ETV Bharat / state

फर्रुखाबाद में बंदी का परिश्रम; जिला जेल में कमाए 1 लाख 4 हजार रुपए, खाते में भुगतान होते ही खिला चेहरा - Farrukhabad News

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 5, 2024, 7:28 PM IST

फर्रुखाबाद में जिला जेल में सजा के दौरान काम करते-करते (district jail in Farrukhabad) एक बंदी ने 1 लाख 4 हजार रुपए कमाए हैं. बंदी को उसके खाते में भुगतान किया गया है.

जिला जेल में कमाए 1 लाख 4 हजार रुपए
जिला जेल में कमाए 1 लाख 4 हजार रुपए (Photo credit: ETV Bharat)
ईटीवी भारत से बातचीत करते जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद (Video credit: ETV Bharat)

फर्रुखाबाद : जिला जेल में सजा के दौरान काम करते-करते एक बंदी लखपति बन गया. बंदी को उसके खाते में 1 लाख 4 हजार रुपए का भुगतान किया गया, जिसके बाद उसका चेहरा खिल उठा. जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने बताया कि जेल में निरुद्ध बंदी कुलदीप 14 नवंबर 2017 से जेल में निरुद्ध है. बंदी की योग्यता स्नातक है.

उन्होंने बताया कि कार्य और लगन को देखते हुए बंदी कुलदीप को सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अचल प्रताप सिंह ने 19 मई 22 को जेल में स्थापित 'लीगल एड क्लिनिक' पर पैरा लीगल वॉलियटर के रूप में कार्य पर लगाया था. बंदी ने पूरे परिश्रम और लगन से कार्य किया. वर्तमान में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संजय कुमार एडीजे ने पारिश्रमिक का भुगतान करके जेल अधीक्षक को जानकारी दी कि पैरा लीगल वॉलिंटियर कुलदीप के पारिश्रमिक का भुगतान करा दिया गया है. जेल अधीक्षक ने बंदी कुलदीप के बैंक खाता का स्टेटमेंट निकलवाया.

बैंक स्टेटमेंट के अनुसार, बंदी कुलदीप के बैंक खाते में पैरा लीगल वॉलियंटर का पारिश्रमिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से रुपया एक लाख चार हजार की धनराशि अंतरित की गई है. इसकी जानकारी जेल अधीक्षक ने जब बंदी कुलदीप को दी तो बंदी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. अन्य बंदियों में भी ईमानदारी से कार्य करने के प्रति एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है. कारागार में अन्य कार्यों में भी लगे बंदी बहुत खुश और प्रफुल्लित हैं.

जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने कहा कि अन्य कार्यों में लगे बंदियों को भी पारिश्रमिक का भुगतान नियमानुसार किया जाता है. उन्होंने बताया कि जिला कारागार फतेहगढ़ पर तैनाती के दौरान कोरोना काल के अपूर्ण अभिलेखों को पूर्ण करवाकर अब तक एक करोड़ से अधिक का भुगतान विभिन्न बंदियों के खातों में जमा करके किया गया है. बंदी जेल में रहते हुए अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. अपने बच्चों की स्कूल की फीस भर रहे हैं. वकील की फीस देकर अपने केस की पैरवी करवा रहे हैं. अनेकों ऐसे बंदी जेल के पारिश्रमिक से जुर्माना जमा करके जेल से रिहा हो चुके हैं. जेल से रिहा होने के बाद भी बंदी अपने पारिश्रमिक का चेक जेल से ले जाते हैं और अपने बैंक खातों में जमा करके धनराशि प्राप्त करते हैं.

उन्होंने बताया कि जो बंदी जेल में बंद हैं वो अपनी आवश्यकता अनुसार पारिश्रमिक की धनराशि अपने परिवारजनों को चेक के माध्यम से ही भिजवा देते हैं. समय-समय पर ऐसे चेक जिलाधिकारी, सचिव डीएलएसए के कर कमलों से वितरित कराए गए हैं. अभी तक पारिश्रमिक के रूप में अधिकतम पचास हजार का भुगतान जेल अधीक्षक ने किया था. सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया गया किसी कैदी का ये पारिश्रमिक अधिकतम है, जोकि एक लाख चार हजार रुपए है.

यह भी पढ़ें : सीतापुर में 70 साल के बुजुर्ग ने 9 वर्षीय दलित बच्ची से की गंदी हरकत; वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस ने भेजा जेल - Obscenity with dalit girl

यह भी पढ़ें : जेल जाने वाला था रेप का आरोपी, जज के सामने पेश किया रिलेशनशिप एग्रीमेंट, झट से पलट गया खेल - Rape Case

ईटीवी भारत से बातचीत करते जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद (Video credit: ETV Bharat)

फर्रुखाबाद : जिला जेल में सजा के दौरान काम करते-करते एक बंदी लखपति बन गया. बंदी को उसके खाते में 1 लाख 4 हजार रुपए का भुगतान किया गया, जिसके बाद उसका चेहरा खिल उठा. जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने बताया कि जेल में निरुद्ध बंदी कुलदीप 14 नवंबर 2017 से जेल में निरुद्ध है. बंदी की योग्यता स्नातक है.

उन्होंने बताया कि कार्य और लगन को देखते हुए बंदी कुलदीप को सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अचल प्रताप सिंह ने 19 मई 22 को जेल में स्थापित 'लीगल एड क्लिनिक' पर पैरा लीगल वॉलियटर के रूप में कार्य पर लगाया था. बंदी ने पूरे परिश्रम और लगन से कार्य किया. वर्तमान में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संजय कुमार एडीजे ने पारिश्रमिक का भुगतान करके जेल अधीक्षक को जानकारी दी कि पैरा लीगल वॉलिंटियर कुलदीप के पारिश्रमिक का भुगतान करा दिया गया है. जेल अधीक्षक ने बंदी कुलदीप के बैंक खाता का स्टेटमेंट निकलवाया.

बैंक स्टेटमेंट के अनुसार, बंदी कुलदीप के बैंक खाते में पैरा लीगल वॉलियंटर का पारिश्रमिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से रुपया एक लाख चार हजार की धनराशि अंतरित की गई है. इसकी जानकारी जेल अधीक्षक ने जब बंदी कुलदीप को दी तो बंदी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. अन्य बंदियों में भी ईमानदारी से कार्य करने के प्रति एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है. कारागार में अन्य कार्यों में भी लगे बंदी बहुत खुश और प्रफुल्लित हैं.

जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने कहा कि अन्य कार्यों में लगे बंदियों को भी पारिश्रमिक का भुगतान नियमानुसार किया जाता है. उन्होंने बताया कि जिला कारागार फतेहगढ़ पर तैनाती के दौरान कोरोना काल के अपूर्ण अभिलेखों को पूर्ण करवाकर अब तक एक करोड़ से अधिक का भुगतान विभिन्न बंदियों के खातों में जमा करके किया गया है. बंदी जेल में रहते हुए अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. अपने बच्चों की स्कूल की फीस भर रहे हैं. वकील की फीस देकर अपने केस की पैरवी करवा रहे हैं. अनेकों ऐसे बंदी जेल के पारिश्रमिक से जुर्माना जमा करके जेल से रिहा हो चुके हैं. जेल से रिहा होने के बाद भी बंदी अपने पारिश्रमिक का चेक जेल से ले जाते हैं और अपने बैंक खातों में जमा करके धनराशि प्राप्त करते हैं.

उन्होंने बताया कि जो बंदी जेल में बंद हैं वो अपनी आवश्यकता अनुसार पारिश्रमिक की धनराशि अपने परिवारजनों को चेक के माध्यम से ही भिजवा देते हैं. समय-समय पर ऐसे चेक जिलाधिकारी, सचिव डीएलएसए के कर कमलों से वितरित कराए गए हैं. अभी तक पारिश्रमिक के रूप में अधिकतम पचास हजार का भुगतान जेल अधीक्षक ने किया था. सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया गया किसी कैदी का ये पारिश्रमिक अधिकतम है, जोकि एक लाख चार हजार रुपए है.

यह भी पढ़ें : सीतापुर में 70 साल के बुजुर्ग ने 9 वर्षीय दलित बच्ची से की गंदी हरकत; वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस ने भेजा जेल - Obscenity with dalit girl

यह भी पढ़ें : जेल जाने वाला था रेप का आरोपी, जज के सामने पेश किया रिलेशनशिप एग्रीमेंट, झट से पलट गया खेल - Rape Case

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.