पटना: 16 मई से प्रदेश के सभी सरकारी विद्यालय ग्रीष्मावकाश के बाद से पुनः खुल रहे हैं. लेकिन इसी बीच शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर दिया है कि विद्यालय का संचालन मॉर्निंग शिफ्ट में होगा. बच्चों के लिए समय 6बजे से 12 बजे तक और शिक्षकों का समय 6 बजे से 1:30 बजे तक रखा गया है. ऐसे में शिक्षा विभाग के इस फैसले को लेकर शिक्षकों में नाराजगी देखने को मिल रही है.
सरकारी स्कूलों का बदला समय: दरअसल केके पाठक ने भीषण गर्मी को देखते हुए स्कूलों को मॉर्निंग शिफ्ट में संचालित करने का निर्देश जारी किया है. कहा गया है कि सुबह 6:00 से 12:00 बजे तक विद्यालय में कक्षाओं का संचालन होगा और 12:00 बजे बच्चों की छुट्टी के बाद 1:30 बजे तक विद्यालय में शिक्षक रहते हुए अगले दिन की पाठ तालिका तैयार करेंगे.
स्कूल में नहीं रुकने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई: साथ ही यह भी कहा गया है कि सुबह 6:00 से 1:30 बजे के बीच शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूलों का निरीक्षण करेंगे और इस समय में अनुपस्थित पाए गए शिक्षकों का एक दिन का वेतन कटेगा. अब शिक्षा विभाग के इस फैसले से शिक्षक काफी नाराज हैं. शिक्षकों का कहना है कि पहले मॉर्निंग शिफ्ट चलती थी तो सुबह 6:30 से 11:00 या 7:00 से 12:00 बजे तक संचालित होती थी, लेकिन इस नए शिफ्ट में काम करने वाले शिक्षकों को मानसिक और शारीरिक परेशानी होगी.
बिहार शिक्षक संघ ने भी फैसले पर जताई आपत्ति: बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा है कि सुबह 6:00 बजे से विद्यालय चलेंगे तो शिक्षक और शिक्षिकाएं कब तैयार होकर विद्यालय आएंगे. विद्यालय से कोई आधे घंटे की भी दूरी पर हो तो 5:30 बजे विद्यालय से निकलना होगा. इसके लिए शिक्षक और शिक्षिकाओं को सुबह 4:00 से उठकर तैयारी करनी होगी.
"अभी के समय अधिकांश परिवार न्यूक्लियर परिवार हैं, ऐसे में अधिकांश शिक्षक शिक्षिकाओं को घर का खाना बनाकर निकलना होगा. इसके लिए शिक्षिकाएं कब उठेंगी, और इस दिनचर्या से शिक्षक शिक्षिकाओं के सेहत पर क्या दुष्प्रभाव होगा इससे भी सरकार को अवगत होना चाहिए. सुबह 5:30 बजे सूर्योदय भी नहीं होता है और उस समय यातायात का सही परिचालन नहीं रहता है. ऐसे में शिक्षक शिक्षिकाओं को विद्यालय पहुंचने में काफी कठिनाई होगी."- अमित विक्रम, अध्यक्ष, बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ
'शिक्षकों की हत्या करना चाहते हैं केके पाठक': अमित विक्रम ने कहा कि अभी के समय बिहार में लू चल रही है. दिन की 1:00 से 3:00 के बीच काफी लू चल रही होती है. इस समय शिक्षकों की छुट्टी करना एक तरीके से शिक्षकों की जान के साथ खिलवाड़ करना है. शिक्षक सुबह में बिना नाश्ता किया स्कूल जाएंगे और प्रचंड लू के समय घर लौटेंगे, तो उनके स्वास्थ्य संबंधित दुष्प्रभाव की जिम्मेवारी कौन लेगा. इससे तो बेहतर होता कि सामान्य रूप से सुबह 9:00 से शाम 5:00 बजे तक जो विद्यालय चल रहे थे इस अवधि में विद्यालय चले.
'मानसिक रूप से बीमार हैं केके पाठक': वहीं शिक्षक निर्वाचन से चुने गए बिहार भाजपा के विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने कहा कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक मानसिक रूप से बीमार हो गए हैं. इस प्रकार के फैसला ले रहे हैं जो पूरी तरह से शिक्षकों को प्रताड़ित कर रहे हैं. बिहार सरकार और एनडीए शासन की छवि को धूमिल करना चाहते हैं और सरकार के खिलाफ इस प्रकार के फैसले से शिक्षकों को आक्रोशित कर रहे हैं.
"12:00 जब विद्यालय में बच्चों की छुट्टी हो जाएगी तो डेढ़ घंटा अतिरिक्त शिक्षक विद्यालय में क्यों रहेगा. शिक्षा विभाग शिक्षकों को बंधुआ मजदूर अथवा गुलाम समझ रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखेंगे और इस संबंध में वह सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों से भी आज बुधवार को ही बात करेंगे. पहले जो समय सारणी थी सुबह 6:30 से 11:30 अथवा 7:00 से 12:00 तक, उसी समय सारणी से विद्यालय चलनी चाहिए. विद्यालय में छुट्टी होने के बाद शिक्षकों की भी छुट्टी हो जानी चाहिए."- नवल किशोर यादव, विधान पार्षद, भाजपा
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