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भाजपा में सत्ता और संगठन की अग्नि परीक्षा, सदस्यता अभियान और उपचुनाव परिणाम तय करेंगे नेताओं के भविष्य 

विधानसभा उपचुनाव के नतीजों के बाद राजस्थान भाजपा में सत्ता और संगठन की अग्नि परीक्षा के भी परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

भाजपा में सत्ता और संगठन की अग्नि परीक्षा
भाजपा में सत्ता और संगठन की अग्नि परीक्षा (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

Updated : 3 hours ago

जयपुर : राजस्थान भाजपा में अब जल्द बड़े स्तर पर बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. दिसंबर महीने में सत्ता और संगठन को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है. सदस्यता अभियान की परफॉर्मेंस संगठन के नेताओं का भविष्य तय करेगी, तो उपचुनाव के परिणाम सरकार में मंत्री पद संभाल रहे नेताओं का रिपोर्ट कार्ड बयां करेंगे. यही वजह है कि उपचुनाव में मंत्रियों ने अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावी कमान संभाली, जिसका परिणाम 23 नवंबर को आएगा. वहीं, संगठन में सदस्यता अभियान का आंकड़ा तैयार किया जा रहा है. हालांकि, अभी भी 15 दिन का समय है, उसके बाद जिन जिलों में परफॉर्मेंस डाउन रही, वहां के पदाधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है.

सदस्यता अभियान से तय होगी परफॉर्मेंस : सितंबर से शुरू हुआ सदस्यता अभियान राजस्थान में केंद्रीय नेतृत्व की अपेक्षाओं के अनुरूप गति नहीं पकड़ पा रहा है. शुरुआत से धीमे चल रहे इस अभियान को गति देने के लिए संगठन की ओर से कई तरह के कार्यक्रमों के साथ एडवाइजरी भी जारी की गई, लेकिन बावजूद इसके, जो टारगेट है, उससे पार्टी बहुत पीछे चल रही है. राजनीतिक विश्लेषक श्याम सुंदर शर्मा बताते हैं कि यह अलग बात है कि पार्टी के नेता सार्वजनिक रूप से धीमे चल रहे अभियान को लेकर अपने-अपने अलग-अलग तर्क देते हों, लेकिन पार्टी की आंतरिक बैठकों में कमजोर सदस्यता अभियान की गति को लेकर नाराजगी जताई जाती रही है. पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने यहां तक कह दिया था कि अगर किसी पदाधिकारी की परफॉर्मेंस डाउन रहती है तो उसे अपने पद से मोह छोड़ देना चाहिए. उन्होंने जिला अध्यक्षों की ओर इशारा करते हुए कहा था कि जिस जिले की परफॉर्मेंस खराब रहेगी, उन्हें बदला जा सकता है.

राजनीतिक विश्लेषक श्याम सुंदर शर्मा (ETV Bharat Jaipur)

इसे भी पढ़ें- बीजेपी प्रदेश प्रभारी बोले- सातों सीटें जीतेंगे, कांग्रेस खेमे में मायूसी, नेताओं को पढ़ाया संगठन का पाठ

उपचुनाव से मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड : प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद अब परिणाम की ओर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. उपचुनाव परिणाम सरकार में मंत्री पद संभाल रहे कई नेताओं के भविष्य तय करेंगे. श्याम सुंदर शर्मा बताते हैं कि पार्टी भले ही सामूहिक रूप से इस बात को स्वीकार न करती हो, लेकिन पार्टी के अंदर खाने इस बात की चर्चा जोरों पर है कि जिस भी विधानसभा सीट पर पार्टी की परफॉर्मेंस डाउन होती है, तो उस विधानसभा की जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री पर गाज गिर सकती है. पार्टी ने स्थानीय विधायकों के साथ-साथ प्रभारी मंत्री और चुनाव प्रभारी मंत्री के नाते दो-दो मंत्रियों को हर विधानसभा की जिम्मेदारी दी थी, जहां पर उपचुनाव हो रहे हैं. श्याम सुंदर ने कहा कि एक महीने से यह सभी मंत्री सरकारी कामकाज को छोड़कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी में जुटे रहे. अब जब 23 नवंबर को परिणाम आएंगे, तो इन नेताओं का रिपोर्ट कार्ड भी सामने आ जाएगा.

इन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर

  1. देवली-उनियारा: कैबिनेट मंत्री कन्हैया लाल चौधरी और प्रभारी मंत्री हीरालाल नागर.
  2. रामगढ़: राज्यमंत्री संजय शर्मा और प्रभारी मंत्री के तौर पर पूर्व मंत्री किरोड़ी लाल.
  3. दौसा: डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा और प्रभारी मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़.
  4. झुंझुनू: प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत.
  5. खींवसर: कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह और प्रभारी मंत्री कन्हैया लाल चौधरी.
  6. चौरासी: कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी और पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय.
  7. सलूम्बर: प्रभारी मंत्री हेमंत मीणा और राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया.

इसे भी पढ़ें- विधानसभा उपचुनाव को लेकर सीएम भजनलाल और अध्यक्ष मदन राठौड़ का दावा, सभी सातों सीटों पर खिलेगा कमल

मुख्यमंत्री और अध्यक्ष की भी परीक्षा : श्याम सुंदर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि विधानसभा उपचुनाव के परिणाम और सदस्यता अभियान का टारगेट केवल मंत्रियों और पदाधिकारियों के लिए ही परीक्षा के रूप में है. उपचुनाव और सदस्यता अभियान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के लिए भी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. सीएम बनने के बाद श्रीकरणपुर के उपचुनाव को छोड़ दें, तो सरकार के कामकाज के आधार पर इसी उपचुनाव में मतदान होना है. ऐसे में 7 सीटों के परिणाम सरकार के 11 महीने के रिपोर्ट कार्ड को बयां करेंगे. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद मदन राठौड़ के सामने सदस्यता अभियान और उपचुनाव की सफलता बड़ी चुनौती के रूप में है. मदन राठौड़ ने पिछले दिनों कहा था कि संगठनात्मक कार्यक्रम लगातार जारी रहते हैं, यह सतत प्रक्रिया का हिस्सा है. सदस्यता अभियान के बाद मंडल से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के चुनाव होंगे. उन्होंने कहा था कि किसी भी नेता को खाली नहीं बैठने दिया जाएगा. हर कार्यकर्ता और नेता को कोई न कोई काम दिया जाएगा.

जयपुर : राजस्थान भाजपा में अब जल्द बड़े स्तर पर बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. दिसंबर महीने में सत्ता और संगठन को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है. सदस्यता अभियान की परफॉर्मेंस संगठन के नेताओं का भविष्य तय करेगी, तो उपचुनाव के परिणाम सरकार में मंत्री पद संभाल रहे नेताओं का रिपोर्ट कार्ड बयां करेंगे. यही वजह है कि उपचुनाव में मंत्रियों ने अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावी कमान संभाली, जिसका परिणाम 23 नवंबर को आएगा. वहीं, संगठन में सदस्यता अभियान का आंकड़ा तैयार किया जा रहा है. हालांकि, अभी भी 15 दिन का समय है, उसके बाद जिन जिलों में परफॉर्मेंस डाउन रही, वहां के पदाधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है.

सदस्यता अभियान से तय होगी परफॉर्मेंस : सितंबर से शुरू हुआ सदस्यता अभियान राजस्थान में केंद्रीय नेतृत्व की अपेक्षाओं के अनुरूप गति नहीं पकड़ पा रहा है. शुरुआत से धीमे चल रहे इस अभियान को गति देने के लिए संगठन की ओर से कई तरह के कार्यक्रमों के साथ एडवाइजरी भी जारी की गई, लेकिन बावजूद इसके, जो टारगेट है, उससे पार्टी बहुत पीछे चल रही है. राजनीतिक विश्लेषक श्याम सुंदर शर्मा बताते हैं कि यह अलग बात है कि पार्टी के नेता सार्वजनिक रूप से धीमे चल रहे अभियान को लेकर अपने-अपने अलग-अलग तर्क देते हों, लेकिन पार्टी की आंतरिक बैठकों में कमजोर सदस्यता अभियान की गति को लेकर नाराजगी जताई जाती रही है. पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने यहां तक कह दिया था कि अगर किसी पदाधिकारी की परफॉर्मेंस डाउन रहती है तो उसे अपने पद से मोह छोड़ देना चाहिए. उन्होंने जिला अध्यक्षों की ओर इशारा करते हुए कहा था कि जिस जिले की परफॉर्मेंस खराब रहेगी, उन्हें बदला जा सकता है.

राजनीतिक विश्लेषक श्याम सुंदर शर्मा (ETV Bharat Jaipur)

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उपचुनाव से मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड : प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद अब परिणाम की ओर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. उपचुनाव परिणाम सरकार में मंत्री पद संभाल रहे कई नेताओं के भविष्य तय करेंगे. श्याम सुंदर शर्मा बताते हैं कि पार्टी भले ही सामूहिक रूप से इस बात को स्वीकार न करती हो, लेकिन पार्टी के अंदर खाने इस बात की चर्चा जोरों पर है कि जिस भी विधानसभा सीट पर पार्टी की परफॉर्मेंस डाउन होती है, तो उस विधानसभा की जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री पर गाज गिर सकती है. पार्टी ने स्थानीय विधायकों के साथ-साथ प्रभारी मंत्री और चुनाव प्रभारी मंत्री के नाते दो-दो मंत्रियों को हर विधानसभा की जिम्मेदारी दी थी, जहां पर उपचुनाव हो रहे हैं. श्याम सुंदर ने कहा कि एक महीने से यह सभी मंत्री सरकारी कामकाज को छोड़कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की तैयारी में जुटे रहे. अब जब 23 नवंबर को परिणाम आएंगे, तो इन नेताओं का रिपोर्ट कार्ड भी सामने आ जाएगा.

इन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर

  1. देवली-उनियारा: कैबिनेट मंत्री कन्हैया लाल चौधरी और प्रभारी मंत्री हीरालाल नागर.
  2. रामगढ़: राज्यमंत्री संजय शर्मा और प्रभारी मंत्री के तौर पर पूर्व मंत्री किरोड़ी लाल.
  3. दौसा: डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा और प्रभारी मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़.
  4. झुंझुनू: प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत.
  5. खींवसर: कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह और प्रभारी मंत्री कन्हैया लाल चौधरी.
  6. चौरासी: कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी और पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय.
  7. सलूम्बर: प्रभारी मंत्री हेमंत मीणा और राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया.

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मुख्यमंत्री और अध्यक्ष की भी परीक्षा : श्याम सुंदर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि विधानसभा उपचुनाव के परिणाम और सदस्यता अभियान का टारगेट केवल मंत्रियों और पदाधिकारियों के लिए ही परीक्षा के रूप में है. उपचुनाव और सदस्यता अभियान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के लिए भी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. सीएम बनने के बाद श्रीकरणपुर के उपचुनाव को छोड़ दें, तो सरकार के कामकाज के आधार पर इसी उपचुनाव में मतदान होना है. ऐसे में 7 सीटों के परिणाम सरकार के 11 महीने के रिपोर्ट कार्ड को बयां करेंगे. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद मदन राठौड़ के सामने सदस्यता अभियान और उपचुनाव की सफलता बड़ी चुनौती के रूप में है. मदन राठौड़ ने पिछले दिनों कहा था कि संगठनात्मक कार्यक्रम लगातार जारी रहते हैं, यह सतत प्रक्रिया का हिस्सा है. सदस्यता अभियान के बाद मंडल से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के चुनाव होंगे. उन्होंने कहा था कि किसी भी नेता को खाली नहीं बैठने दिया जाएगा. हर कार्यकर्ता और नेता को कोई न कोई काम दिया जाएगा.

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