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परिवार से बिछड़ी महिलाओं को सहारा देकर अपनों से मिलवाता है स्वाधार गृह, एक साल बाद घर लौटी अमरावती - SWADHAR GREH YOJNA

53 वर्षीय अमरावती एक साल बाद अपने घर लौटीं. अमरावती एक साल से बल्ह के चलखा गांव में स्वधार गृह में रह रही थीं.

स्वाधार गृह से परिजनों के साथ घर लौटी अमरावती
स्वाधार गृह से परिजनों के साथ घर लौटी अमरावती (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 30, 2024, 2:06 PM IST

Updated : Dec 30, 2024, 2:19 PM IST

मंडी: कुछ दिनों पहले मंडी के भंगरोटू वृद्धाआश्रम में रह रही साकम्मा पूरे 20 साल बाद अपने परिवार के पास कर्नाटक लौटीं थी. अब यूपी के मुरादाबाद की रहने वाली 53 वर्षीय अमरावती पूरे एक साल बाद अपने परिवार से मिली हैं. अमरावती की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और करीब एक वर्ष पहले अपने घर से भटकती हुई हिमाचल आ पहुंची थी. जिला प्रशासन ने अमरावती को बल्ह उपमंडल के चलखा गांव में चल रहे स्वाधार गृह भेज दिया था.

अमरावती अपना नाम छमिया बताती थी और सही ढंग से घर का पता भी मालूम नहीं था, लेकिन जो थोड़ी बहुत जानकारी मिली उसके आधार पर पुलिस की मदद से उसके परिवार को ढूंढ निकाला गया. परिवार के लोग एक वर्ष से अमरावती की तलाश में दर-दर भटक रहे थे, लेकिन अब अमरावती अपने परिवार से मिल चुकी हैं. अमरावती जाते समय भावुक हो गई. उन्होंने कहा कि, 'यहां उन्हें अच्छे से रखा गया. यहां कोई तकलीफ नहीं हुई. हमें अपने परिवार को दोबारा देखकर बहुत खुशी हो रही है. घर जाकर अपने परिवार और बच्चों के बीच रहूंगी'

(null)

28 महिलाओं को परिवार से मिलवाया

समिति की प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर गीता पुरोहित ने बताया कि, 'स्वाधार गृह की शुरूआत जनवरी 2020 में की गई थी. इसे ऐसी महिलाओं के लिए खोला गया था, जिन्हें घर से निकाल दिया जाता है, लेकिन आज यहां पर हर प्रकार की महिलाओं को शरण देकर उनका सहारा बनने का प्रयास किया जा रहा है. अब तक 50 से अधिक महिलाएं प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस द्वारा यहां भेजी गई हैं. स्वाधार गृह इन महिलाओं को मेडिकल कॉलेज नेरचौक के माध्यम से उपचार देता है और फिर उसके बाद उनके परिवार के बारे में जानकारी जुटाकर परिजनों की तलाश की जाती है. अभी तक स्वाधार गृह 28 महिलाओं को उनके परिवारों से मिलवा चुका है. 14 महिलाएं दूसरे आश्रमों में भेजी गई हैं, जबकि मौजूदा समय में 10 महिलाएं स्वाधार गृह में रह रही हैं.'

स्वाधार गृह में रह रही महिलाएं
स्वाधार गृह में रह रही महिलाएं (ETV BHARAT)

महिलाओं को बनाया जाता है आत्मनिर्भर

गीता पुरोहित ने बताया कि, 'स्वाधार गृह में आने वाली महिलाओं को संभालना आसान काम नहीं होता, क्योंकि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती. कई बार स्टाफ के लोगों के साथ मानसिक रूप से बीमार महिलाएं झगड़ा भी करती हैं. स्वाधार गृह में जब तक महिला रहती है उसे आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य किया जाता है. महिलाओं से कोई न कोई ऐसा कार्य करवाया जाता है, ताकि वो व्यस्त भी रहें और कुछ सीखतक आत्मनिर्भर बनें. यहां रह रही एक महिला को अब यहीं पर बतौर कुक नौकरी दी गई है.' बता दें कि यह स्वाधार गृह प्रदेश सरकार की तरफ से मिलने वाली आर्थिक मदद और दानी सज्जनों की ओर से किए जाने वाले सहयोग से ही चलता है. यहां महिला को सिर्फ और सिर्फ जिला प्रशासन या पुलिस के निर्देशों के बाद जिला कल्याण अधिकारी की ओर से किए जाने वाले लिखित आदेशों के बाद ही दाखिल किया जाता है.

बल्ह उपमंडल में बना स्वाधार गृह
बल्ह उपमंडल में बना स्वाधार गृह (ETV BHARAT)

केंद्र सरकार ने की थी स्वाधार गृह योजना की शुरुआत

बहुत सी ऐसी महिलाएं होती हैं जो मानसिक परेशानी के चलते लापता हो जाती हैं. भटकते भटकते ऐसी जगह पर आ जाती हैं जहां उन्हें जानने-पहचानने वाला कोई नहीं होता. ऐसी महिलाओं के लिए केंद्र सरकार ने स्वाधार गृह योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले में 30 महिलाओं की क्षमता वाले स्वाधार गृह स्थापित किए करने का लक्ष्य रखा गया था. इन स्वाधार गृहों का उद्देश्य संकटग्रस्त और बिना किसी सामाजिक और आर्थिक सहायता के रहने वाली महिलाओं को आश्रय, भोजन, कपड़े, चिकित्सा उपचार और देखभाल की प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करना है. इसके साथ ही उन्हें कानूनी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना है. इसी योजना के तहत बल्ह उपमंडल के तहत आने वाले चलखा गांव में स्वाधार गृह की स्थापना की गई है. इसका संचालन सहयोग बाल श्रवण विकलांग कल्याण समिति करती है.

बेसहारा महिलाओं के लिए शुरू हुई थी स्वाधार गृह योजना

बता दें कि 18 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं, परित्यक्ता महिलाएं, प्राकृतिक आपदाओं में बेघर हुई महिलाएं, जेल से रिहा की गई महिला कैदी जो पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक सहायता से वंचित हैं, घरेलू हिंसा, पारिवारिक तनाव या कलह की शिकार महिलाएं, जिन्हें जीविका के किसी साधन के बिना अपना घर छोड़ने पर मजबूर किया जाता है और जिन्हें शोषण से कोई विशेष संरक्षण नहीं मिलता है स्वाधार गृह में रह सकती हैं. घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाएं एक साल तक स्वाधार गृह में रह सकती हैं. अन्य श्रेणियों की महिलाओं के लिए, रहने की अधिकतम अवधि 3 साल तक हो सकती है. 55 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को अधिकतम 5 साल तक रहने की अनुमति दी जा सकती है, जिसके बाद उन्हें वृद्धाश्रम या इसी तरह के संस्थानों में भेजा जाता है.

स्वाधार गृह की सुविधा का लाभ उपरोक्त श्रेणियों की महिलाओं के साथ आने वाले बच्चों को भी मिल सकेगा. 18 वर्ष तक की लड़कियों और 8 वर्ष तक के लड़कों को अपनी माताओं के साथ स्वाधार गृह में रहने की अनुमति होगी. राज्य सरकारों द्वारा स्थापित महिला विकास निगमों सहित राज्य सरकार की एजेंसियां, केंद्रीय या राज्य स्वायत्त निकाय, नगर निकाय, पंचायती राज संस्थाएं और सहकारी संस्थाएं, राज्य सरकारों के महिला एवं बाल विकास/समाज कल्याण विभाग, जो इस योजना के अंतर्गत संचालन के प्रबंधन के लिए स्वाधार गृह का निर्माण कर सकते हैं और उन्हें स्वयं चला सकते हैं या उन्हें अपेक्षित अनुभव रखने वाले संगठनों को उचित अवधि के लिए पट्टे पर दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें: साकम्मा की 20 साल बाद हिमाचल में हुई पहचान, वृद्धाश्रम में काट रही थी दिन, घरवालों ने कर दिया था अंतिम संस्कार

ये भी पढ़ें: हिमाचल के इस अफसर को सैल्यूट तो बनता है, जिसे मरा हुआ समझा उस महिला को 20 साल बाद परिवार से मिलवाया

मंडी: कुछ दिनों पहले मंडी के भंगरोटू वृद्धाआश्रम में रह रही साकम्मा पूरे 20 साल बाद अपने परिवार के पास कर्नाटक लौटीं थी. अब यूपी के मुरादाबाद की रहने वाली 53 वर्षीय अमरावती पूरे एक साल बाद अपने परिवार से मिली हैं. अमरावती की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और करीब एक वर्ष पहले अपने घर से भटकती हुई हिमाचल आ पहुंची थी. जिला प्रशासन ने अमरावती को बल्ह उपमंडल के चलखा गांव में चल रहे स्वाधार गृह भेज दिया था.

अमरावती अपना नाम छमिया बताती थी और सही ढंग से घर का पता भी मालूम नहीं था, लेकिन जो थोड़ी बहुत जानकारी मिली उसके आधार पर पुलिस की मदद से उसके परिवार को ढूंढ निकाला गया. परिवार के लोग एक वर्ष से अमरावती की तलाश में दर-दर भटक रहे थे, लेकिन अब अमरावती अपने परिवार से मिल चुकी हैं. अमरावती जाते समय भावुक हो गई. उन्होंने कहा कि, 'यहां उन्हें अच्छे से रखा गया. यहां कोई तकलीफ नहीं हुई. हमें अपने परिवार को दोबारा देखकर बहुत खुशी हो रही है. घर जाकर अपने परिवार और बच्चों के बीच रहूंगी'

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28 महिलाओं को परिवार से मिलवाया

समिति की प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर गीता पुरोहित ने बताया कि, 'स्वाधार गृह की शुरूआत जनवरी 2020 में की गई थी. इसे ऐसी महिलाओं के लिए खोला गया था, जिन्हें घर से निकाल दिया जाता है, लेकिन आज यहां पर हर प्रकार की महिलाओं को शरण देकर उनका सहारा बनने का प्रयास किया जा रहा है. अब तक 50 से अधिक महिलाएं प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस द्वारा यहां भेजी गई हैं. स्वाधार गृह इन महिलाओं को मेडिकल कॉलेज नेरचौक के माध्यम से उपचार देता है और फिर उसके बाद उनके परिवार के बारे में जानकारी जुटाकर परिजनों की तलाश की जाती है. अभी तक स्वाधार गृह 28 महिलाओं को उनके परिवारों से मिलवा चुका है. 14 महिलाएं दूसरे आश्रमों में भेजी गई हैं, जबकि मौजूदा समय में 10 महिलाएं स्वाधार गृह में रह रही हैं.'

स्वाधार गृह में रह रही महिलाएं
स्वाधार गृह में रह रही महिलाएं (ETV BHARAT)

महिलाओं को बनाया जाता है आत्मनिर्भर

गीता पुरोहित ने बताया कि, 'स्वाधार गृह में आने वाली महिलाओं को संभालना आसान काम नहीं होता, क्योंकि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती. कई बार स्टाफ के लोगों के साथ मानसिक रूप से बीमार महिलाएं झगड़ा भी करती हैं. स्वाधार गृह में जब तक महिला रहती है उसे आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य किया जाता है. महिलाओं से कोई न कोई ऐसा कार्य करवाया जाता है, ताकि वो व्यस्त भी रहें और कुछ सीखतक आत्मनिर्भर बनें. यहां रह रही एक महिला को अब यहीं पर बतौर कुक नौकरी दी गई है.' बता दें कि यह स्वाधार गृह प्रदेश सरकार की तरफ से मिलने वाली आर्थिक मदद और दानी सज्जनों की ओर से किए जाने वाले सहयोग से ही चलता है. यहां महिला को सिर्फ और सिर्फ जिला प्रशासन या पुलिस के निर्देशों के बाद जिला कल्याण अधिकारी की ओर से किए जाने वाले लिखित आदेशों के बाद ही दाखिल किया जाता है.

बल्ह उपमंडल में बना स्वाधार गृह
बल्ह उपमंडल में बना स्वाधार गृह (ETV BHARAT)

केंद्र सरकार ने की थी स्वाधार गृह योजना की शुरुआत

बहुत सी ऐसी महिलाएं होती हैं जो मानसिक परेशानी के चलते लापता हो जाती हैं. भटकते भटकते ऐसी जगह पर आ जाती हैं जहां उन्हें जानने-पहचानने वाला कोई नहीं होता. ऐसी महिलाओं के लिए केंद्र सरकार ने स्वाधार गृह योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले में 30 महिलाओं की क्षमता वाले स्वाधार गृह स्थापित किए करने का लक्ष्य रखा गया था. इन स्वाधार गृहों का उद्देश्य संकटग्रस्त और बिना किसी सामाजिक और आर्थिक सहायता के रहने वाली महिलाओं को आश्रय, भोजन, कपड़े, चिकित्सा उपचार और देखभाल की प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करना है. इसके साथ ही उन्हें कानूनी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना है. इसी योजना के तहत बल्ह उपमंडल के तहत आने वाले चलखा गांव में स्वाधार गृह की स्थापना की गई है. इसका संचालन सहयोग बाल श्रवण विकलांग कल्याण समिति करती है.

बेसहारा महिलाओं के लिए शुरू हुई थी स्वाधार गृह योजना

बता दें कि 18 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं, परित्यक्ता महिलाएं, प्राकृतिक आपदाओं में बेघर हुई महिलाएं, जेल से रिहा की गई महिला कैदी जो पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक सहायता से वंचित हैं, घरेलू हिंसा, पारिवारिक तनाव या कलह की शिकार महिलाएं, जिन्हें जीविका के किसी साधन के बिना अपना घर छोड़ने पर मजबूर किया जाता है और जिन्हें शोषण से कोई विशेष संरक्षण नहीं मिलता है स्वाधार गृह में रह सकती हैं. घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाएं एक साल तक स्वाधार गृह में रह सकती हैं. अन्य श्रेणियों की महिलाओं के लिए, रहने की अधिकतम अवधि 3 साल तक हो सकती है. 55 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को अधिकतम 5 साल तक रहने की अनुमति दी जा सकती है, जिसके बाद उन्हें वृद्धाश्रम या इसी तरह के संस्थानों में भेजा जाता है.

स्वाधार गृह की सुविधा का लाभ उपरोक्त श्रेणियों की महिलाओं के साथ आने वाले बच्चों को भी मिल सकेगा. 18 वर्ष तक की लड़कियों और 8 वर्ष तक के लड़कों को अपनी माताओं के साथ स्वाधार गृह में रहने की अनुमति होगी. राज्य सरकारों द्वारा स्थापित महिला विकास निगमों सहित राज्य सरकार की एजेंसियां, केंद्रीय या राज्य स्वायत्त निकाय, नगर निकाय, पंचायती राज संस्थाएं और सहकारी संस्थाएं, राज्य सरकारों के महिला एवं बाल विकास/समाज कल्याण विभाग, जो इस योजना के अंतर्गत संचालन के प्रबंधन के लिए स्वाधार गृह का निर्माण कर सकते हैं और उन्हें स्वयं चला सकते हैं या उन्हें अपेक्षित अनुभव रखने वाले संगठनों को उचित अवधि के लिए पट्टे पर दे सकते हैं.

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Last Updated : Dec 30, 2024, 2:19 PM IST
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