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सरगुजा की महिलाएं फूलों और पत्तों के रस से तैयार कर रहीं हर्बल गुलाल, सेफ और हेल्दी होली है मकसद - Surguja women making herbal gulal

सरगुजा में पिछले चार सालों से स्व सहायता समूह की महिलाएं फूलों के रस और फलों-पत्तियों से हर्बल गुलाल तैयार कर रहीं हैं. इस गुलाल की काफी डिमांड भी है. सेफ होली के लिए लोग इस रंगों का ऑर्डर दे रहे हैं.

Herbal Gulal for Safe Holi
सेफ होली के लिए हर्बल गुलाल
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 23, 2024, 7:31 PM IST

Updated : Mar 23, 2024, 8:59 PM IST

हर्बल गुलाल से सेफ और हेल्दी होली

सरगुजा: होली रंगों का त्योहार है, लेकिन कभी-कभी ये रंग लोगों को परेशानी में डाल देता है. होली में केमिकल युक्त रंगों से न सिर्फ स्किन खराब होती है बल्कि आंखों और बालों को भी नुकसान पहुंचता है. ऐसे में आज के दौर में कई लोग हर्बल रंग और गुलाल से सेफ होली खेलना ज्यादा पसंद करते हैं. कई जगहों में हर्बल गुलाल और रंगों की डिमांड काफी अधिक रहती है. इस बीच सरगुजा के स्व सहायता समूह की महिलाएं पिछले 4 सालों से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. लोग पहले से ही इनके बनाए गुलाल का ऑर्डर दे देते हैं, ताकि उन्हें समय से लोगों को गुलाल का पूरा स्टॉक मिल जाए.

पिछले 4 सालों से बना रहीं गुलाल: हम बात कर रहे हैं सरगुजा के राधा कृष्णा महिला स्वयं सहायता समूह की. इस समूह की महिलाएं पिछले 4 सालों से हर्बल गुलाल बना रहीं हैं. इससे इन महिलाओं को अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. इनके बनाए हर्बल गुलाल की डिमांड क्षेत्र में काफी ज्यादा है. हर साल ये महिलाएं हर्बल गुलाल से एक से डेढ़ लाख रुपया कमा रहीं हैं.

जानिए कैसे तैयार होता है हर्बल गुलाल: राधा कृष्णा महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य सुचित्रा से ईटीवी भारत ने बातचीत की है. सुचित्रा ने बताया कि, "पलाश, गेंदा का फूल, चुकंदर, हरी भाजी, नीलकंठ फूल से पहले रंग बनाया जाता है. कुछ पत्तियों को पानी में उबालकर उसका रंग निकाला जाता है, तो कुछ को पीस कर उसे पानी में मिलाने से ही रंग आ जाता है.

गुलाल बनाने की विधि: पहले फूलों को तोड़कर सुखाया जाता है. सूखने के बाद इन फूलों को किसी बर्तन में पानी के साथ उबाला जाता है. जब पानी में गाढ़ा रंग उतर जाता है, तो उसे ठंडा कर लिया जाता है. इसके बाद बेहतरीन रंग तैयार हो जाता है.इस रंग से गुलाल बनाया जाता है."

गुलाल बनाने के लिए पहले अरारोट के पाउडर को नेचुरल रंग में मिलाकर रंग दिया जाता है. फिर रंग मिले अरारोट को धूप में सुखाया जाता है. सूखने के बाद कलर किए हुये अरारोट को मिक्सर में बारीक पीसा जाता है. इसके बाद इसे चलनी में चाल लिया जाता है. इस प्रोसेस से हम हर्बल गुलाल तैयार करते हैं. इसके बाद गुलाल में खुशबू के लिए सुगंधित इत्र भी डाला जाता है.-सुचित्रा, सदस्य, स्व सहायता समूह

हर्बल गुलाल से नहीं होता कोई नुकसान: वहीं, समूह की एक अन्य महिला सरिता बताती हैं कि, " 250 रुपए किलो की दर से ये हर्बल गुलाल बिक रहा है. हर्बल गुलाल की काफी डिमांड है. 4 साल पहले इस काम को शुरू किया था. अब अधिक मात्रा में गुलाल तैयार कर रहे हैं. सी मार्ट में भी हमारे बनाए हर्बल गुलाल उपलब्ध हैं. इसके साथ ही अम्बिकापुर के घड़ी चौक पर महिला समूह खुद काउन्टर लगाकर गुलाल बेचती हैं. पहले के रंगों से स्किन में इंफेक्शन हो जाता था. गुलाल में रेत होती थी. आंखों में जलन होने लगता था, लेकिन हर्बल गुलाल से कोई नुकसान नहीं होता है."

बता दें कि इस गुलाल को ये हर्बल चीजों से तैयार करती हैं. दरअसल, अरारोट एक खाद्य पदार्थ है. इससे आंखों में कोई नुकसान नहीं होता है. ऑरेंज कलर के लिए पलाश के फूल, पीले रंग के लिए गेंदा फूल, नीले रंग के लिए नीलकंठ फूल, लाल रंग के लिए चुकंदर और हरे रंग के लिए हरी भाजियों का इस्तेमाल किया जाता है.

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पिछले 4 सालों से बना रहीं गुलाल: हम बात कर रहे हैं सरगुजा के राधा कृष्णा महिला स्वयं सहायता समूह की. इस समूह की महिलाएं पिछले 4 सालों से हर्बल गुलाल बना रहीं हैं. इससे इन महिलाओं को अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. इनके बनाए हर्बल गुलाल की डिमांड क्षेत्र में काफी ज्यादा है. हर साल ये महिलाएं हर्बल गुलाल से एक से डेढ़ लाख रुपया कमा रहीं हैं.

जानिए कैसे तैयार होता है हर्बल गुलाल: राधा कृष्णा महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य सुचित्रा से ईटीवी भारत ने बातचीत की है. सुचित्रा ने बताया कि, "पलाश, गेंदा का फूल, चुकंदर, हरी भाजी, नीलकंठ फूल से पहले रंग बनाया जाता है. कुछ पत्तियों को पानी में उबालकर उसका रंग निकाला जाता है, तो कुछ को पीस कर उसे पानी में मिलाने से ही रंग आ जाता है.

गुलाल बनाने की विधि: पहले फूलों को तोड़कर सुखाया जाता है. सूखने के बाद इन फूलों को किसी बर्तन में पानी के साथ उबाला जाता है. जब पानी में गाढ़ा रंग उतर जाता है, तो उसे ठंडा कर लिया जाता है. इसके बाद बेहतरीन रंग तैयार हो जाता है.इस रंग से गुलाल बनाया जाता है."

गुलाल बनाने के लिए पहले अरारोट के पाउडर को नेचुरल रंग में मिलाकर रंग दिया जाता है. फिर रंग मिले अरारोट को धूप में सुखाया जाता है. सूखने के बाद कलर किए हुये अरारोट को मिक्सर में बारीक पीसा जाता है. इसके बाद इसे चलनी में चाल लिया जाता है. इस प्रोसेस से हम हर्बल गुलाल तैयार करते हैं. इसके बाद गुलाल में खुशबू के लिए सुगंधित इत्र भी डाला जाता है.-सुचित्रा, सदस्य, स्व सहायता समूह

हर्बल गुलाल से नहीं होता कोई नुकसान: वहीं, समूह की एक अन्य महिला सरिता बताती हैं कि, " 250 रुपए किलो की दर से ये हर्बल गुलाल बिक रहा है. हर्बल गुलाल की काफी डिमांड है. 4 साल पहले इस काम को शुरू किया था. अब अधिक मात्रा में गुलाल तैयार कर रहे हैं. सी मार्ट में भी हमारे बनाए हर्बल गुलाल उपलब्ध हैं. इसके साथ ही अम्बिकापुर के घड़ी चौक पर महिला समूह खुद काउन्टर लगाकर गुलाल बेचती हैं. पहले के रंगों से स्किन में इंफेक्शन हो जाता था. गुलाल में रेत होती थी. आंखों में जलन होने लगता था, लेकिन हर्बल गुलाल से कोई नुकसान नहीं होता है."

बता दें कि इस गुलाल को ये हर्बल चीजों से तैयार करती हैं. दरअसल, अरारोट एक खाद्य पदार्थ है. इससे आंखों में कोई नुकसान नहीं होता है. ऑरेंज कलर के लिए पलाश के फूल, पीले रंग के लिए गेंदा फूल, नीले रंग के लिए नीलकंठ फूल, लाल रंग के लिए चुकंदर और हरे रंग के लिए हरी भाजियों का इस्तेमाल किया जाता है.

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Last Updated : Mar 23, 2024, 8:59 PM IST
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