जयपुर: प्रदेश के 49 नगरीय निकायों का कार्यकाल नवंबर महीने में पूरा हो रहा है. वहीं जयपुर के हेरिटेज नगर निगम में कार्यवाहक महापौर का कार्यकाल भी पूरा होने को है. ऐसे में 49 नगरीय निकायों में शहरी सरकारों के चुनाव और हेरिटेज नगर निगम में महापौर के चुनाव को लेकर फैसला लिया जाना है. हालांकि यूडीएच मंत्री ने कहा कि चुनाव घोषित करने का काम राज्य निर्वाचन आयोग का है, लेकिन बीते दिनों वे 'एक राज्य एक चुनाव' की बात भी कह चुके हैं. ऐसे में फिलहाल असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
संविधान के अनुच्छेद 243 में नगर पालिकाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का प्रावधान है. इसी तरह राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 7 में भी नगर पालिका का कार्यकाल 5 वर्ष से ज्यादा नहीं होने का स्पष्ट प्रावधान है. ऐसे में ये तो तय है कि प्रदेश के जिन 49 शहरी नगरीय निकायों का कार्यकाल इस महीने पूरा हो रहा है, यदि चुनाव नहीं होते तो वहां कमान प्रशासक को सौंपी जाएगी. चूंकि नगरपालिका में यदि कार्यकाल के 5 वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले चुनाव नहीं कराए जाते तो बोर्ड खुद-ब-खुद भंग हो जाता है और सरकार चुनाव होने तक प्रशासक की नियुक्ति कर सकती है. प्रशासक लगाए जाने की संभावना इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि बीते दिनों यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा एक राज्य एक चुनाव की बात कह चुके हैं.
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इन निकायों में हो रहा कार्यकाल पूरा: बीकानेर, राजगढ़, श्रीगंगानगर, सूरतगढ़, हनुमानगढ़, ब्यावर, नसीराबाद, टोंक, डीडवाना, पुष्कर, चूरू, मकराना, अलवर, भिवाड़ी, थानागाजी, महुआ, सीकर, नीमकाथाना, खाटूश्यामजी, बाड़मेर नगरपरिषद, बलोतरा, सिरोही, माउंटआबू, पिण्डवाडा, शिवगंज, पाली, झुंझुनूं, बिसाऊ, पिलानी का कार्यकाल पूरा होने को है. वहीं, फलौदी, जैसलमेर,सुमेरपुर, उदयपुर, कानोड, बांसवाडा, प्रतापगढ़, गढ़ी, चितौड़गढ़, निम्बाहेड़ा, रावतभाटा, राजसमंद, आमेट, भरतपुर, रूपवास, जालौर, भीनमाल, कैथून, सांगोद, छबड़ा, मांगरोल. उधर, हेरिटेज नगर निगम में भी कार्यवाहक महापौर का कार्यकाल इसी महीने पूरा हो जाएगा.
राज्य चुनाव आयोग करेगा निर्णय: इस संबंध में यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि चुनाव घोषित करने का काम राज्य निर्वाचन आयोग का है. राज्य निर्वाचन आयोग इस दिशा में कोई कदम बढ़ाएगा तो उसके मुताबिक कार्रवाई होगी और यदि कदम नहीं बढ़ाएगा तो कार्यकाल बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे. सरकार की ओर से रिक्त पदों की सूचना भेजी जा चुकी है. वहीं निगम में 4 साल बाद भी समितियों का इंतजार बरकरार है. इस पर झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि अभी वे उपचुनाव में व्यस्त हैं. उपचुनाव के बाद निश्चित रूप से इस दिशा में कार्रवाई करेंगे. कानून में जितनी समितियां बनाने का प्रावधान है, उतनी बनाई जाएगी.