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बनारस में गंगा किनारे के मकानों की मरम्मत के लिए नहीं लगाना होगा VDA का चक्कर, 30 दिनों के अंदर एप्लीकेशन का निस्तारण

VDA ने लागू की नई व्यवस्था. जानिए भवनों की मरम्मत और निर्माण के लिए क्या हैं नए नियम?

बनारस में गंगा किनारे मकानों की मरम्मत के निए नियम.
बनारस में गंगा किनारे मकानों की मरम्मत के निए नियम. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 28, 2024, 9:41 AM IST

वाराणसी: गंगा किनारे 200 मीटर के दायरे में भवनों की मरम्मत को लेकर वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) के चक्कर लगाने की अब जरूरत नहीं. VDA ने यह सुविधा दी है कि अब कोई भी अपने नजदीकी जोनल कार्यालय पर जाकर मरम्मत की अनुमति के लिए एप्लीकेशन दे सकता है. जिसके बाद 30 दिन के अंदर अब इस एप्लीकेशन के निस्तारण का वक्त निर्धारित कर दिया गया है. जिम्मेदार के लिए आवश्यक है कि एप्लीकेशन पर एक्शन लेते हुए निर्धारित वक्त के अंदर ही इसे निस्तारित कर दे, ताकि मरम्मत का कार्य प्रभावित न हो.

वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने तट से 200 मीटर तक निजी भवनों की मरम्मत, पुनर्निर्माण के आवेदनों के निस्तारण की वर्तमान प्रचलित व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, सरल करने के लिए पुराने नियमों में परिवर्तन किया है. अब इस काम के लिए समस्त जोनल अधिकारियों तथा संबन्धित अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी गई है.

VDA के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग का कहना है कि जब अधिकारियों के साथ बैठक की तो पता चला कि 200 मीटर के दायरे में भवनों से लेकर अन्य इमारतों की मरम्मत को लेकर फाइल बेवजह लेट पड़ी रहती हैं. उनकी पत्रावलियों का निस्तारण नहीं हो रहा है.

वाराणसी विकास प्राधिकरण ने गंगा नदी तट से 200 मीटर तक मौजूद निजी भवनों की मरम्मत, पुनर्निर्माण के वित्तीय वर्ष 2023-24 में 23 तथा वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 19 आवेदनों को स्वीकृत किया है.

इन कामों के लिए अनुमति आवश्यक नहीं

  1. दीवारों पर सीमेंट प्लास्टर करना या प्लास्टर की आंशिक मरम्मत करना.
  2. पुनः फर्श निर्माण करना.
  3. सफेदी एवं रंगाई-पुताई करना.
  4. सैप्टिक टैंक अथवा सोक पिट का निर्माण करना.
  5. हैण्डपम्प लगाना.
  6. नालियों, पाइपों, केबल या अन्य उपकरण के नवीनीकरण तथा मरम्मत के लिए निर्माण कार्य.
  7. सौर ऊर्जा के लिए छत पर आवश्यक संरचनाओं का निर्माण करना.

इन निर्माण के लिए अनुमति आवश्यक

  • दीवारों का पुनर्निर्माण करना.
  • सम्पूर्ण भूखण्ड पर निर्मित भवन को गिराकर पुनर्निर्माण करना.
  • छत, बालकनी, बरामदे में पैरापेट का निर्माण.
  • वास्तु दोष के निराकरण के आन्तरिक परिवर्तन किया जा सकेगा.

अब यह होगा नियम

  1. गंगा नदी तट से 200 मीटर तक विद्यमान निजी भवनों की मरम्मत, पुनर्निर्माण के आवेदन हेल्पडेस्क के अतिरिक्त ज़ोनल कार्यालयों में सीधे जमा कराए जा सकेंगे. हेल्पडेस्क पर जमा आवेदनों को तत्काल अगले कार्य दिवस को अनिवार्यतः ज़ोनल कार्यालय को प्राप्त कराया जाएगा.
  2. आवेदनों के प्राप्त होने से अंतिम निस्तारण तक पत्रावलियों पर समस्त कार्यवाहियां संबन्धित ज़ोनल कार्यालय द्वारा की जाएंगी.
  3. पत्रावली में स्वामित्व पुष्टी व आख्या वार्ड अवर अभियंता को आवेदक द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के परिशीलन के बाद स्वयं प्रदान किया जाएगा. अपरिहार्य स्थिति में ज़ोनल अधिकारी तथा नगर नियोजक से उचित कारणों के आधार पर अनुमति प्राप्त करके ही पत्रावली अवाप्ति अनुभाग को स्वामित्व की आख्या के लिए प्रेषित की जा सकेगी.
  4. आवेदनों के स्थल निरीक्षण आख्या में अवर अभियंता एवं ज़ोनल अधिकारी द्वारा आवेदन-पत्र के साथ जमा किए गए भवन के मानचित्र, भवन की लोकेशन का 'की-प्लान', साइट प्लान, स्थल पर मौजूद भवन का वर्तमान भू-आच्छादन, सेट-बैक, सभी तलों के प्लान, सेक्शन ऐलीवेशन आदि का भौतिक सत्यापन करते हुए इस संबंध में स्पष्ट आख्या उपलब्ध कराई जाएगी.
  5. मरम्मत, पुनर्निर्माण के आवेदनों का निस्तारण आवेदन जमा करने से 30 दिन की अवधि के अंदर पूर्ण कर लिया जाएगा, जिसकी समस्त ज़िम्मेदारी संबन्धित क्षेत्र के ज़ोनल अधिकारी की होगी.
  6. आवेदन में अभिलेखों के अतिरिक्त अब नगर निगम की भूमि सम्मिलित न होने संबंधी प्रमाण पत्र भी संलग्न करना होगा.

यह भी पढ़ें : बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ अभियंता करेंगे जन जागरण, वाराणसी से होगी शुरुआत


वाराणसी: गंगा किनारे 200 मीटर के दायरे में भवनों की मरम्मत को लेकर वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) के चक्कर लगाने की अब जरूरत नहीं. VDA ने यह सुविधा दी है कि अब कोई भी अपने नजदीकी जोनल कार्यालय पर जाकर मरम्मत की अनुमति के लिए एप्लीकेशन दे सकता है. जिसके बाद 30 दिन के अंदर अब इस एप्लीकेशन के निस्तारण का वक्त निर्धारित कर दिया गया है. जिम्मेदार के लिए आवश्यक है कि एप्लीकेशन पर एक्शन लेते हुए निर्धारित वक्त के अंदर ही इसे निस्तारित कर दे, ताकि मरम्मत का कार्य प्रभावित न हो.

वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने तट से 200 मीटर तक निजी भवनों की मरम्मत, पुनर्निर्माण के आवेदनों के निस्तारण की वर्तमान प्रचलित व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, सरल करने के लिए पुराने नियमों में परिवर्तन किया है. अब इस काम के लिए समस्त जोनल अधिकारियों तथा संबन्धित अधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी गई है.

VDA के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग का कहना है कि जब अधिकारियों के साथ बैठक की तो पता चला कि 200 मीटर के दायरे में भवनों से लेकर अन्य इमारतों की मरम्मत को लेकर फाइल बेवजह लेट पड़ी रहती हैं. उनकी पत्रावलियों का निस्तारण नहीं हो रहा है.

वाराणसी विकास प्राधिकरण ने गंगा नदी तट से 200 मीटर तक मौजूद निजी भवनों की मरम्मत, पुनर्निर्माण के वित्तीय वर्ष 2023-24 में 23 तथा वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 19 आवेदनों को स्वीकृत किया है.

इन कामों के लिए अनुमति आवश्यक नहीं

  1. दीवारों पर सीमेंट प्लास्टर करना या प्लास्टर की आंशिक मरम्मत करना.
  2. पुनः फर्श निर्माण करना.
  3. सफेदी एवं रंगाई-पुताई करना.
  4. सैप्टिक टैंक अथवा सोक पिट का निर्माण करना.
  5. हैण्डपम्प लगाना.
  6. नालियों, पाइपों, केबल या अन्य उपकरण के नवीनीकरण तथा मरम्मत के लिए निर्माण कार्य.
  7. सौर ऊर्जा के लिए छत पर आवश्यक संरचनाओं का निर्माण करना.

इन निर्माण के लिए अनुमति आवश्यक

  • दीवारों का पुनर्निर्माण करना.
  • सम्पूर्ण भूखण्ड पर निर्मित भवन को गिराकर पुनर्निर्माण करना.
  • छत, बालकनी, बरामदे में पैरापेट का निर्माण.
  • वास्तु दोष के निराकरण के आन्तरिक परिवर्तन किया जा सकेगा.

अब यह होगा नियम

  1. गंगा नदी तट से 200 मीटर तक विद्यमान निजी भवनों की मरम्मत, पुनर्निर्माण के आवेदन हेल्पडेस्क के अतिरिक्त ज़ोनल कार्यालयों में सीधे जमा कराए जा सकेंगे. हेल्पडेस्क पर जमा आवेदनों को तत्काल अगले कार्य दिवस को अनिवार्यतः ज़ोनल कार्यालय को प्राप्त कराया जाएगा.
  2. आवेदनों के प्राप्त होने से अंतिम निस्तारण तक पत्रावलियों पर समस्त कार्यवाहियां संबन्धित ज़ोनल कार्यालय द्वारा की जाएंगी.
  3. पत्रावली में स्वामित्व पुष्टी व आख्या वार्ड अवर अभियंता को आवेदक द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के परिशीलन के बाद स्वयं प्रदान किया जाएगा. अपरिहार्य स्थिति में ज़ोनल अधिकारी तथा नगर नियोजक से उचित कारणों के आधार पर अनुमति प्राप्त करके ही पत्रावली अवाप्ति अनुभाग को स्वामित्व की आख्या के लिए प्रेषित की जा सकेगी.
  4. आवेदनों के स्थल निरीक्षण आख्या में अवर अभियंता एवं ज़ोनल अधिकारी द्वारा आवेदन-पत्र के साथ जमा किए गए भवन के मानचित्र, भवन की लोकेशन का 'की-प्लान', साइट प्लान, स्थल पर मौजूद भवन का वर्तमान भू-आच्छादन, सेट-बैक, सभी तलों के प्लान, सेक्शन ऐलीवेशन आदि का भौतिक सत्यापन करते हुए इस संबंध में स्पष्ट आख्या उपलब्ध कराई जाएगी.
  5. मरम्मत, पुनर्निर्माण के आवेदनों का निस्तारण आवेदन जमा करने से 30 दिन की अवधि के अंदर पूर्ण कर लिया जाएगा, जिसकी समस्त ज़िम्मेदारी संबन्धित क्षेत्र के ज़ोनल अधिकारी की होगी.
  6. आवेदन में अभिलेखों के अतिरिक्त अब नगर निगम की भूमि सम्मिलित न होने संबंधी प्रमाण पत्र भी संलग्न करना होगा.

यह भी पढ़ें : बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ अभियंता करेंगे जन जागरण, वाराणसी से होगी शुरुआत


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