जयपुरः स्कूली शिक्षा में पाठ्यक्रम बदलने की तैयारी की जा रही है. इसे लेकर बनाई गई समिति ने बुधवार को मंथन किया. इसमें शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी मौजूद रहे. इस दौरान उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाठ्यक्रम में जो भी विषय जोड़ा जाए वह प्रामाणिक हो, केवल मान्यताओं के आधार पर नहीं जोड़ा जाना चाहिए. महापुरुषों को पढ़ाते समय उनकी जीवनी में काट-छांट नहीं करनी चाहिए और न ही उनके बारे में गलत पढ़ाना चाहिए.
जयपुर स्थित शिक्षा संकुल में पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति के सदस्यों की बैठक हुई. यह बैठक दूसरी बार हुई. इस दौरान शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि पाठ्यक्रम की विषय वस्तु सरल भाषा में संक्षिप्त रूप में होनी चाहिए, ताकि आसानी से पढ़ा जा सके और समझा जा सके. ऐसा पाठ्यक्रम बने जो आगामी पीढ़ी के नवनिर्माण में मील का पत्थर साबित हो. दिलावर ने कहा कि हमें हमारे महापुरुषों और राजस्थान के क्रांतिकारियों को बच्चों को पढ़ाना चाहिए, ताकि वो प्रेरित हो. महापुरुष पहले भी पढ़ाए जाते रहे हैं और उन्हें पढ़ाना ही चाहिए, लेकिन उन्हें पढ़ाते समय उनकी जीवनी में काट-छांट नहीं करनी चाहिए और न ही उनके बारे में गलत पढ़ाना चाहिए.
पढेंः ऐसी जिद जिसे शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी नहीं कर पाए श्नाश्ए छात्र के साथ पहुंचे उसके घर
एनसीईआरटी के विशेषज्ञ भी आएंगेः समिति के सचिव सतीश गुप्ता ने बताया कि एनसीईआरटी के विशेषज्ञ जल्द ही जयपुर आएंगे और समिति के कार्यों का अवलोकन कर मार्गदर्शन देंगे. समिति के सदस्यों को भी मार्गदर्शन के लिए एनसीईआरटी भेजा जाएगा.
तीन उप समितियांः इस दौरान पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति ने तीन उप समितियां गठित करने का फैसला लिया. सोशल साइंस के लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर के पूर्व अध्यक्ष भारत राम के संयोजन में उप समिति बनाई गई. इसमें सेवानिवृत्त आईपीएस कन्हैया लाल बेनीवाल और जयंती लाल खंडेलवाल को सदस्य बनाया गया है. ये समिति इतिहास, भूगोल और पॉलिटिकल साइंस के विषयों को देखेगी. दूसरी समिति विज्ञान और गणित के विषय को देखेगी. इसकी अध्यक्षता पूर्व कुलपति पीके दशोरा करेंगे. तीसरी समिति भाषा विषय को देखेगी. इसके अध्यक्ष पूर्व आईएएस श्याम सुंदर बिस्सा होंगे, सदस्य के रूप में डी. रामा राव रहेंगे.
स्थानीय भाषाओं में होगा शिक्षणः उधर, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रदेश में लागू होने के बाद अब अगले सत्र से प्रदेश के 9 जिलों में स्थानीय भाषा में बाल वाटिकाओं में शिक्षण कार्य शुरू होगा. राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है. जयपुर में राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के बुनियादी साक्षरता के नवाचारों पर सेमिनार को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने ये जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वर्तमान में दो जिलों सिरोही और डूंगरपुर में पायलट कार्यक्रम के रूप में बहुभाषी शिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. अगले सत्र से इसे 9 जिलों में चलाया जाएगा. साथ ही सत्र 2026 से ये कार्यक्रम प्रदेश के 25 जिलों में संचालित किया जाना प्रस्तावित है.