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हादसे का डर : खंडहर में तब्दील हो रहा इस College का पुराना भवन, कभी प्लास्टर गिरता है तो कभी दीवारें - SBP COLLEGE IN DUNGARPUR

डूंगरपुर स्थित जिले के सबसे बड़े श्रीभोगीलाल पंड्या (एसबीपी) कॉलेज का पुराना भवन खंडहर हो गया है. यहां कभी भी हादसा हो सकता है.

SBP College In Dungarpur
डूंगरपुर का एसबीपी कॉलेज (ETV Bharat Dungarpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 6, 2024, 5:18 PM IST

डूंगरपुर: 8 हजार विद्यार्थियों वाले जिले के सबसे बड़े श्रीभोगीलाल पंड्या (एसबीपी) कॉलेज का पुराना भवन खंडहर हो गया है. इन कमरों में बैठकर पढ़ाई करना तो दूर नजदीक से गुजरना भी खतरे से खाली नहीं है. कभी प्लास्टर तो कभी छत और कभी दीवारें ही गिर रही है. कॉलेज के नए भवन के लिए 125 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है, लेकिन सरकार से मंजूरी नहीं मिल रही.

शिक्षा को लेकर सरकार तमाम सुविधाएं देने का दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है. आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में उच्च शिक्षा को लेकर भवन की हालत बद से बदतर है. आजादी के बाद उच्च शिक्षा के लिए सरकार की ओर 1961 में डूंगरपुर मुख्यालय पर श्रीभोगीलाल पंड्या (एसबीपी) कॉलेज की शुरुआत की गई, लेकिन समय के साथ ये भवन पूरी तरह से खंडहर हो गया है. आगे और सबसे पीछे के सिर्फ 20 कमरे ही नए हैं. बीच का पूरा भवन खंडहर है.

8 हजार स्टूडेंट वाला एसबीपी कॉलेज बना खंडहर... (ETV Bharat Dungarpur)

कॉलेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष तुषार परमार ने बताया कि पुराने भवन की छत, दीवारें सबकुछ खत्म हो गया है. प्लास्टर कभी भी गिर जाता है. छत टूटकर गिर सकती है तो दीवारें भी सुरक्षित नहीं है. इसके नीचे बैठकर पढ़ाई करना तो दूर नीचे से गुजरना और आसपास खड़े रहना भी खतरे से खाली नहीं है. पुराने भवन में कई बार प्लास्टर, छत और दीवारें गिरने की घटनाएं हो चुकी है. पीडब्ल्यूडी ने इस भवन को गिराने तक की बात कही है. हालांकि अभी तक बड़ा हादसा नहीं हुआ है, लेकिन सरकार ओर प्रशासन के साथ कॉलेज ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो कभी बड़ी दुर्घटना हो सकती है.

पढ़ें: कैसे होगी पढ़ाई ! कॉलेज में 8 हजार विद्यार्थियों को पढ़ाने का जिम्मा मात्र 18 व्याख्याताओं पर

बीस कमरे ही काम के: जिले का सबसे बड़ा कॉलेज होने से यहां 8 हजार से ज्यादा स्टूडेंट रेगुलर पढ़ाई करते हैं, जबकि इतने ही स्टूडेंट प्राइवेट में एडमिशन लेते है. इनको बैठाने के लिए 20 कमरे ही है. इन कमरों में ही प्रिंसिपल रूम, स्टाफ रूम, एकेडमी रूम, लाइब्रेरी समेत कई दूसरी व्यवस्थाएं भी है. ऐसे में क्लासेज चलाने के लिए सिर्फ 15 कमरे ही है. कमरों की कमी की वजह से कई क्लासेज भी रेगुलर नहीं चल रही है. जिस वजह से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.

SBP College In Dungarpur
एसबीपी कॉलेज भवन का गिर रहा प्लास्टर (ETV Bharat Dungarpur)

परीक्षा करवाना सबसे बड़ी मुश्किल: एसबीपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेशलाल निनामा ने बताया कि सबसे बड़ी मुश्किल एग्जाम के समय रहती है. आठ हजार स्टूडेंट के एक साथ एग्जाम करवाने के लिए बैठक का इंतजाम करना बड़ी परेशानी है. कमरों की कमी की वजह से कई बार स्टूडेंट को बरामदे में बैठाकर परीक्षाएं लेनी पड़ रही है. वहीं, एक साथ 8 हजार स्टूडेंट को बैठाने की भी की जगह नहीं है.

यह भी पढ़ें: डूंगरपुर: एसबीपी नोडल कॉलेज प्राचार्य के खिलाफ लामबद्ध हुए प्राइवेट कॉलेज, दुर्व्यवहार करने का गंभीर आरोप

जरूरत 133 कमरों की: एसबीपी कॉलेज में 8 हजार स्टूडेंट्स का रेगुलर एडमिशन है. एक कमरे में 60 स्टूडेंट्स को बैठाया जा सकता है. इस हिसाब से देखें तो 8 हजार स्टूडेंट्स को बैठाकर पढ़ाने के लिए 133 कमरों की जरूरत है, यानि एसबीपी कॉलेज में करीब 113 कमरों की कमी है. ये कमरे बनते हैं तो कॉलेज में सभी कक्षाओं को एक साथ चलाया जा सकता है.

SBP College In Dungarpur
खंडहर में तब्दील हो रहा पुराना भवन (ETV Bharat Dungarpur)

चुनाव में भी इसी भवन का उपयोग: जिले का सबसे बड़ा एसबीपी कॉलेज होने की वजह से इस बिल्डिंग का उपयोग कई कामों के लिए होता है. खासकर इलेक्शन के दौरान. मतदान दलों की रवानगी से लेकर ईवीएम की सुरक्षा ओर मतगणना में भी इसी कॉलेज बिल्डिंग का यूज होता है. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि ये कॉलेज खतरे से खाली नहीं है. हालांकि, इलेक्शन में नए कमरों का इस्तेमाल होता है, लेकिन इसके बाद कॉलेज के पास दूसरे कमरे नहीं होते है. ऐसी सूरत में कॉलेज बंद रहता है, केवल कॉलेज के प्रशासनिक काम ही होते है.

125 करोड़ का प्रपोजल बनाकर भेजा: एसबीपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ निनामा ने बताया कि कॉलेज के खंडहर भवन की जगह पर नया भवन बनाने के लिए नया प्रपोजल तैयार कर लिया है. नए भवन के लिए 125 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया है. सरकार की ओर से मंजूरी आने पर नई बिल्डिंग बनाने का काम किया जाएगा. वहीं, पुरानी बिल्डिंग को गिराकर मलबा हटाने की बात करें तो इसमें भी लाखों का खर्चा बताया जा रहा है.

डूंगरपुर: 8 हजार विद्यार्थियों वाले जिले के सबसे बड़े श्रीभोगीलाल पंड्या (एसबीपी) कॉलेज का पुराना भवन खंडहर हो गया है. इन कमरों में बैठकर पढ़ाई करना तो दूर नजदीक से गुजरना भी खतरे से खाली नहीं है. कभी प्लास्टर तो कभी छत और कभी दीवारें ही गिर रही है. कॉलेज के नए भवन के लिए 125 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है, लेकिन सरकार से मंजूरी नहीं मिल रही.

शिक्षा को लेकर सरकार तमाम सुविधाएं देने का दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है. आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में उच्च शिक्षा को लेकर भवन की हालत बद से बदतर है. आजादी के बाद उच्च शिक्षा के लिए सरकार की ओर 1961 में डूंगरपुर मुख्यालय पर श्रीभोगीलाल पंड्या (एसबीपी) कॉलेज की शुरुआत की गई, लेकिन समय के साथ ये भवन पूरी तरह से खंडहर हो गया है. आगे और सबसे पीछे के सिर्फ 20 कमरे ही नए हैं. बीच का पूरा भवन खंडहर है.

8 हजार स्टूडेंट वाला एसबीपी कॉलेज बना खंडहर... (ETV Bharat Dungarpur)

कॉलेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष तुषार परमार ने बताया कि पुराने भवन की छत, दीवारें सबकुछ खत्म हो गया है. प्लास्टर कभी भी गिर जाता है. छत टूटकर गिर सकती है तो दीवारें भी सुरक्षित नहीं है. इसके नीचे बैठकर पढ़ाई करना तो दूर नीचे से गुजरना और आसपास खड़े रहना भी खतरे से खाली नहीं है. पुराने भवन में कई बार प्लास्टर, छत और दीवारें गिरने की घटनाएं हो चुकी है. पीडब्ल्यूडी ने इस भवन को गिराने तक की बात कही है. हालांकि अभी तक बड़ा हादसा नहीं हुआ है, लेकिन सरकार ओर प्रशासन के साथ कॉलेज ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो कभी बड़ी दुर्घटना हो सकती है.

पढ़ें: कैसे होगी पढ़ाई ! कॉलेज में 8 हजार विद्यार्थियों को पढ़ाने का जिम्मा मात्र 18 व्याख्याताओं पर

बीस कमरे ही काम के: जिले का सबसे बड़ा कॉलेज होने से यहां 8 हजार से ज्यादा स्टूडेंट रेगुलर पढ़ाई करते हैं, जबकि इतने ही स्टूडेंट प्राइवेट में एडमिशन लेते है. इनको बैठाने के लिए 20 कमरे ही है. इन कमरों में ही प्रिंसिपल रूम, स्टाफ रूम, एकेडमी रूम, लाइब्रेरी समेत कई दूसरी व्यवस्थाएं भी है. ऐसे में क्लासेज चलाने के लिए सिर्फ 15 कमरे ही है. कमरों की कमी की वजह से कई क्लासेज भी रेगुलर नहीं चल रही है. जिस वजह से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है.

SBP College In Dungarpur
एसबीपी कॉलेज भवन का गिर रहा प्लास्टर (ETV Bharat Dungarpur)

परीक्षा करवाना सबसे बड़ी मुश्किल: एसबीपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ गणेशलाल निनामा ने बताया कि सबसे बड़ी मुश्किल एग्जाम के समय रहती है. आठ हजार स्टूडेंट के एक साथ एग्जाम करवाने के लिए बैठक का इंतजाम करना बड़ी परेशानी है. कमरों की कमी की वजह से कई बार स्टूडेंट को बरामदे में बैठाकर परीक्षाएं लेनी पड़ रही है. वहीं, एक साथ 8 हजार स्टूडेंट को बैठाने की भी की जगह नहीं है.

यह भी पढ़ें: डूंगरपुर: एसबीपी नोडल कॉलेज प्राचार्य के खिलाफ लामबद्ध हुए प्राइवेट कॉलेज, दुर्व्यवहार करने का गंभीर आरोप

जरूरत 133 कमरों की: एसबीपी कॉलेज में 8 हजार स्टूडेंट्स का रेगुलर एडमिशन है. एक कमरे में 60 स्टूडेंट्स को बैठाया जा सकता है. इस हिसाब से देखें तो 8 हजार स्टूडेंट्स को बैठाकर पढ़ाने के लिए 133 कमरों की जरूरत है, यानि एसबीपी कॉलेज में करीब 113 कमरों की कमी है. ये कमरे बनते हैं तो कॉलेज में सभी कक्षाओं को एक साथ चलाया जा सकता है.

SBP College In Dungarpur
खंडहर में तब्दील हो रहा पुराना भवन (ETV Bharat Dungarpur)

चुनाव में भी इसी भवन का उपयोग: जिले का सबसे बड़ा एसबीपी कॉलेज होने की वजह से इस बिल्डिंग का उपयोग कई कामों के लिए होता है. खासकर इलेक्शन के दौरान. मतदान दलों की रवानगी से लेकर ईवीएम की सुरक्षा ओर मतगणना में भी इसी कॉलेज बिल्डिंग का यूज होता है. ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि ये कॉलेज खतरे से खाली नहीं है. हालांकि, इलेक्शन में नए कमरों का इस्तेमाल होता है, लेकिन इसके बाद कॉलेज के पास दूसरे कमरे नहीं होते है. ऐसी सूरत में कॉलेज बंद रहता है, केवल कॉलेज के प्रशासनिक काम ही होते है.

125 करोड़ का प्रपोजल बनाकर भेजा: एसबीपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ निनामा ने बताया कि कॉलेज के खंडहर भवन की जगह पर नया भवन बनाने के लिए नया प्रपोजल तैयार कर लिया है. नए भवन के लिए 125 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया है. सरकार की ओर से मंजूरी आने पर नई बिल्डिंग बनाने का काम किया जाएगा. वहीं, पुरानी बिल्डिंग को गिराकर मलबा हटाने की बात करें तो इसमें भी लाखों का खर्चा बताया जा रहा है.

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