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धूल नियंत्रण उपायों को लागू करने के लिए टीमें गठित, स्मॉग गन तैनात की जाएंगी: सीएम आतिशी - DELHI CM ATISHI HOLD MEETING

मुख्यमंत्री ने दिल्ली सचिवालय में प्रदूषण की स्थिति के बारे में अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की. इस दौरान उन्होंने कई अहम फैसले लिए.

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बैठक के बाद मुख्यमंत्री आतिशी ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस. साथ में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय भी थे. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 15, 2024, 3:51 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री आतिशी ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया. उन्होंने घोषणा की कि 99 टीमें अब निजी और सरकारी निर्माण स्थलों का निरीक्षण करेंगी, ताकि धूल नियंत्रण उपायों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके. यह कदम ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के पहले चरण के कार्यान्वयन के तहत उठाया गया है, जो प्रदूषण के प्रति दिल्ली सरकार की सक्रियता को दर्शाता है.

उच्च स्तरीय बैठक में हुई चर्चा: दिल्ली सरकार ने GRAP के पहले चरण के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें कई प्रमुख विभागों के प्रतिनिधि शामिल थे. बैठक में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), लोक निर्माण विभाग (PWD), दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया. मुख्यमंत्री आतिशी ने बैठक के बाद प्रदूषण को लेकर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया. विशेष रूप से हाल के दिनों में वायु गुणवत्ता में आई गिरावट के मद्देनजर.

धूल नियंत्रण उपायों के लिए निरीक्षण टीमें: आतिशी ने बताया कि DPCC, राजस्व और उद्योग विभाग जैसी विभिन्न टीमों को निजी और सरकारी निर्माण स्थलों का निरीक्षण करने का कार्य सौंपा जाएगा. इन टीमों के रिपोर्टिंग तंत्र के अंतर्गत निष्कर्ष प्रतिदिन 'ग्रीन वॉर रूम' को भेजे जाएंगे, जो शहर में वायु गुणवत्ता नियंत्रण उपायों की निगरानी करेगा. उन्होंने बताया कि दिल्ली नगर निगम (MCD) ने निर्माण और विध्वंस कचरे को दिन के समय साफ करने के लिए 79 टीमें और रात के समय के लिए 75 टीमें तैनात की हैं.

यह भी पढ़ें- सीएम आतिशी ने दिल्ली सरकार के 12 वित्तपोषित कॉलेजों की तीसरी किस्त जारी करने को दी मंज़ूरी

बायोमास जलने के नियंत्रण और सड़क धूल प्रबंधन: मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए 116 टीमें बायोमास जलने से रोकने के लिए चौबीसों घंटे रेस्क्यू कार्य करेंगी. इसके अलावा सड़क की धूल को नियंत्रित करने के लिए लोक निर्माण विभाग को गड्ढों की मरम्मत का काम सौंपा गया है. PWD, DMRC, MCD और NCRTC द्वारा विभिन्न स्थानों पर स्मॉग गन की तैनाती की जाएगी.

यातायात प्रबंधन की दिशा में कदम: आतिशी ने बताया कि यातायात पुलिस को उन स्थानों की पहचान करने के लिए उपकरण दिए गए हैं, जहां यातायात की भीड़ बढ़ती है, और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात करने के निर्देश भी दिए गए हैं. यदि जरूरत महसूस होती है तो होमगार्ड को प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए यातायात प्रवाह को प्रबंधित करने में सहायता के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.

भाजपा शासित प्रदेश भी प्रदूषण की रोकथाम के लिए करें काम: इस दौरान दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में हमारी सरकार प्रदूषण की रोकथाम को लेकर गंभीर है, लेकिन दिल्ली चारों तरफ से भाजपा शासित प्रदेशों से घिरी हुई है. प्रदूषण की समस्या सामूहिक है तो समाधान भी सामूहिक होना चाहिए. भाजपा शासित प्रदेशों में भी वहां की सरकार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को शक्ति से लागू करने के लिए बैठक करनी चाहिए. गोपाल राय ने कहा कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में पंजाब में पराली जलाने के मामले कम हुए हैं. जबकि, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष की तुलना में इस बार पराली जलाने के मामले बढ़े हैं.

यह भी पढ़ें- श्रद्धालुओं को होगी सहूलियत: दिल्ली में इस साल भी तैयार किए जाएंगे 1000 से अधिक छठ घाट

नई दिल्ली: दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री आतिशी ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया. उन्होंने घोषणा की कि 99 टीमें अब निजी और सरकारी निर्माण स्थलों का निरीक्षण करेंगी, ताकि धूल नियंत्रण उपायों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके. यह कदम ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के पहले चरण के कार्यान्वयन के तहत उठाया गया है, जो प्रदूषण के प्रति दिल्ली सरकार की सक्रियता को दर्शाता है.

उच्च स्तरीय बैठक में हुई चर्चा: दिल्ली सरकार ने GRAP के पहले चरण के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें कई प्रमुख विभागों के प्रतिनिधि शामिल थे. बैठक में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), लोक निर्माण विभाग (PWD), दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया. मुख्यमंत्री आतिशी ने बैठक के बाद प्रदूषण को लेकर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया. विशेष रूप से हाल के दिनों में वायु गुणवत्ता में आई गिरावट के मद्देनजर.

धूल नियंत्रण उपायों के लिए निरीक्षण टीमें: आतिशी ने बताया कि DPCC, राजस्व और उद्योग विभाग जैसी विभिन्न टीमों को निजी और सरकारी निर्माण स्थलों का निरीक्षण करने का कार्य सौंपा जाएगा. इन टीमों के रिपोर्टिंग तंत्र के अंतर्गत निष्कर्ष प्रतिदिन 'ग्रीन वॉर रूम' को भेजे जाएंगे, जो शहर में वायु गुणवत्ता नियंत्रण उपायों की निगरानी करेगा. उन्होंने बताया कि दिल्ली नगर निगम (MCD) ने निर्माण और विध्वंस कचरे को दिन के समय साफ करने के लिए 79 टीमें और रात के समय के लिए 75 टीमें तैनात की हैं.

यह भी पढ़ें- सीएम आतिशी ने दिल्ली सरकार के 12 वित्तपोषित कॉलेजों की तीसरी किस्त जारी करने को दी मंज़ूरी

बायोमास जलने के नियंत्रण और सड़क धूल प्रबंधन: मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए 116 टीमें बायोमास जलने से रोकने के लिए चौबीसों घंटे रेस्क्यू कार्य करेंगी. इसके अलावा सड़क की धूल को नियंत्रित करने के लिए लोक निर्माण विभाग को गड्ढों की मरम्मत का काम सौंपा गया है. PWD, DMRC, MCD और NCRTC द्वारा विभिन्न स्थानों पर स्मॉग गन की तैनाती की जाएगी.

यातायात प्रबंधन की दिशा में कदम: आतिशी ने बताया कि यातायात पुलिस को उन स्थानों की पहचान करने के लिए उपकरण दिए गए हैं, जहां यातायात की भीड़ बढ़ती है, और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात करने के निर्देश भी दिए गए हैं. यदि जरूरत महसूस होती है तो होमगार्ड को प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए यातायात प्रवाह को प्रबंधित करने में सहायता के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.

भाजपा शासित प्रदेश भी प्रदूषण की रोकथाम के लिए करें काम: इस दौरान दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में हमारी सरकार प्रदूषण की रोकथाम को लेकर गंभीर है, लेकिन दिल्ली चारों तरफ से भाजपा शासित प्रदेशों से घिरी हुई है. प्रदूषण की समस्या सामूहिक है तो समाधान भी सामूहिक होना चाहिए. भाजपा शासित प्रदेशों में भी वहां की सरकार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को शक्ति से लागू करने के लिए बैठक करनी चाहिए. गोपाल राय ने कहा कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में पंजाब में पराली जलाने के मामले कम हुए हैं. जबकि, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष की तुलना में इस बार पराली जलाने के मामले बढ़े हैं.

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