ETV Bharat / state

निष्कासित मेयर व पूर्व मेयर को HC से नहीं मिली राहत, अयोग्य ठहराने से जुड़े मामले की थी सुनवाई - MC Solan case in HC

MC Solan case in HC: नगर निगम सोलन की निष्कासित महापौर ऊषा शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर को फिलहाल हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात ही कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

MC Solan case in HC
निष्कासित महापौर ऊषा शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 15, 2024, 10:17 PM IST

सोलन: प्रदेश हाईकोर्ट से नगर निगम सोलन की निष्कासित महापौर ऊषा शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इन्हें पार्षद पद से अयोग्य ठहराने से जुड़े मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

प्रार्थियों ने उनकी सदस्यता समाप्त करने के आदेशों पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई थी. गौरतलब है कि शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने व्हिप के उल्लंघन की शिकायत पर रिपोर्ट आने के बाद इनकी सदस्यता समाप्त करने के आदेश जारी किए थे.

इन आदेशों को हाईकोर्ट में रिट याचिका के माध्यम से दोनों पार्षदों ने चुनौती दी थी जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. प्रार्थियों ने शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव सहित शहरी विकास विभाग के निदेशक, डीसी सोलन, नगर निगम सोलन के आयुक्त, भारतीय कांग्रेस कमेटी सोलन के जिलाध्यक्ष शिव कुमार को भी प्रतिवादी बनाया है.

इन पर आरोप था कि दोनों ने व्हिप का उल्लंघन किया था. आरोप है कि इन्होंने कांग्रेस पार्टी के निशान पर नगर निगम सोलन में पार्षद का चुनाव लड़ा था. 7 दिसंबर को सोलन में ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद नगर निगम में महापौर व उपमहापौर के चुनाव करवाए गए थे.

आरोप है कि इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी की ओर से इन्हें प्रत्याशी न बनाए जाने पर महापौर ऊषा ने भाजपा पार्षदों के साथ मिलकर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को हराकर यह पद हासिल किया था. कांग्रेस ने महापौर पद के लिए सरकार सिंह और उप महापौर पद के लिए पार्षद संगीता का नाम प्रस्तावित किया था.

कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर ने ऊषा का नाम महापौर पद के लिए प्रस्तावित किया था. इसके बाद महापौर कांग्रेस पार्टी की पार्षद ऊषा और उप महापौर भाजपा की पार्षद मीरा आनंद बनी थीं. आरोप यह भी है कि पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर ने ऊषा का नाम प्रस्तावित किया था. उसके बाद कांग्रेस जिलाध्यक्ष की शिकायत के बाद दोनों पर जांच बिठाई थी. उपायुक्त ने मामले की जांच की. जांच रिपोर्ट आने के बाद दोनों को सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया.

ये भी पढ़ें: गर्मी के प्रकोप से बचने को पर्यटक चढ़ रहे पहाड़, सैलानियों की जमघट से हिमाचल हुआ गुलजार

सोलन: प्रदेश हाईकोर्ट से नगर निगम सोलन की निष्कासित महापौर ऊषा शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इन्हें पार्षद पद से अयोग्य ठहराने से जुड़े मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

प्रार्थियों ने उनकी सदस्यता समाप्त करने के आदेशों पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई थी. गौरतलब है कि शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने व्हिप के उल्लंघन की शिकायत पर रिपोर्ट आने के बाद इनकी सदस्यता समाप्त करने के आदेश जारी किए थे.

इन आदेशों को हाईकोर्ट में रिट याचिका के माध्यम से दोनों पार्षदों ने चुनौती दी थी जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. प्रार्थियों ने शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव सहित शहरी विकास विभाग के निदेशक, डीसी सोलन, नगर निगम सोलन के आयुक्त, भारतीय कांग्रेस कमेटी सोलन के जिलाध्यक्ष शिव कुमार को भी प्रतिवादी बनाया है.

इन पर आरोप था कि दोनों ने व्हिप का उल्लंघन किया था. आरोप है कि इन्होंने कांग्रेस पार्टी के निशान पर नगर निगम सोलन में पार्षद का चुनाव लड़ा था. 7 दिसंबर को सोलन में ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद नगर निगम में महापौर व उपमहापौर के चुनाव करवाए गए थे.

आरोप है कि इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी की ओर से इन्हें प्रत्याशी न बनाए जाने पर महापौर ऊषा ने भाजपा पार्षदों के साथ मिलकर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को हराकर यह पद हासिल किया था. कांग्रेस ने महापौर पद के लिए सरकार सिंह और उप महापौर पद के लिए पार्षद संगीता का नाम प्रस्तावित किया था.

कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर ने ऊषा का नाम महापौर पद के लिए प्रस्तावित किया था. इसके बाद महापौर कांग्रेस पार्टी की पार्षद ऊषा और उप महापौर भाजपा की पार्षद मीरा आनंद बनी थीं. आरोप यह भी है कि पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर ने ऊषा का नाम प्रस्तावित किया था. उसके बाद कांग्रेस जिलाध्यक्ष की शिकायत के बाद दोनों पर जांच बिठाई थी. उपायुक्त ने मामले की जांच की. जांच रिपोर्ट आने के बाद दोनों को सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया.

ये भी पढ़ें: गर्मी के प्रकोप से बचने को पर्यटक चढ़ रहे पहाड़, सैलानियों की जमघट से हिमाचल हुआ गुलजार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.