गढ़वा: जिला इस वर्ष हाथियों के आतंक से जूझता रहा, सुदूर क्षेत्रों में लोगों की नींद हराम रही, फसल के साथ साथ जान माल की भी क्षति हुई. कितने ही किसान मजदूर बेघर हो गए तथा कई प्रखंडों में फसल का नुकसान भी हुआ. कुल मिलाकर देखा जाय तो यह वर्ष 2024 ग्रामीण क्षेत्रों के लिए दहशत से भरा रहा.
अबतक दस लोगों की हुई मौत
गढ़वा जिले के सभी प्रखंड चाहे चिनिया हो, रामकंडा हो या भंडारिया, इन सभी इलाकों में इस वर्ष हाथियों की दहशत रही. अबतक हाथियों ने दस लोगों की जान ले ली. रात के समय में जंगलों में बसे लोग हाथियों के डर से अपने बाल बच्चों के एक साथ एक घर में ही सोया करते थे. इसी क्रम में चिनियां क्षेत्र में जमीन पर सो रहे चार बच्चों को सांप के काटने से मौत हो गई थी. ये सभी लोग हाथियों के डर से एक ही कमरे में सोए हुए थे. कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं इन चार मौतों का कारण हाथियों का दहशत ही रहा.
हाथियों को भगाने में विफल रहा विभाग
आरोप है कि मौत होती रही, घर ढहते रहे और फसलें बर्बाद होती रही पर वन विभाग लाचार दिखा. विभाग चाहकर भी इन हाथियों के आतंक से लोगों को बचा नहीं पाया, विभाग लोगों को सिर्फ हिदायत ही देता रहा कि रात के समय में लोग घर से बाहर न निकलें, लेकिन छत्तीसगढ़ से लगभग चालीस की संख्या में पहुंचे हाथियों का उत्पात लगातार जारी रहा और अभी भी है.
विभाग सिर्फ दे रहा है हिदायत
विभाग की माने तो उनका भी मानना है कि यह वर्ष हाथियों के डर से भरा रहा जिसमें दस लोग मारे गए और यह माह दिसंबर का है, अभी भी हाथियों से सुरक्षित रहने की जरूरत है जब तक कि विभाग इनको क्षेत्र से भगाने में सफल नहीं हो जाता है, क्योंकि इस समय फसल गोदाम में पड़े हैं और फसल खाने के वास्ते हाथी जरूर आएंगे, तो इस स्थिति में लोगों को सुरक्षित रहना होगा.
रात में घर छोड़ अन्य जगह सोने को मजबूर हैं ग्रामीण
कुछ गांव के हालात ऐसे हैं कि लोग रात को अपना घर छोड़ कर अन्य जगहों पर रहने को मजबूर हैं, वजह है हाथियों की दहशत. ग्रामीणों का कहना है कि रात में हाथी आ जाते हैं कभी अकेले आते हैं तो कभी झुंड में. गांव वालों ने बताया कि जब से हाथियों ने एक औरत को मारा है तब से लोग रात में कहीं दूसरे ठिकाने पर शरण लेने पर मजबूर हैं.
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