कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय का 13वां दीक्षांत समारोह शनिवार को यूनिवर्सिटी परिसर में आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता राज्यपाल कलराज मिश्र ने की. वहीं, दीक्षांत अतिथि के रूप में एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर टीजी सीताराम शामिल हुए. इस दौरान समारोह को संबोधित करते हुए प्रो. टीजी सीताराम ने कहा कि हमारे चंद्रयान 3 ने चंद्रमा पर लैंडिंग की है और जो चंद्रयान 3 कर सका है, वो अमेरिकन कंपनी के रोबोट भी नहीं कर पाए हैं.
उन्होंने कहा कि चंद्रयान 3 या आदित्य एल 1 हो, इन्हें एआईसीटीई अप्रूव्ड इंस्टीट्यूशंस से ही सेकंड और थर्ड ग्रेड इंस्टिट्यूट कॉलेज के पास आउट स्टूडेंट ने ही लॉन्चिंग कर पहुंचाया है. देश के हर टेक्निकल और मैनेजमेंट के बड़े संस्थानों में यह लोग जा रहे हैं. यहां तक कि पूरे विश्व के लिए जा रहे हैं. विश्व की ऐसी कोई कंपनी नहीं है, जहां पर एआईसीटीई अप्रूव्ड इंस्टीट्यूट का ग्रेजुएट इंजीनियर नहीं हो. भारत सबसे बड़ी इंजीनियरिंग प्रोड्यूजिंग फैक्ट्री भी है.
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टीजी सीताराम ने कहा कि चंद्रयान को भी लॉन्च करने वालों व चेयरमैन एंड सेक्रेट्री ऑफ डिपार्मेंट ऑफ स्पेस डॉ. एस सोमनाथ से पूछा था कि आईआईटी पास आउट कितने आपके संस्थान में हैं, तब उन्होंने कहा कि हमारे पास एक भी नहीं है. उन्होंने कहा कि सभी प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज से है. मैं खुद भी केरल के प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएट हूं.
हायर एजुकेशन में ड्रॉपर ज्यादा : टीजी सीताराम ने कहा कि भारत में वर्तमान में स्कूली बच्चों का ड्रॉप आउट कम हो गया है. अभी 95 फीसदी के आसपास बच्चे स्कूल जा रहे हैं. यह आंकड़ा करीब 25 करोड़ के आसपास है, लेकिन हायर एजुकेशन के लिए अभी महज 28.3 यानी कि 4.3 करोड़ स्टूडेंट ही आगे बढ़ रहे हैं. भारत को विकसित देश बनना है तो इस संख्या को बढ़ाना होगा, क्योंकि इजराइल, जापान और कोरिया में हायर एजुकेशन तक पहुंचने वाले स्टूडेंट की संख्या 80 फीसदी तक होती है.
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ये है सबसे बड़ी चुनौती : टीजी सीताराम ने कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत अगर हायर एजुकेशन तक पहुंचने वाले स्टूडेंट 50 फीसदी भी हो जाते हैं तो साल 2035 तक 8 करोड़ स्टूडेंट हायर एजुकेशन के लिए जाएंगे. इनके लिए हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट खड़े करना एक बड़ी चुनौती है. अभी वर्तमान में 1100 यूनिवर्सिटी और 45000 कॉलेज हैं, इनमें 4.3 करोड़ विद्यार्थी पढ़ रहे, लेकिन इन्हें 2035 तक दोगुना करना होगा, क्योंकि विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ेगी. विकसित देश बनने के लिए हमें यह करना होगा.
IIT से पहले AICTE के संस्थानों ने लागू किया AI पर कोर्स : एआईसीटीई के अध्यक्ष टीजी सीताराम ने कहा कि आईआईटी और आईआईएससी व अन्य प्रीमीयर इंस्टीट्यूट के पहले ही हमारे अप्रूव्ड कॉलेज ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा साइंस और रोबोटिक पर कोर्स शुरू कर दिए. हमने साल 2017 में यह कोर्स शुरू किया था, जबकि आईआईटी गुवाहाटी ने 2021 में यह कोर्स लेकर आई थी. ऐसे में यह साफ है कि हमारे संस्थान डिस्क्रिप्टिव करिकुलम पहले से ही लेकर आए हुए हैं. हमारे स्टूडेंट और ग्रेजुएट अच्छे टेक्नोलॉजी के कोर्सेज पढ़ रहे हैं. वे पूरी तरह से स्किल्ड हैं.
विश्व में सबसे ज्यादा इंजीनियर भारत से : टीजी सीताराम ने कहा कि देश में 23 आईआईटी से 15000 ग्रैजुएट्स हर साल निकल रहे हैं. जबकि हमारी अप्रूव्ड संस्थाओं से पास आउट इंजीनियर की संख्या 15 लाख के आसपास है. आईआईटी जैसे प्रीमीयर इंस्टीट्यूट से महज 1 फीसदी इंजीनियर प्रोड्यूस कर रही है, शेष 99 फीसदी एआईसीटीई अप्रूव्ड संस्थाओं से आ रहे हैं.