रायपुर : रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव का परिणाम 23 नवंबर को आना है.इस उपचुनाव में विधानसभा चुनाव से कम मतदान हुआ है. मतदान का कम होना आखिर किस पक्ष के लिए लाभदायक है, और किसके लिए नुकसानदायक. कितना मुख्य चुनाव में मतदान हुआ ,वर्तमान में क्या स्थिति रही, किस क्षेत्र में ज्यादा वोटिंग हुई, किन क्षेत्र में मतदाता मतदान के लिए नहीं निकले. क्या चुनाव परिणाम हो सकता है.आइये जानने की कोशिश करते हैं.
रायपुर दक्षिण उपचुनाव के परिणाम को महज कुछ समय ही शेष है. लेकिन इस चुनाव में हुए मतदान प्रतिशत को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. मुख्य चुनाव से कम मतदान को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव में 61.73 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. उस समय बीजेपी वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने एक तरफा जीत हासिल की थी. लगभग 68000 मतों से कांग्रेस उम्मीदवार महंत रामसुंदर दास को हराया था. विधानसभा उपचुनाव की बात की जाए तो इस बार बृजमोहन अग्रवाल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. बीजेपी ने सुनील सोनी को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस से आकाश शर्मा उम्मीदवार है.वही हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा उप चुनाव में महज 50.50 मतदान हुआ है. जो पिछली बार की तुलना में लगभग 11% कम है.
कितने मतदाताओं ने नहीं डाले वोट : आंकड़ों के अनुसार रायपुर दक्षिण में करीब 1 लाख 34000 से ज्यादा मतदाता मतदान नहीं किया है. इस विधानसभा का सबसे पॉश इलाका सिविल लाइन है, जहां प्रदेश के सबसे ज्यादा वीआईपी रहते हैं. कई मंत्रियों और अधिकारियों के बंगले भी हैं. इस इलाके में कुल 11,754 मतदाता है ,फिर भी उपचुनाव में महज 2650 मतदाताओं ने वोट डाला है. इस विधानसभा में पॉश इलाकों के लोग घर से ही नहीं निकले हैं.
क्यों नहीं हुआ ज्यादा मतदान ?: वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना कि यदि पुराने आंकड़ों को देखा जाए तो उप चुनाव में वोटिंग परसेंटेज काफी कम रहा है. इस चुनाव को लेकर लोग भी समझते हैं कि देश और प्रदेश की राजनीति में कोई ज्यादा फर्क पड़ने वाला नहीं है. खासकर पढ़ा लिखा वर्ग जानता है कि इस चुनाव में वोट करने से राजनीतिक परिदृश्य में कोई फर्क नहीं पड़ेगा. ऐसा लोग महसूस करते हैं लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए.
विधानसभा चुनाव के दौरान रायपुर दक्षिण में लगभग 61% मतदान हुए थे. जबकि विधानसभा उप चुनाव में लगभग 50 फीसदी मतदान हुए, यानी की 11 प्रतिशत मतदान कम हुआ है. यह भी देखा गया कि इस विधानसभा उप चुनाव में पढ़े-लिखे वर्ग, वीआईपी एरिया, संभ्रांत टपके के लोग वोट डालने घर से नहीं निकले. इसका बड़ा कारण यही है कि लोगों को मालूम है कि रिजल्ट क्या हो सकता है ,हमारे जाने ना जाने से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा- उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
उचित शर्मा ने कहा कि ये जरूर है कि पिछले बार के विधानसभा चुनाव में जो 70000 की लीड थी वह इस बार नजर नही आ रही है. जीत हार का अंतर इतना ज्यादा नहीं होगा. बृजमोहन अग्रवाल की बात अलग थी. अब की बात अलग है. चाहे बीजेपी जीते चाहे कांग्रेस ,इन दोनों के बीच जीत का अंतर काफी कम होगा. इसलिए कहा जा सकता है कि इस बार के चुनाव में दोनों ही दल के बीच काफी क्लोज फाइट है.
23 नवंबर को आएंगे नतीजे : आपको बता दें कि राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक कुल 16 विधानसभा उपचुनाव हुए हैं. उसमें से 8 बीजेपी और 8 कांग्रेस ने जीता है. इसमें से कुल 14 विधानसभा उपचुनाव सत्ता पक्ष ने जीता है.दो विधानसभा उपचुनाव विपक्ष ने जीता है.यानी उपचुनाव में सत्ता पक्ष ने ज्यादा जीत हासिल की है.यही वजह है कि इस बार भी सत्ता पक्ष के जीत के कयास लगाए जा रहे हैं.बहरहाल इस विधानसभा चुनाव में किसकी जीत होगी और किसकी हार वह 23 नवंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद स्पष्ट हो जाएगा.