वाराणसी : जिले में नए एयरपोर्ट की आधारशिला रखने के बाद अब एयरपोर्ट अथॉरिटी और इसके जुड़े नियमों को ध्यान में रखते हुए एयरपोर्ट परिधि और आस-पास के एरिया में मानक के अनुरूप बिल्डिंग और मोबाइल टावर्स की ऊंचाइयों को नियंत्रण में करने का काम शुरू हो गया है. वाराणसी विकास प्राधिकरण इसे लेकर सर्वे की कार्रवाई कर रहा है, जिसके बाद अब तक वीडीए की लिस्ट में ऐसी 15 बिल्डिंग और चार मोबाइल टावर चिन्हित हुए हैं जो निर्धारित मानक से भी ज्यादा ऊंचे हैं. जिसके लिए नोटिस जारी कर अब इन पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है.
नए एयरपोर्ट के निर्माण के पहले आस-पास बड़ी इमारत और मोबाइल टावर की निगरानी शुरू हो गई है. इस क्रम में बुधवार को वाराणसी एयरपोर्ट के विमान संदर्भ बिन्दु से 20 किलोमीटर की परिधि में आने वाले अवरोधों को हटाने अथवा अवरोधों की ऊंचाई नागर विमानन मंत्रालय, भारत सरकार (वायुयान चालन के संरक्षण के लिए ऊंचाई प्रतिबंध) 1 नियम 2020 के प्रावधानों के तहत कम कराने के लिए एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई. वाराणसी विकास प्राधिकरण के अपर सचिव गुडाकेश शर्मा की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, वाराणसी के एयरपोर्ट डायरेक्टर और शैलेश सिंह, सहायक प्रबन्धक तथा वाराणसी विकास प्राधिकरण के अलावा कई अन्य अधिकारी मौजूद थे. बैठक में दोनों विभागों ने अब तक की गई कार्रवाई की समीक्षा की, साथ ही फ्यूचर प्लानिंग पर भी चर्चा की.
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की तरफ से उपलब्ध कराये गए अवरोधों की लिस्ट के मुताबिक, अब तक वीडीए की ओर से 15 भवनों व 4 मोबाइल टावरों पर मानक से अधिक ऊंचे निर्माणों को हटाने के लिए नोटिस की कार्रवाई की गई है. कार्रवाई के क्रम में 2 भवनों की ऊंचाई मानक अनुसार, निर्माणकर्ता द्वारा स्वयं कम कर दी गई है. इस दौरान अपर सचिव ने निर्देशित किया है कि दोनों विभाग नियमित रूप से प्रत्येक सप्ताह एयरपोर्ट के आस-पास के क्षेत्रों का संयुक्त सर्वे करें एवं मानक से ऊंचे निर्माणों को चिन्हित कर प्राथमिकता पर कार्रवाई सुनिश्चित करें.
वीडीए के अपर सचिव गुडाकेश शर्मा बताया कि आमजन की सुविधा के लिए भारतीय विमानपत्तन की ओर से एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर के दायरे का कलर कोडेड जोनिंग मैप (CCZM) प्राधिकरण की वेबसाइड पर उपलब्ध है, जिस पर लोकेशन के अनुसार स्थल पर निर्धारित अधिकतम ऊंचाई और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, वाराणसी से अनापत्ति की आवश्यकता इत्यादि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है.