जयपुर. लंबे समय से चल रही सियासी अटकलों के बीच राज्य कैबिनेट के मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. कृषि मंत्री का पद संभाल रहे मीणा ने एक कार्यक्रम में खुद इसका ऐलान किया. उन्होंने कहा- ''मुझे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस्तीफा देने से मना किया था, लेकिन मैं मंत्री पद से इस्तीफा दे चुका हूं.'' दरअसल, लोकसभा चुनाव के परिणाम खास तौर पर दौसा संसदीय सीट के नतीजे के बाद से ही किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे को लेकर लगातार सियासी गलियारे में चर्चाओं का दौर जारी था.
माना जा रहा है कि दौसा सीट पर हुई हार की जिम्मेदारी लेते हुए मीणा ने इस्तीफा दिया है, क्योंकि मीणा ने परिणाम से पहले ही बयान दिया था कि अगर दौसा सीट से भाजपा उम्मीदवार कन्हैयालाल मीणा चुनाव हारेंगे तो वो मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. वहीं, भाजपा की दौसा में हुई हार के बाद से ही विपक्ष लगातार किरोड़ीलाल मीणा पर इस्तीफे का दबाव बना रहा था. हालांकि, उपचुनाव से पहले मीणा के इस्तीफे से सत्ता और संगठन की टेंशन बढ़ गई है. ऐसे में अब भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुटी है.
रघुकुल रीति सदा चलि आई।
— Dr.Kirodi Lal Meena (@DrKirodilalBJP) July 4, 2024
प्राण जाई पर बचन न जाई।।
(श्रीरामचरितमानस)
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मीणा के इस्तीफे से भाजपा को उपचुनाव में नुकसान की संभावना : लोकसभा चुनाव परिणाम आने के ठीक एक महीने बाद यानी 4 जुलाई को किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी. मीणा ने खुद अपने इस्तीफे की घोषणा कर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया. हालांकि, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अभी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है. बताया जा रहा है कि पिछले दिनों एक कार्यक्रम के पोस्टर लॉन्च के दौरान मीणा ने मुख्यमंत्री भजनलाल से मुलाकात की थी. उसी दौरान उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन विधानसभा के बजट सत्र के चलते रणनीति के तहत इसे गोपनीय रख गया. अब हाईकमान स्तर पर इस पर फैसला होगा. उपचुनाव से ठीक पहले मीणा के इस कदम से भाजपा को न केवल उपचुनाव में बल्कि पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में भी नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है.
किरोड़ीलाल मीणा मूलतः दौसा जिले के महवा के रहने वाले हैं और साल 1985 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर महवा विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने थे. मीणा छह बार विधायक बने. वहीं, पूर्वी राजस्थान में उनके प्रभाव को इस बात से समझा जा सकता है कि वो महवा, टोड़ाभीम, सवाई माधोपुर और बामनवास समेत चार अलग-अलग विधानसभाओं से जीत कर आए. इसके अलावा दौसा से निर्दलीय संसदीय चुनाव जीते. मीणा के इस फैसले से दौसा और देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा को नुकसान होने की संभावना है.
अपने इस्तीफे पर बोले मीणा : अपने इस्तीफे के बाद मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि वो अपने प्रभाव वाली सीटों को जीता नहीं पाए, इसलिए नैतिक जिम्मेदारी के साथ उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. मीणा ने कहा कि सात सीटों पर उनका विशेष प्रभाव था, जिसमें से चार पर पार्टी को जीत और तीन में हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. अब आगे संगठन ने दौसा विधानसभा सीट पर उपचुनाव की जिम्मेदारी दी है. ऐसे में इस सीट पर भाजपा की जीत हो, इसके लिए काम करेंगे.
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डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा : बताया जा रहा है कि इस्तीफे की चर्चओं के बीच मीणा दो दिन दिल्ली में थे. इस दौरान संगठन के नेताओं से उनकी बातचीत भी हुई. हालांकि, संगठन महामंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी थी, लेकिन अब मीणा के इस फैसले के बाद भाजपा पूरी तरह से डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि उन्हें अभी किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे की पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन अगर ऐसा कुछ हुआ है तो उसको लेकर बात करेंगे. किरोड़ीलाल मीणा पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. ऐसे में इस्तीफे के पीछे की वजहों पर पार्टी स्तर पर बात होगी.