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फसल अवशेष को जलाने वाले किसानों की भूमि का किल्ला नंबर होगा रेड, कृषि विभाग ने चेताया

फसल अवशेष को जलाने पर संबंधित किसानों के किल्ला नंबर लाल स्याही से चिन्हित होंगे. इन किसानों को योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलेगा.

AGRICULTURE DEPARTMENT WARNING
AGRICULTURE DEPARTMENT WARNING (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 11, 2024, 10:37 PM IST

जींद : अगर कोई किसान अपने खेतों में धान अवशेष में आग लगाता है तो उसके विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई तो की ही जाएगी, साथ ही उसकी भूमि के किल्ला नंबर को पटवारी रिकार्ड लाल स्याही से चिन्हित करेगा. जिससे कृषि विभाग की ओर से किसान कल्याण के लिए चलाई गई स्कीम का लाभ वो किसान नहीं उठा पाएगा.

वहीं, सीआरएस योजना में ऑनलाइन पंजीकरण करने पर किसान को एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन के रूप में अनुदान दिया जाएगा. फसल अवशेष प्रबंधन अभियान के तहत शुक्रवार को लघु सचिवालय स्थित सभागार में सफीदों उपमंडल के सरपंच, नंबरदार, ग्राम सचिव और पटवारियों के साथ बैठक का आयोजन किया गया. इस अवसर पर सफीदों खंड के बीडीपीओ नरेश कुमार व कृषि विभाग के अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे.

किसान के खेत की जमीन खराब हो रही : बैठक में सफीदों के नायब तहसीलदार विकास कुमार ने उपस्थित जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को कहा कि फसली अवशेषों को आग लगाने से किसान के खेत की जमीन खराब हो रही है. इससे न केवल जमीन में रहने वाले मित्र कीट खत्म हो जाते हैं, बल्कि आसपास के क्षेत्र की हवा में घुलने वाला धुआं व्यक्ति की शारीरिक बीमारियों का कारण भी बनता जा रहा है.

फसल अवशेष पूरी तरह भूमि में मिल जाते हैं : उन्होंने बताया कि आधुनिक कृषि यंत्रों की मदद से किसान न केवल धान की फसल के अवशेषों का प्रबंधन कर सकता है बल्कि अपनी गेहूं की फसल बिजाई के समय होने वाले खर्चें को भी कम कर सकता है. उन्होंने कहा कि किसान सुपर सीडर की मदद से फसल अवशेषों के प्रबंधन के साथ-साथ गेहूं की बुवाई कर सकता है. इसकी मदद से फसल अवशेष पूरी तरह भूमि में मिल जाते हैं. जिससे फसल की उर्वरा शक्ति में भी इजाफा होता है.

भिवानी जिले के किसानों के बीच भी जला अभियान : जिले के किसानों को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा धान की फसल अवशेष को मशीनों से प्रबंधन करने पर एक हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है. फसल अवशेष प्रबंधन का लाभ 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' पर धान की फसल के लिए पंजीकृत किसान ले सकते हैं. इसके लिए किसान 30 नवंबर तक agriharyana.gov.in पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करें. यह जानकारी

जागरूकता शिविरों का किया गया आयोजन : उन्होंने बताया कि जिले में पराली न जलाने व फसल अवशेष प्रबंधन यंत्रों बारे किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में गांव कुंगड़ व मुढ़ाल में जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. विनोद फोगाट ने बताया कि नोन बासमती व मूल धान वैरायटी के अतिरिक्त बासमती धान के अवशेषों का प्रबंधन करने पर भी राशि मिलती है. यह प्रबंधन इन सीटू/एक्स-सीटू मशीनों से किया जाता है. तब, एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि मिलेगी.

ऐसे बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति : उन्होंने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के तहत धान की फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी व वातावरण को स्वच्छ रखने में सहायता मिलेगी. सहायक कृषि अभियन्ता नसीब सिंह धनखड़ ने फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता अभियान के तहत जिला के गांव कुंगड में कृषि यंत्रों की विस्तार से जानकारी दी.

इसे भी पढ़ें : फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कृषि यंत्रों पर किसानों को मिलेगा 50 प्रतिशत का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन - Subsidy On Agricultural Equipment

जींद : अगर कोई किसान अपने खेतों में धान अवशेष में आग लगाता है तो उसके विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई तो की ही जाएगी, साथ ही उसकी भूमि के किल्ला नंबर को पटवारी रिकार्ड लाल स्याही से चिन्हित करेगा. जिससे कृषि विभाग की ओर से किसान कल्याण के लिए चलाई गई स्कीम का लाभ वो किसान नहीं उठा पाएगा.

वहीं, सीआरएस योजना में ऑनलाइन पंजीकरण करने पर किसान को एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन के रूप में अनुदान दिया जाएगा. फसल अवशेष प्रबंधन अभियान के तहत शुक्रवार को लघु सचिवालय स्थित सभागार में सफीदों उपमंडल के सरपंच, नंबरदार, ग्राम सचिव और पटवारियों के साथ बैठक का आयोजन किया गया. इस अवसर पर सफीदों खंड के बीडीपीओ नरेश कुमार व कृषि विभाग के अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे.

किसान के खेत की जमीन खराब हो रही : बैठक में सफीदों के नायब तहसीलदार विकास कुमार ने उपस्थित जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को कहा कि फसली अवशेषों को आग लगाने से किसान के खेत की जमीन खराब हो रही है. इससे न केवल जमीन में रहने वाले मित्र कीट खत्म हो जाते हैं, बल्कि आसपास के क्षेत्र की हवा में घुलने वाला धुआं व्यक्ति की शारीरिक बीमारियों का कारण भी बनता जा रहा है.

फसल अवशेष पूरी तरह भूमि में मिल जाते हैं : उन्होंने बताया कि आधुनिक कृषि यंत्रों की मदद से किसान न केवल धान की फसल के अवशेषों का प्रबंधन कर सकता है बल्कि अपनी गेहूं की फसल बिजाई के समय होने वाले खर्चें को भी कम कर सकता है. उन्होंने कहा कि किसान सुपर सीडर की मदद से फसल अवशेषों के प्रबंधन के साथ-साथ गेहूं की बुवाई कर सकता है. इसकी मदद से फसल अवशेष पूरी तरह भूमि में मिल जाते हैं. जिससे फसल की उर्वरा शक्ति में भी इजाफा होता है.

भिवानी जिले के किसानों के बीच भी जला अभियान : जिले के किसानों को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा धान की फसल अवशेष को मशीनों से प्रबंधन करने पर एक हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है. फसल अवशेष प्रबंधन का लाभ 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' पर धान की फसल के लिए पंजीकृत किसान ले सकते हैं. इसके लिए किसान 30 नवंबर तक agriharyana.gov.in पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करें. यह जानकारी

जागरूकता शिविरों का किया गया आयोजन : उन्होंने बताया कि जिले में पराली न जलाने व फसल अवशेष प्रबंधन यंत्रों बारे किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में गांव कुंगड़ व मुढ़ाल में जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. विनोद फोगाट ने बताया कि नोन बासमती व मूल धान वैरायटी के अतिरिक्त बासमती धान के अवशेषों का प्रबंधन करने पर भी राशि मिलती है. यह प्रबंधन इन सीटू/एक्स-सीटू मशीनों से किया जाता है. तब, एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि मिलेगी.

ऐसे बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति : उन्होंने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के तहत धान की फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी व वातावरण को स्वच्छ रखने में सहायता मिलेगी. सहायक कृषि अभियन्ता नसीब सिंह धनखड़ ने फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता अभियान के तहत जिला के गांव कुंगड में कृषि यंत्रों की विस्तार से जानकारी दी.

इसे भी पढ़ें : फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कृषि यंत्रों पर किसानों को मिलेगा 50 प्रतिशत का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन - Subsidy On Agricultural Equipment

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