कोटा: न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोटा संभाग के 40 केंद्रों पर 23 अक्टूबर से सोयाबीन और उड़द की खरीद शुरू हो गई. अभी तक पांच हजार से ज्यादा किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. अब तक 46 किसानों ने अपना माल भी बेचा है, जिनमें उड़द बेचने के लिए एक भी किसान नहीं आया. सभी 46 किसानों ने सोयाबीन बेची है. वह भी महज 915 क्विंटल ही बेचकर गए हैं.
राजफैड के कार्यवाहक क्षेत्रीय अधिकारी विष्णु दत्त शर्मा ने बताया कि संभाग के चारों जिलों में खरीफ के सीजन की फसल बेचने के लिए अभी तक किसानों ने 5429 रजिस्ट्रेशन करवाए हैं, जिनमें से उड़द के लिए महज 305 और सोयाबीन के लिए 5114 हैं. मूंग के लिए 23 और मूंगफली के लिए 8 रजिस्ट्रेशन हुए हैं. मूंगफली और मूंग की खरीद यहां नहीं होती है. ऐसे में 1807 किसानों को कोटा संभाग में डेट अलॉट कर दी गई है. इनमें 232 उड़द और 1575 सोयाबीन के किसान हैं. हालांकि, केवल 46 किसान सोयाबीन को बेचने के लिए पहुंचे हैं. उड़द बेचने के लिए एक भी किसान नहीं आया है. इन किसानों की 915 क्विंटल उड़द की खरीद महज अब तक हुई है. हालांकि, उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7400 रुपए प्रति क्विंटल व सोयाबीन का 4892 रुपए है. जबकि मंडी में इससे कम दाम किसानों को मिल रहे हैं.
बारां जिले में महज 9 किसान माल बेचने पहुंचे: बारां जिले में समरानिया सेंटर पर छह किसानों ने 125.50 क्विंटल माल तुलाया. इसी तरह से बारां केंद्र पर तीन किसानों का 57 क्विंटल माल आया है. बारां जिले में 9 किसानों का 182.50 क्विंटल माल तुलाई में आया है. इसी तरह से बूंदी जिले में नैनवां इलाके के जरखोदा केंद्र पर 7 किसानों का 157 क्विंटल और देई केंद्र पर तीन किसानों का 175 क्विंटल माल आया है. ऐसे में 10 किसानों में 232 क्विंटल माल बेचा है. भवानी मंडी केंद्र पर पांच किसानों का 60.50 क्विंटल, झालरापाटन केंद्र पर दो किसानों का 47 क्विंटल, खानपुर केंद्र पर 6 किसानों का 113.50 क्विंटल माल आया है. कुल मिलाकर 13 किसानों का 221 क्विंटल माल झालावाड़ जिले में आया है. इसी तरह से कोटा जिले में भामाशाह कृषि उपज मंडी केंद्र पर 8 किसानों का 181 क्विंटल और सुल्तानपुर केंद्र पर छह किसानों का 98.50 क्विंटल माल आया है. कुल मिलाकर 14 किसानों ने कोटा जिले में 279.5 क्विंटल माल बेचा है.
31 खरीद केंद्रों पर नहीं पहुंचा एक भी किसान: राजफैड ने 40 खरीद केंद्र बनाए हैं, जिनमें से 31 खरीद केंद्र पर एक भी किसान माल बेचने नहीं पहुंचा. इनमें बारां जिले के अंता, मांगरोल, अटरू, छबड़ा और छीपाबड़ौद का खरीद केंद्र है. इसी तरह से बूंदी जिले में खटखट, बूंदी, भैरूपुरा, गोठड़ा, पेच की बावड़ी, बसोली, हिंडोली, अरनेठा, सुमेरगंजमंडी, कापरेन व करवर केंद्र पर एक भी किसान नहीं आया है. कोटा जिले की बात की जाए तो खातौली, इटावा, भगवानपुर, रामगंजमंडी, चेचट, कुंदनपुर और सांगोद में एक भी किसान नहीं पहुंचा है. झालावाड़ जिले में मनोहर थाना, अकलेरा, बकानी, पिड़ावा, सुनेल, डग, चौमहला व रायपुर केंद्र पर कोई किसान नहीं आया है.
किसान मजबूरी में मंडी में बेच रहे माल: भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव ने कहा कि सरकारी खरीद समय से पहले शुरू होनी चाहिए थी. इसके लिए 15 अक्टूबर से रजिस्ट्रेशन और 23 अक्टूबर से खरीद शुरू की गई है, तब तक किसानों को रबी सीजन के लिए बीज और खाद की डिमांड थी, इसीलिए उन्होंने मजबूरी में मंडी में माल बेचा, क्योंकि उन्हें तुरंत पैसा चाहिए था. अभी भी जिन किसानों ने माल सरकारी तौल कांटों पर बेचा है, उन्हें भुगतान नहीं हुआ है, जबकि तुरंत खाद बीज के लिए किसान अपना माल मंडी में बेच रहे है. केवल 25 क्विंटल माल ही तुलाई का बैरियर भी लगा हुआ है, यह भी किसानों पर भारी पड़ रहा है. राजफैड के कार्यवाहक क्षेत्रीय अधिकारी विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि 23 अक्टूबर से खरीद शुरू हो गई थी. सभी खरीद केंद्रों पर पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन किसान माल बेचने नहीं आ रहे. हमने अभी तक 1807 किसानों को टोकन जारी कर दिए हैं, लेकिन सोयाबीन बेचने के लिए महज 46 किसान ही तोल केंद्र पर पहुंचे हैं. इनका 915 क्विंटल माल ही खरीदा गया है, उड़द बेचने एक भी किसान नहीं आया है.