नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का विशेष महत्व है. देशभर में इसे धूमधाम के साथ मनाया जाता है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस साल यह जयंती योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ रही है. ऐसे में इस दिन का महत्व और अधिक हो जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाएगी.
आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व जयंती योग सर्वार्थ सिद्धि योग मनाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था तब जयंती योग था. जयंती योग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म बेहद शुभ माना गया है. जन्माष्टमी के दिन शाम 4:00 के बाद रोहिणी नक्षत्र है. श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. रात 11: 22 PM पर चंद्रमा का उदय होगा. इस दिन व्रत करने वाले भक्त चंद्रमा को देखकर व्रत का समापन करते हैं.
जन्माष्टमी पर दान करने का विशेष महत्वः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है. अपने सामर्थ्य के अनुसार दान जरूर करें. भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुओं का भी दान कर सकते हैं. अन्न, वस्त्र, माखन, मुरली आदि का दान करना इस दिन बेहद शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान करने से घर में सुख और समृद्धि आती है. यदि आप इस दिन व्रत करने में सक्षम हैं तो व्रत जरूर रखें. जन्माष्टमी का व्रत रखने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भगवान कृष्ण के साथ राधा रानी के विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है.
० शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ: सोमवार, 26 अगस्त 2024 तड़के 03:39AM पर प्रारंभ होगी.
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त: सोमवार, 26 अगस्त 2024 की रात 2:19 AM पर समाप्त होगी.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सोमवार, 26 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भूल कर भी ना करें ये गलतियां
- तामसिक भोजन को इस दिन पूर्ण रूप से त्याग दें. शराब तंबाकू आदि का सेवन न करें.
- जन्माष्टमी के दिन काले वस्त्र धारण करने से परहेज करना चाहिए.
- इस दिन महिलाओं को बालों को खुला नहीं रखना चाहिए.
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ने से बचना चाहिए.
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