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Rajasthan: अफीम किसानों को दीपावली का बंपर गिफ्ट, हजारों को मिलेंगे नए लाइसेंस, सांसद सीपी जोशी ने कही ये बात - BUMPER DIWALI GIFT TO OPIUM FARMERS

केंद्र की मोदी सरकार ने अफीम किसानों को दिया दिवाली का बंपर गिफ्ट. 16 हजार से अधिक को मिलेंगे नए लाइसेंस.

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अफीम किसानों को दीपावली का बंपर गिफ्ट (ETV BHARAT Chittorgarh)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 30, 2024, 11:34 AM IST

चित्तौड़गढ़ : केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए जारी अफीम पॉलीसी से इस बार हजारों किसान जुड़ेंगे. करीब 16 हजार नए किसानों को खेती का अवसर मिलेगा. साथ ही विभाग ने किसान हित में नवाचार करते हुए लाइसेंस प्रक्रिया को भी ऑनलाइन कर दिया है. वहीं, चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने वर्ष 2024-25 के लिए जारी की गई अफीम पॉलीसी का स्वागत किया. उन्होने कहा कि नई पॉलीसी में गत वर्ष 2023-24 में जिन अफीम लाइसेंसधारी किसानों की फसल में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 प्रति किलोग्राम या उससे अधिक रही है. उन सभी किसानों को लेसिंग पद्धति के माध्यम से अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाइसेंस मिलेगा.

ऐसे काश्तकार जिन्होंने वर्ष 2023-24 के दौरान पोस्त भूसा उत्पादन के लिए अफीम खेती की और तोल केंद्र पर पोस्त भूसा दिया और जिनकी औसत उपज 900 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर या उससे अधिक थी, उनको भी अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाइसेंस मिलेगा. ऐसे किसान जिन्होंने फसल वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के दौरान नारकोटिक्स विभाग की देखरेख में फसल की हंकाई की, लेकिन वर्ष 2020-21 में फसल को नहीं हांका गया, वे किसान भी पात्र होंगे.

इसे भी पढ़ें - चित्तौड़गढ़: अफीम की खेती के लिए पट्टा वितरण शुरू, दिवाली तक किसान करेंगे बुवाई

वहीं, जिनकी लाइसेंस इनकार करने के खिलाफ अपील को वर्ष 2023-24 में निपटान की अंतिम तिथि के बाद अनुमति दी गई. वे किसान जो फसल वर्ष 2023-24 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी कारणवश उन्होंने लाइसेंस प्राप्त नहीं किया है या जिन्होंने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद किसी कारणवश अफीम की खेती नहीं की. ऐसे कृषक जिन्हें मृतक पात्र कृषक द्वारा फसल वर्ष 2023-24 के लिए नामित किया गया था.

ऐसे मामले जिसमें किसी कारणवश नामांकन नहीं किया गया हो या परिवार के सदस्यों, रक्त संबंधियों की परिभाषा में नहीं आने वाले व्यक्ति का नामांकन किया गया हो, तब ऐसे कृषक जो मृत पात्र कृषक के उत्तराधिकारियों में से एक हो, उसे जिला अफीम अधिकारी द्वारा उचित प्रक्रिया की पालना के बाद निर्धारित किया गया हो (लुवाई चिराई) वाला लाइसेंस के तहत पात्र सभी काश्तकारों को केवल एक भूखंड में 0.10 हैक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा.

यदि किसान चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की जमीन को पट्टे पर ले सकते हैं. इसके साथ ही सीपीएस पद्धति के लिए भी नोटिफिकेशन जारी हुआ है. सीपीएस पद्धति जिसमें लेंसिंग के माध्यम से रस नहीं निकाला जाता, में वे किसान पात्र होंगे. वहीं, जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के दौरान सीपीएस पद्धति से खेती की और तौल केंद्र पर प्रति हैक्टेयर 675 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसे की उपज पेश की हो. इधर, जिन काश्तकारों ने वर्ष 2023-24 के दौरान 675 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से कम पोस्त भूसे की औसत उपज पेश की है, उन्हें फसल वर्ष 2024-25 के दौरान अफीम पोस्त की खेती से होल्ड किया गया है. ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 में चीरा पद्धति द्वारा खेती की तथा अफीम फसल की औसत 3 किलोग्राम से अधिक और 4.2 किलोग्राम प्रति हैक्टैयर से कम प्रदान की है, वे इस वर्ष सीपीएस पद्धति में पात्र होंगे.

इसे भी पढ़ें - जयपुर में परिवहन निरीक्षक के तीन ठिकानों पर ACB की छापेमारी, 2.75 करोड़ रुपये की संपत्ति का खुलासा

जिन्होंने 2023-24 के दौरान प्रति हैक्टेयर 900 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसा दिया, लेकिन यदि वे फसल वर्ष 2024-25 के लिए चीरा पद्धति को नहीं चुनते हैं और स्वेच्छा से सीपीएस पद्धति में खेती करना चाहते हैं, वे भी पात्र होंगे. वे काश्तकार जो फसल वर्ष 2023-24 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी करण से लाइसेंस प्राप्त नहीं कर सके या जिन्होंने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद वास्तव में अफीम की खेती नहीं की. जिनको फसल वर्ष 1995-96 के बाद से कभी भी लाइसेंस दिया गया था, लेकिन किसी कारण से उन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया गया. उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा.वे किसान जिनका फसल वर्ष 1995-96 से 1997-98 तक की अवधि में लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था, लेकिन जिन्होंने 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से अधिक न्यूनतम औसत उपज प्रदान की हो, उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा.

वहीं, जो काश्तकार इस नीति में पहली बार सीपीएस पद्धति के लिए खेती के पात्र हो गए हैं, उन्हें आगामी 5 वर्षों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे, जो कि फसल वर्ष 2024-25 से जारी होकर फसल वर्ष 2028-29 तक प्रभावी रहेंगे. पांच वर्ष तक जारी लाइसेंस की अवधि तब तक प्रभावी रहेगी, जब तक किसान अवैध गतिविधियों में संलिप्त नहीं पाया जाता या एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया हो. या विभागीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं किया हो, या जिला अफीम अधिकारी के समक्ष स्वेच्छा से अपना लाइसेंस सरेंडर नहीं किया हो.

चित्तौड़गढ़ : केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए जारी अफीम पॉलीसी से इस बार हजारों किसान जुड़ेंगे. करीब 16 हजार नए किसानों को खेती का अवसर मिलेगा. साथ ही विभाग ने किसान हित में नवाचार करते हुए लाइसेंस प्रक्रिया को भी ऑनलाइन कर दिया है. वहीं, चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने वर्ष 2024-25 के लिए जारी की गई अफीम पॉलीसी का स्वागत किया. उन्होने कहा कि नई पॉलीसी में गत वर्ष 2023-24 में जिन अफीम लाइसेंसधारी किसानों की फसल में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 प्रति किलोग्राम या उससे अधिक रही है. उन सभी किसानों को लेसिंग पद्धति के माध्यम से अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाइसेंस मिलेगा.

ऐसे काश्तकार जिन्होंने वर्ष 2023-24 के दौरान पोस्त भूसा उत्पादन के लिए अफीम खेती की और तोल केंद्र पर पोस्त भूसा दिया और जिनकी औसत उपज 900 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर या उससे अधिक थी, उनको भी अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाइसेंस मिलेगा. ऐसे किसान जिन्होंने फसल वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के दौरान नारकोटिक्स विभाग की देखरेख में फसल की हंकाई की, लेकिन वर्ष 2020-21 में फसल को नहीं हांका गया, वे किसान भी पात्र होंगे.

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वहीं, जिनकी लाइसेंस इनकार करने के खिलाफ अपील को वर्ष 2023-24 में निपटान की अंतिम तिथि के बाद अनुमति दी गई. वे किसान जो फसल वर्ष 2023-24 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी कारणवश उन्होंने लाइसेंस प्राप्त नहीं किया है या जिन्होंने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद किसी कारणवश अफीम की खेती नहीं की. ऐसे कृषक जिन्हें मृतक पात्र कृषक द्वारा फसल वर्ष 2023-24 के लिए नामित किया गया था.

ऐसे मामले जिसमें किसी कारणवश नामांकन नहीं किया गया हो या परिवार के सदस्यों, रक्त संबंधियों की परिभाषा में नहीं आने वाले व्यक्ति का नामांकन किया गया हो, तब ऐसे कृषक जो मृत पात्र कृषक के उत्तराधिकारियों में से एक हो, उसे जिला अफीम अधिकारी द्वारा उचित प्रक्रिया की पालना के बाद निर्धारित किया गया हो (लुवाई चिराई) वाला लाइसेंस के तहत पात्र सभी काश्तकारों को केवल एक भूखंड में 0.10 हैक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा.

यदि किसान चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की जमीन को पट्टे पर ले सकते हैं. इसके साथ ही सीपीएस पद्धति के लिए भी नोटिफिकेशन जारी हुआ है. सीपीएस पद्धति जिसमें लेंसिंग के माध्यम से रस नहीं निकाला जाता, में वे किसान पात्र होंगे. वहीं, जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के दौरान सीपीएस पद्धति से खेती की और तौल केंद्र पर प्रति हैक्टेयर 675 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसे की उपज पेश की हो. इधर, जिन काश्तकारों ने वर्ष 2023-24 के दौरान 675 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से कम पोस्त भूसे की औसत उपज पेश की है, उन्हें फसल वर्ष 2024-25 के दौरान अफीम पोस्त की खेती से होल्ड किया गया है. ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 में चीरा पद्धति द्वारा खेती की तथा अफीम फसल की औसत 3 किलोग्राम से अधिक और 4.2 किलोग्राम प्रति हैक्टैयर से कम प्रदान की है, वे इस वर्ष सीपीएस पद्धति में पात्र होंगे.

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जिन्होंने 2023-24 के दौरान प्रति हैक्टेयर 900 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसा दिया, लेकिन यदि वे फसल वर्ष 2024-25 के लिए चीरा पद्धति को नहीं चुनते हैं और स्वेच्छा से सीपीएस पद्धति में खेती करना चाहते हैं, वे भी पात्र होंगे. वे काश्तकार जो फसल वर्ष 2023-24 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी करण से लाइसेंस प्राप्त नहीं कर सके या जिन्होंने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद वास्तव में अफीम की खेती नहीं की. जिनको फसल वर्ष 1995-96 के बाद से कभी भी लाइसेंस दिया गया था, लेकिन किसी कारण से उन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया गया. उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा.वे किसान जिनका फसल वर्ष 1995-96 से 1997-98 तक की अवधि में लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था, लेकिन जिन्होंने 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से अधिक न्यूनतम औसत उपज प्रदान की हो, उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा.

वहीं, जो काश्तकार इस नीति में पहली बार सीपीएस पद्धति के लिए खेती के पात्र हो गए हैं, उन्हें आगामी 5 वर्षों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे, जो कि फसल वर्ष 2024-25 से जारी होकर फसल वर्ष 2028-29 तक प्रभावी रहेंगे. पांच वर्ष तक जारी लाइसेंस की अवधि तब तक प्रभावी रहेगी, जब तक किसान अवैध गतिविधियों में संलिप्त नहीं पाया जाता या एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया हो. या विभागीय दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं किया हो, या जिला अफीम अधिकारी के समक्ष स्वेच्छा से अपना लाइसेंस सरेंडर नहीं किया हो.

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