नई दिल्ली: तकनीक के इस युग में इलाज और ऑपरेशन की नई-नई तकनीकें विकसित होती जा रही हैं. इसी क्रम में रोबोटिक सर्जरी के क्षेत्र में एक और नई शुरुआत हुई है. दरअसल, इस नई तकनीक को टेली रोबोटिक सर्जरी नाम दिया गया है. इसका मतलब यह है कि 1000 किलोमीटर दूर बैठकर भी सर्जन रोबोट की सहायता से अब मरीज की सर्जरी कर सकेंगे. नई तकनीक को एसएसआई मंत्रा तीन नाम दिया गया है. इस नई तकनीक के विशेषज्ञ डॉक्टर सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि इस तकनीक के द्वारा हम अभी तक 5 किलोमीटर और 10 किलोमीटर दूर बैठकर अस्पताल में मौजूद मरीज की सर्जरी कर चुके हैं.
उन्होंने बताया कि इस तकनीक में अस्पताल में रोबोट की मौजूदगी जरूरी है. अस्पताल में बैठकर सर्जन सर्जरी के लिए जो भी आवश्यक उपकरण कैमरा आदि को मरीज के शरीर में डाल देते हैं. उसके बाद फिर हम रोबोट की सहायता से कहीं से भी बैठकर उसको ऑपरेट करते हैं और रोबोट की मदद से सर्जरी हो जाती है.
उन्होंने बताया कि इस तकनीक से सर्जरी करने पर बहुत ही छोटा चीरा लगाकर काम हो जाता है. इससे खून भी कम बहता है और मरीज को जल्दी छुट्टी दे दी जाती है.
डॉक्टर सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि इस तकनीक से सर्जरी करने में खर्चा भी कम आता है.हालांकि, खर्चा इस बात पर डिपेंड करता है कि मरीज की किस तरह की सर्जरी होनी है. उन्होंने बताया हालांकि छोटी-मोटी सर्जरी का इस तकनीक से 40 हजार से लेकर 60 हजार रूपये तक का खर्चा आता है. उन्होंने बताया कि दिल्ली के चार से पांच अस्पतालों में इस तकनीक से सर्जरी शुरू हो चुकी हैं. अभी उन्होंने बताया कि दो दिन बाद ही हम राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में इसी तकनीक के माध्यम से एक सर्जरी करने जा रहे हैं, जिसमें वहां के सर्जन डॉक्टर रावल भी मौजूद रहेंगे.
इस तरह काम करती है तकनीक
तकनीकी विशेषज्ञ डॉक्टर सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि इस तकनीक से सर्जरी करने के लिए हमें हाई स्पीड इंटरनेट फाइबर कनेक्शन की जरूरत होती है. 5G स्पीड से इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो सकता है. इसलिए हमने दूरसंचार कंपनी से इसके लिए करार किया हुआ है, जब हम सर्जरी करते हैं तो उस कंपनी की ओर से कनेक्शन दिया जाता है और कनेक्शन के माध्यम से अस्पताल में मौजूद रोबोट को हम अपने ऑफिस गुरुग्राम में बैठकर उस तकनीक से ऑपरेट करते हैं. अस्पताल में मौजूद सर्जन मरीज के शरीर के अंदर सर्जरी के लिए आवश्यक उपकरण कैमरा आदि को डाल देते हैं उसके बाद रोबोट को हम कमांड देकर सर्जरी करते हैं. डॉ सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि विदेशों में है तकनीक काफी समय से चल रही है लेकिन अब हम इस तकनीक को भारत में भी अपना रहे हैं और इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी का ज्यादा इस्तेमाल है. इसकी वजह से इस तकनीक से होने वाली सर्जरी विदेश की तुलना में यहां काफी किफायती है.
इन बीमारियों की इस तकनीक से हो सकती है सर्जरी
कैंसर, हार्ट, प्रोस्टेट, यूटरस, किडनी, लंग, हेड एंड लंग कैंसर सहित अन्य कई बीमारियों की कॉम्प्लेक्स सर्जरी इस तकनीक के माध्यम से आसानी से हो सकती है.
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