वाराणसी : काशी में सरकारी डॉक्टरों की कमी खत्म नहीं हो रही है. मंडलीय अस्पताल, जिला अस्पताल में कई विभागों में डॉक्टरों की कमी देखने को मिल रही है. ऐसे में आम दिनों में मरीजों की भीड़ इन अस्पतालों में तो रहती ही है. होली के बाद मरीजों की संख्या बढ़ सकती है. अगर डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं रही तो अस्पताल प्रशासन के साथ ही साथ मरीजों को भी भारी समस्या का सामना करना पड़ सकता है. वाराणसी तीन बड़े अस्पतालों को मिलाकर कुल 15 चिकित्सकों की कमी है. ऐसे में होली बाद परेशानी देखने को मिल सकती है.
बता दें कि आम दिनों की अपेक्षा होली के मौके पर और होली के बाद भी मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. तेल-मसाला के कारण पेट संबंधी समस्या, पानी में भीगने से सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या, रंग आंखों में जाने से आंख की समस्या के मरीजों की संख्या की संख्या बढ़ जाती है. इसमें कुछ ऐसे भी मरीज होते हैं, जिन्हें रंग लगने के कारण चेहरे व शरीर में जलन की समस्या हो जाती है. कुछ मरीजों की दिल की समस्या या फिर फेफड़ों की समस्या उभर आती है. ऐसे में हर एक विभाग में डॉक्टरों का होना जरूरी हो जाता है, जिससे कि किसी भी मरीज को समय पर और सही इलाज मिल सके.
संविदा पर चिकित्सकों से लिया जा रहा काम
सीएमएस डॉ. दिग्विजय सिंह बताते हैं कि संविदा पर चिकित्सकों से काम लिया जा रहा है. होली पर इमरजेंसी में डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई गई है. जिला अस्पताल में स्वीकृत कुल 54 पदों के सापेक्ष वर्तमान में किसी तरह 31 पदों पर स्थाई डॉक्टर हैं. वहीं मंडलीय अस्पताल में 41 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 30 पद स्थाई हैं. प्रमुख अधीक्षक डॉ. एसपी सिंह बताते हैं कि अस्पताल में मौजूद चिकिस्तकों की ड्यूटी लगाई गई है. होली के त्योहार को देखते हुए भर्ती करने, इमरजेंसी में इलाज और जांच को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है. अस्पताल में आने वाले मरीजों को कोई परेशानी नहीं होगी.
हृदय रोग विशेषज्ञ और फिजीशियन की कमी
वाराणसी के इन बड़े अस्पतालों की ओपीडी में रोजाना एक हजार से अधिक मरीज आते हैं. इसमें जांच कराने वाले मरीजों की भी संख्या रहती है. हृदय और चेस्ट संबंधी विशेषज्ञ मरीजों को नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में जरूरत पड़ने पर फिजीशियन, इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के साथ ही हृदय रोगियों को देखते हैं. ऐसे में होली के मौके पर बढ़ने वाले मरीजों को सबसे बड़ी समस्या रेडियोलॉजिस्ट, चेस्ट फिजीशियन और हृदय रोग के विशेषज्ञों की कमी से आ सकती है. अस्पतालों से मिले आंकड़े के मुताबिक, जिला अस्पताल में फीजिशियन के 4 पदों पर 2 ही स्थाई हैं. चर्म रोग, ईएनटी में स्थाई डॉक्टर नहीं हैं.
तीन दिन ही हो पाता है एक्सरे
जानकारी के मुताबिक मंडलीय अस्पताल में भी चेस्ट फिजिशियन और प्लास्टिक सर्जन नहीं हैं. अस्पताल में फिजिशियन के तीन पदों में से एक पद स्थाई है. इसके साथ ही रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं है. इससे सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि तीन दिन ही एक्सरे किया जाता है. वहीं डॉ. एसपी सिंह होली से संबंधित मरीजों को लेकर बताते हैं कि पिछले सप्ताह पेट दर्ज, जलन आदि के मरीजों की कुल संख्या लगभग 170 थी, जोकि इन दिनों में बढ़कर 200 हो गई है. उनका भी मानना है कि डॉक्टरों के स्थाई पदों की आवश्यकता है. अस्पताल में मरीजों को देखने के लिए तैयारी फिलहाल पूरी कर ली गई है.