नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरूविश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) परिसर के पास रिंग रोड पर एक छात्रा के कथित यौन उत्पीड़न मामले को लेकर जेएनयूटीए ने महिला सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति तेजी से बिगड़ रही है. इसको लेकर जेएनयूटीए ने चीफ प्रॉक्टर से मांग की है कि आरोपी को शिकायतकर्ता के छात्रावास से निकालकर दूसरे छात्रावास में स्थानांतरित किया जाए.
आरोपी को उस शैक्षणिक भवन में भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाए, जहां शिकायतकर्ता पढ़ाई कर रही है. कैंपस में शिकायतकर्ता की पहचान उजागर किए बिना, सभी आरोपियों के खिलाफ उचित सार्वजनिक प्रतिबंध आदेश जारी किए जाएं. वहीं, शिकायतकर्ता, सभी गवाहों और अन्य छात्रों और शिक्षकों की पूर्ण सुरक्षा की गारंटी प्रशासन दे. जेएनयूटीए की अध्यक्ष मौसमी बसु ने आरोप लगाते हुए कहा कि जेएनयू प्रशासन शिकायतकर्ता पर अत्याचार करना बंद करे. वहीं, उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि जल्द मांगे पूरी नहीं की गई, तो संगठन आवश्यक कार्रवाई करेगा.
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जेएनयूटीए ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह गंभीर विषय है कि पिछले छह दिनों की अवधि में विश्वविद्यालय प्रशासन का कोई भी वरिष्ठ अधिकारी विरोध कर रहे छात्रों को आश्वासन देने के लिए मुख्य द्वार पर नहीं आया है. इस मामले पर कुलपति के साथ बातचीत करने की जेएनयूटीए की कोशिशें भी अनसुनी कर दी गई. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि 30-31 मार्च की रात को जेएनयू में यौन उत्पीड़न की हालिया घटना ने एक बार फिर विश्वविद्यालय समुदाय के सभी वर्गों के लिए परिसर में सुरक्षा के मुद्दों पर चिंता बढ़ा दी है.
इसी तरह की घटना 6 जून, 2023 की रात को कैंपस में घटी थी, जिसमें जेएनयू रिंग रोड पर चल रही दो महिला छात्रों के पास कार में आए अज्ञात लोगों के एक समूह ने यौन दुर्व्यवहार और अपमानजनक भाषा और यौन उत्पीड़न करने का प्रयास किया था. उल्लेखनीय है कि एक अप्रैल को जेएनयू की एक छात्रा ने विश्वविद्यालय प्रशासन को सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत दी थी.
इसमें छात्रा ने आरोप लगाया है था कि 31 मार्च की रात को दो बजे वह अपने एक दोस्त के साथ विश्वविद्यालय परिसर के नजदीक रिंग रोड पर टहल रही थी तो एक गाड़ी में तीन लड़के और एक लड़की आते हैं. इनमें दो जेएनयू के पूर्व छात्र हैं. उन्होंने कार से उसका पीछा किया और उनके साथ बदसलूकी और सेक्सुअल हैरेसमेंट किया. शिकायत मिलने के बाद प्रॉक्टर ऑफिस ने मामले में जांच बैठा दी थी. साथ ही जांच में दोषी पाए जाने पर एक पूर्व छात्र और पूर्व छात्रा को जेएनयू से आउट ऑफ बॉन्ड (प्रवेश निषेध) घोषित कर दिया था. बाकी अन्य दो छात्रो की मामले में संलिप्तता को लेकर जांच जारी है.
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