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राजस्थान के इस छोटे से गांव में आजाद भारत का पहला तिरंगा, लाल किले पर फहराया गया था - Independence Day Special

दौसा से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का इतिहास जुड़ा है. दौसा के बुनकरों की ओर से बनाया गया राष्ट्रीय ध्वज को ही लाल कीले पर पहली बार फहराया गया था. इसके बाद, दौसा में खादी के कारोबार में बढ़ोतरी हुई.

खादी का तिरंगा झंडा
खादी का तिरंगा झंडा (फोटो ईटीवी भारत दौसा)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 15, 2024, 1:31 PM IST

दौसा से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का इतिहास जुड़ा (वीडियो ईटीवी भारत दौसा)

दौसा. देश में आजादी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इसको लेकर राजस्थान के दौसा जिले में भी विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन किए जा रहे हैं, लेकिन दौसावासियों के लिए आज का दिन बहुत खास है. दौसा का कनेक्शन हमारे राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ा है. दरअसल, आजादी के बाद 1947 में लाल किले पर फहराया गया पहला तिरंगा झंडा दौसा जिले के छोटे से कस्बे आलुदा में ही बनकर तैयार हुआ था. ऐसे में 15 अगस्त का दिन दौसा वासियों के लिए बेहद गर्व का दिन है. जिले में इस समय खादी के व्यापार की बात करें तो यहां करोंड़ो का व्यापार फल-फूल रहा है.

क्षेत्रीय खादी ग्रामोद्योग के व्यवस्थापक कैलाश शर्मा आलुदा ने बताया कि उनकी दुकान से प्रतिवर्ष एक से डेढ़ करोड़ रुपए के खादी कपड़े से बने तिरंगे झंडों की बिक्री हो जाती है. साथ ही खादी कपड़े के व्यापार के चलते जिले के हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है.

दौसा से किसने बनाकर भेजा था पहला तिरंगा झंडा : ईटीवी भारत की टीम जब इस बात की जानकारी के लिए खादी उद्योग के व्यापार से जुड़े क्षेत्रीय ग्रामोद्योग के व्यवस्थापक कैलाश शर्मा आलुदा के पास गई, तो वहां वो पहले से ही ग्राहकों को खादी के कपड़े से बना हुआ तिरंगा झंडा दिखा रहे थे. खादी के कपड़े से बना हुआ तिरंगा झंडा दिखने में बेहद खेबसूरत लग रहा था. ऐसे में खादी कपड़े से बने तिरंगे को ग्राहक भी बिना किसी मोल भाव किए खुशी से खरीद रहे थे. इस दौरान खादी ग्रामोद्योग के व्यवस्थापक कैलाश शर्मा आलुदा ने बड़े ही गर्व से बताया कि आजादी के बाद दिल्ली में स्थित लाल किले पर फहराया जाने वाले पहला तिरंगा झंडा उन्हीं के गांव आलुदा से बनकर गया था. जिसे स्थानीय निवासी चौथमल बुनकर ने बनाया था.

बुनकरों ने बेहद सफाई के साथ बनाया था तिरंगा झंडा : व्यवस्थापक कैलाश शर्मा ने बताया कि क्षेत्रिय खादी ग्रामोद्योग की ओर से आलुदा के बुनकरों को खादी कपड़े को बुनाई के लिए दिया जाता था. इस दौरान आलुदा के बुनकर चौथमल की ओर से दो सूती कपड़ों से तिरंगा झंडा बनाया था, जिसे बहुत सफाई से बनाकर सुंदर रूप दिया गया था.

फिर खादी के व्यापार में हुई बढ़ोतरी : व्यवस्थापक कैलाश शर्मा आलुदा ने बताया कि वो पिछले 35 साल से खादी के व्यापार से जुड़े हुए हैं, उन्होंने बताया कि देश की आजादी के बाद देश की प्रसिद्ध इमारत लाल किले पर दौसा के खादी के कपड़े से बना राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद जिले में खादी के व्यापार में काफी बढ़ोतरी हुई है. यूं तो दौसा में खादी समिति का व्यापार कई करोड़ों में हैं, लेकिन उनकी शॉप गांधी आर्ट सेल सेंटर पर प्रतिवर्ष करीब डेढ़ करोड़ रुपए के तिरंगा झंडों की बिक्री हो जाती है.

इसे भी पढ़ें : Special : जयपुर में खास थी आजादी की पहली सुबह, गोविंद के दरबार में पहुंचे थे शहरवासी, शाम को घी के दीए जलाकर मनाई थी दीपावली - Independence day Special

जिले के हर घर और सरकारी कार्यालयों में खादी कपड़े से बना तिरंगा फहराया जाता है. वहीं, खादी कपड़े से बना तिरंगा झंडा लेने आए जिले के रेटा निवासी दिनेश कुमार ने बताया कि हमारे लिए बेहद गर्व की बात है की देश के प्रसिद्ध इमारत लाल किले पर फहराया जाने वाला पहला तिरंगा झंडा हमारे जिले के आलुदा कस्बे से बनकर गया था. इसके चलते हर साल जिले के सभी लोग अपने घरों में, ऑफिसों में, सरकारी कार्यालयों में, स्कूलों में और फैक्ट्रियों में खादी कपड़े से बने राष्ट्रीय ध्वज को फहराते है. ऐसे में खादी कपड़े से बने तिरंगे को फहराने से हम खुद को गौरवान्वित महसूस करते है.

दौसा से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का इतिहास जुड़ा (वीडियो ईटीवी भारत दौसा)

दौसा. देश में आजादी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इसको लेकर राजस्थान के दौसा जिले में भी विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन किए जा रहे हैं, लेकिन दौसावासियों के लिए आज का दिन बहुत खास है. दौसा का कनेक्शन हमारे राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ा है. दरअसल, आजादी के बाद 1947 में लाल किले पर फहराया गया पहला तिरंगा झंडा दौसा जिले के छोटे से कस्बे आलुदा में ही बनकर तैयार हुआ था. ऐसे में 15 अगस्त का दिन दौसा वासियों के लिए बेहद गर्व का दिन है. जिले में इस समय खादी के व्यापार की बात करें तो यहां करोंड़ो का व्यापार फल-फूल रहा है.

क्षेत्रीय खादी ग्रामोद्योग के व्यवस्थापक कैलाश शर्मा आलुदा ने बताया कि उनकी दुकान से प्रतिवर्ष एक से डेढ़ करोड़ रुपए के खादी कपड़े से बने तिरंगे झंडों की बिक्री हो जाती है. साथ ही खादी कपड़े के व्यापार के चलते जिले के हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है.

दौसा से किसने बनाकर भेजा था पहला तिरंगा झंडा : ईटीवी भारत की टीम जब इस बात की जानकारी के लिए खादी उद्योग के व्यापार से जुड़े क्षेत्रीय ग्रामोद्योग के व्यवस्थापक कैलाश शर्मा आलुदा के पास गई, तो वहां वो पहले से ही ग्राहकों को खादी के कपड़े से बना हुआ तिरंगा झंडा दिखा रहे थे. खादी के कपड़े से बना हुआ तिरंगा झंडा दिखने में बेहद खेबसूरत लग रहा था. ऐसे में खादी कपड़े से बने तिरंगे को ग्राहक भी बिना किसी मोल भाव किए खुशी से खरीद रहे थे. इस दौरान खादी ग्रामोद्योग के व्यवस्थापक कैलाश शर्मा आलुदा ने बड़े ही गर्व से बताया कि आजादी के बाद दिल्ली में स्थित लाल किले पर फहराया जाने वाले पहला तिरंगा झंडा उन्हीं के गांव आलुदा से बनकर गया था. जिसे स्थानीय निवासी चौथमल बुनकर ने बनाया था.

बुनकरों ने बेहद सफाई के साथ बनाया था तिरंगा झंडा : व्यवस्थापक कैलाश शर्मा ने बताया कि क्षेत्रिय खादी ग्रामोद्योग की ओर से आलुदा के बुनकरों को खादी कपड़े को बुनाई के लिए दिया जाता था. इस दौरान आलुदा के बुनकर चौथमल की ओर से दो सूती कपड़ों से तिरंगा झंडा बनाया था, जिसे बहुत सफाई से बनाकर सुंदर रूप दिया गया था.

फिर खादी के व्यापार में हुई बढ़ोतरी : व्यवस्थापक कैलाश शर्मा आलुदा ने बताया कि वो पिछले 35 साल से खादी के व्यापार से जुड़े हुए हैं, उन्होंने बताया कि देश की आजादी के बाद देश की प्रसिद्ध इमारत लाल किले पर दौसा के खादी के कपड़े से बना राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद जिले में खादी के व्यापार में काफी बढ़ोतरी हुई है. यूं तो दौसा में खादी समिति का व्यापार कई करोड़ों में हैं, लेकिन उनकी शॉप गांधी आर्ट सेल सेंटर पर प्रतिवर्ष करीब डेढ़ करोड़ रुपए के तिरंगा झंडों की बिक्री हो जाती है.

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जिले के हर घर और सरकारी कार्यालयों में खादी कपड़े से बना तिरंगा फहराया जाता है. वहीं, खादी कपड़े से बना तिरंगा झंडा लेने आए जिले के रेटा निवासी दिनेश कुमार ने बताया कि हमारे लिए बेहद गर्व की बात है की देश के प्रसिद्ध इमारत लाल किले पर फहराया जाने वाला पहला तिरंगा झंडा हमारे जिले के आलुदा कस्बे से बनकर गया था. इसके चलते हर साल जिले के सभी लोग अपने घरों में, ऑफिसों में, सरकारी कार्यालयों में, स्कूलों में और फैक्ट्रियों में खादी कपड़े से बने राष्ट्रीय ध्वज को फहराते है. ऐसे में खादी कपड़े से बने तिरंगे को फहराने से हम खुद को गौरवान्वित महसूस करते है.

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