं संवर्धन की जानकारी दी जाएगी. इसके अलावा हर स्कूल में नेचर क्लब और बायोडायवर्सिटी वॉल बनाई जाएंगी. ताकि, बच्चों को सीखने और समझने में आसानी हो.
स्कूलों में जैव विविधता से जुड़ी लाइब्रेरी भी बनाई जाएगी: सीटीआर डायरेक्टर साकेत बडोला ने बताया कि स्कूल, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में बाघ संरक्षण स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किया जाएगा. साथ ही योजना के तहत शैक्षणिक संस्थानों में जैव विविधता से जुड़ी लाइब्रेरी बनाई जाएगी. वहीं, इसके अगले चरण में बाघों की सुरक्षा में सभी लोगों के सहयोग को बढ़ाने के लिए जनता और कॉरपोरेट क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा.
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