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एक गोली हाथ में, दूसरी छाती और तीसरी जांघ में.. फिर भी नहीं झुका तिरंगा, गया के जगतपति ने दी थी शहादत - Freedom Fighters Of Gaya - FREEDOM FIGHTERS OF GAYA

Quit India Movement: गया के तीन वीर सपूतों ने 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में कोतवाली पर तिरंगा फहराया था. जिसमें वो अंग्रेजों की गोली से शहीद हुए थे. इसमें गया के जगतपति कुमार भी पटना के सात शहीदों में शामिल थे. यहां जानें उन वीर सपूतों की अमर कहानी.

Quit India Movement
अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 8, 2024, 1:24 PM IST

Updated : Aug 8, 2024, 2:09 PM IST

गया: आज के दिन साल 1942 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था. तब पूरे देश में आजादी के दीवाने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उतर आए थे. इस क्रम में बिहार में भी आजादी के दीवाने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने को तैयार थे. 1942 का आंदोलन शुरू हुआ तो गया के तीन वीर सपूतों ने भारत माता की जय कहते हुए कोतवाली में तिरंगा फहरा दिया. इससे अंग्रेजी हुकूमत सन्न रह गई. हालांकि अंग्रेजों ने गोलीबारी की, जिसमें कोतवाली पर तिरंगा फहराने वाले वीर सपूत शहीद हो गए.

Quit India Movement
पटना का सात शहीद स्मारक (ETV Bharat)

तिरंगे को फहराने के लिए लगाई जान की बाजी: आज भी इन वीर सपूतों का बलिदान देश के लिए अमर कहानी की तरह है. वहीं बिहार के पटना में सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान जो सात शहीद हुए थे, उसमें एक शहीद गया जिले (जो अब औरंगाबाद) के जगतपति कुमार थे. पटना में बने सात शहीदों के स्मारक में जगतपति कुमार भी उत्कीर्ण हैं. इन्होंने पटना में अंग्रेजों की एक नहीं, बल्कि तीन गोलियां खाई और शहीद हुए लेकिन तिरंगे को झुकने नहीं दिया. उनको पहली गोली हाथ में लगी. दूसरी छाती और तीसरी जांघ में लगी लेकिन फिर भी उन्होंने तिरंगे को झुकने नहीं दिया.

दिया गया अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा: वर्ष 1942 में 8 अगस्त की तारीख थी, जब महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था. महात्मा गांधी के इस नारे के साथ देश भर में स्वतंत्रता सेनानियों में उबाल आ गया. जगह-जगह जुलूस निकाले जा रहे थे और अंग्रेजी हुकूमत का जोरदार विरोध हो रहा था. इस क्रम में बिहार में भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जबरदस्त विरोध था. आजादी के दीवानों ने अंग्रेजी हुकूमत के केंद्र में से एक गया के कोतवाली पर तिरंगा फहराया था. हालांकि अंग्रेजी हुकूमत ने इसके साथ ही गोलीबारी कर दी, जिसमें कोतवाली पर तिरंगा फहराने वाले तीनों वीर सपूत शहीद हो गए.

11 अगस्त को पटना में शहीद हुए थे जगतपति: अंग्रेजों के खिलाफ जब भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ तो उनकी नींव हिलने लगी. 11 अगस्त को पटना के सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान सात छात्र शहीद हो गए, जिसमें एक नाम जगतपति कुमार का भी शामिल है. पटना में बने शहीदों का स्मारक पर उनकी अमर कहानी उत्कीर्ण है. वहीं 13 अगस्त को गया के तीन स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ी.

ये तीन वीर सपूत भी हुए शहीद: गया के कैलाश राम, भुई राम, और जगन्नाथ मिश्र ने गया के कोतवाली पर तिरंगा फहरा दिया था. कोतवाली पर तिरंगा फहराने के बाद अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा गोलीबारी शुरू कर दी गई थी. इस गोलीबारी में कोतवाली पर तिरंगा फहराने वाले तीनों वीर सेनानी शहीद हो गए थे. आज भी कैलाश राम, भुई राम और जगन्नाथ मिश्रा जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की कहानी अमर है. अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में इनकी बहादुरी और योगदान के किस्से गया के लोगों के जुबान पर रहते हैं.

गया में है शहीद स्मारक: वर्ष 1942 की अंग्रेजों भारत छोड़ो की क्रांति में शहीद हुए गया के कैलाश राम, भुई राम और जगन्नाथ मिश्र का स्मारक कोतवाली के पास है. गया के इस शहीद स्मारक पर लोग आकर हर वर्ष श्रद्धांजलि देते हैं और उनके बलिदान को याद करते हैं. अंग्रेजों भारत छोड़ो का आंदोलन 9 से 15 अगस्त तक जबरदस्त रूप से चला. इस संबंध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मिठ्ठू बताते हैं कि 8 अगस्त 1942 की शाम में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का बिगुल फूंका गया था. जिसमें कई वीर सपूत शहीद हुए थे, आज हम लोग इन वीर सपूतों के स्मारक पर जाकर नमन करते हैं.

"8 अगस्त 1942 की शाम में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का बिगुल फूंका गया था. यह आंदोलन 9 से 15 अगस्त तक पुरजोर तरीके से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चला था. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में गया के कैलाश राम, भुई राम जगन्नाथ मिश्र शहीद हो गए थे. 13 अगस्त को इन्होंने कोतवाली पर तिरंगा झंडा फहराया था. हम लोग इन वीर सपूतों के स्मारक पर जाकर नमन करते हैं. कोतवाली के पास उनके नाम से शहीद स्मारक है. हम लोग इन वीर स्वतंत्रता सेनानियों यो को कभी भुला नहीं सकते."- विजय कुमार मिठ्ठू, वरिष्ठ नेता, कांग्रेस

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गया: आज के दिन साल 1942 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था. तब पूरे देश में आजादी के दीवाने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उतर आए थे. इस क्रम में बिहार में भी आजादी के दीवाने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने को तैयार थे. 1942 का आंदोलन शुरू हुआ तो गया के तीन वीर सपूतों ने भारत माता की जय कहते हुए कोतवाली में तिरंगा फहरा दिया. इससे अंग्रेजी हुकूमत सन्न रह गई. हालांकि अंग्रेजों ने गोलीबारी की, जिसमें कोतवाली पर तिरंगा फहराने वाले वीर सपूत शहीद हो गए.

Quit India Movement
पटना का सात शहीद स्मारक (ETV Bharat)

तिरंगे को फहराने के लिए लगाई जान की बाजी: आज भी इन वीर सपूतों का बलिदान देश के लिए अमर कहानी की तरह है. वहीं बिहार के पटना में सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान जो सात शहीद हुए थे, उसमें एक शहीद गया जिले (जो अब औरंगाबाद) के जगतपति कुमार थे. पटना में बने सात शहीदों के स्मारक में जगतपति कुमार भी उत्कीर्ण हैं. इन्होंने पटना में अंग्रेजों की एक नहीं, बल्कि तीन गोलियां खाई और शहीद हुए लेकिन तिरंगे को झुकने नहीं दिया. उनको पहली गोली हाथ में लगी. दूसरी छाती और तीसरी जांघ में लगी लेकिन फिर भी उन्होंने तिरंगे को झुकने नहीं दिया.

दिया गया अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा: वर्ष 1942 में 8 अगस्त की तारीख थी, जब महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था. महात्मा गांधी के इस नारे के साथ देश भर में स्वतंत्रता सेनानियों में उबाल आ गया. जगह-जगह जुलूस निकाले जा रहे थे और अंग्रेजी हुकूमत का जोरदार विरोध हो रहा था. इस क्रम में बिहार में भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जबरदस्त विरोध था. आजादी के दीवानों ने अंग्रेजी हुकूमत के केंद्र में से एक गया के कोतवाली पर तिरंगा फहराया था. हालांकि अंग्रेजी हुकूमत ने इसके साथ ही गोलीबारी कर दी, जिसमें कोतवाली पर तिरंगा फहराने वाले तीनों वीर सपूत शहीद हो गए.

11 अगस्त को पटना में शहीद हुए थे जगतपति: अंग्रेजों के खिलाफ जब भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ तो उनकी नींव हिलने लगी. 11 अगस्त को पटना के सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान सात छात्र शहीद हो गए, जिसमें एक नाम जगतपति कुमार का भी शामिल है. पटना में बने शहीदों का स्मारक पर उनकी अमर कहानी उत्कीर्ण है. वहीं 13 अगस्त को गया के तीन स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ी.

ये तीन वीर सपूत भी हुए शहीद: गया के कैलाश राम, भुई राम, और जगन्नाथ मिश्र ने गया के कोतवाली पर तिरंगा फहरा दिया था. कोतवाली पर तिरंगा फहराने के बाद अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा गोलीबारी शुरू कर दी गई थी. इस गोलीबारी में कोतवाली पर तिरंगा फहराने वाले तीनों वीर सेनानी शहीद हो गए थे. आज भी कैलाश राम, भुई राम और जगन्नाथ मिश्रा जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की कहानी अमर है. अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में इनकी बहादुरी और योगदान के किस्से गया के लोगों के जुबान पर रहते हैं.

गया में है शहीद स्मारक: वर्ष 1942 की अंग्रेजों भारत छोड़ो की क्रांति में शहीद हुए गया के कैलाश राम, भुई राम और जगन्नाथ मिश्र का स्मारक कोतवाली के पास है. गया के इस शहीद स्मारक पर लोग आकर हर वर्ष श्रद्धांजलि देते हैं और उनके बलिदान को याद करते हैं. अंग्रेजों भारत छोड़ो का आंदोलन 9 से 15 अगस्त तक जबरदस्त रूप से चला. इस संबंध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मिठ्ठू बताते हैं कि 8 अगस्त 1942 की शाम में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का बिगुल फूंका गया था. जिसमें कई वीर सपूत शहीद हुए थे, आज हम लोग इन वीर सपूतों के स्मारक पर जाकर नमन करते हैं.

"8 अगस्त 1942 की शाम में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का बिगुल फूंका गया था. यह आंदोलन 9 से 15 अगस्त तक पुरजोर तरीके से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चला था. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में गया के कैलाश राम, भुई राम जगन्नाथ मिश्र शहीद हो गए थे. 13 अगस्त को इन्होंने कोतवाली पर तिरंगा झंडा फहराया था. हम लोग इन वीर सपूतों के स्मारक पर जाकर नमन करते हैं. कोतवाली के पास उनके नाम से शहीद स्मारक है. हम लोग इन वीर स्वतंत्रता सेनानियों यो को कभी भुला नहीं सकते."- विजय कुमार मिठ्ठू, वरिष्ठ नेता, कांग्रेस

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Last Updated : Aug 8, 2024, 2:09 PM IST
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